गरीबी का दंश! अपने बच्चों को 10-10 हजार रुपये में बेचने को मजबूर जनजातीय समाज के लोग
गरीबी का दंश! अपने बच्चों को 10-10 हजार रुपये में बेचने को मजबूर जनजातीय समाज के लोग
Tribal Society: नासिक में कोविड 19 के कारण आजीविका का संकट खड़ा हुआ तो एक जनजातीय समुदाय के लोगों ने अपने बच्चों को श्रमिक बनाकर बेच दिया. उन्हें बच्चों के बदले साल में 10,000 रुपये दिए जाते थे. बच्चों को गड़ेरियों को सौंप दिया जाता, जिसके बाद उनसे भेड़ और बकरियों को घास चराने के काम पर लगा दिया जाता. एक बच्ची की मौत के बाद इस मामले का खुलासा हुआ है. आठ बच्चों को गड़ेरियों के चंगुल से मुक्त कराया गया है.
हाइलाइट्समहाराष्ट्र के नासिक में एक जनजातीय समुदाय के लोग अपने बच्चों का पसीना बेच रहे हैं.वह अपने बच्चों को मजदूरी के लिए 10 हजार रुपये में गड़ेरियों को बेचने पर मजबूर हैं.पुलिस ने अब तक ऐसे 8 बच्चों को गड़ेरियों के चंगुल से मुक्त कराया है.
मुंबई. महाराष्ट्र के नासिक में कोविड-19 के कारण आजीविका का संकट कुछ इस तरह से खड़ा हो गया कि एक जनजातीय समुदाय के लोग अपने बच्चों का पसीना बेच रहे हैं. साल में 10,000 रुपये के बदले वह अपने बच्चों को श्रमिक के रूप में काम करने के लिए गड़ेरियों को सौंपने के लिए मजबूर हो गए हैं. इस मामले का खुलासा पुलिस ने किया है. पुलिस ने बताया कि अब तक आठ बच्चों को गड़ेरियों के चंगुल से मुक्त कराया गया है.
पुलिस के मुताबिक हाल ही में मजदूर के रूप में काम करने वाली एक 11 वर्षीय बच्ची की मौत हो जाने के बाद यह मामला प्रकाश में आया था. पुलिस ने कहा कि इस संबंध में हत्या का मामला दर्ज किया गया है. नासिक ग्रामीण पुलिस ने पड़ोसी जिले अहमदनगर से अब तक ऐसे आठ बच्चों को छुड़ाया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन अन्य को बंधुआ मजदूरी व्यवस्था उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत गिरफ्तार किया गया है.
बच्ची की मौत के बाद पुलिस की जांच में जो सच सामने आया उसने सबको चौंका दिया
पुलिस के एक अधिकारी की मानें तो सिन्नर रोड पर घोटी क्षेत्र के उबाडे गांव में 27 अगस्त को वह बच्ची एक जनजातीय सामुदायिक शिविर के बाहर बेहोश हालत में मिली थी, जहां 12 परिवार सड़क किनारे बने अस्थायी तंबू में रह रहे थे. उन्होंने कहा कि किसी ने बच्ची को शिविर के बाहर छोड़ दिया था.पुलिस और बच्ची के परिवार के लोग उसे अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान तीन सितंबर को उसकी मौत हो गई.
बच्ची और उसके भाई को साल में सिर्फ एक बार ही माता पिता से मिलने की थी छूट
इस मामले में पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि बच्ची और उसके 10 वर्षीय भाई को अहमदनगर में गड़ेरियों के हवाले कर दिया गया था. बच्ची साल में एक या दो बार अपने माता-पिता से मिलने आती थी. अधिकारी ने बताया कि वह 21 अगस्त से बेहोश थी और उसे सर्पदंश के बाद अहमदनगर और पुणे के अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. बाद में उसे उसके माता-पिता के पास भेज दिया गया.
11 बच्चों को उनके परिवार ने अहमदनगर में गड़ेरियों को सौंपा था
नासिक के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक सचिन पाटिल ने मामले को गंभीरता से लिया और पुलिस को इसकी विस्तृत जांच करने को कहा. अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने पाया कि छह से 15 साल की उम्र के कम से कम 11 ऐसे बच्चों को उनके परिवार के सदस्यों ने अहमदनगर में गड़ेरियों को सौंप दिया था.
बच्ची के बेहोश मिलने पर दर्ज हुआ था मामला, दो हुए गिरफ्तार
बच्ची के बेहोश हालत में मिलने के बाद, घोटी पुलिस ने शुरू में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 ’हत्या का प्रयास‘ के तहत प्राथमिकी दर्ज की. बाद में इसे हत्या के मामले में बदल दिया गया. अधिकारी ने कहा कि इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
बच्चों से भेड़ और बकरियों की रखवाली कराई जा रही थी
अधिकारी ने कहा कि जांच से पता चला है कि माता-पिता ने 10,000 रुपये प्रतिवर्ष तक की रकम और एक बकरी, भेड़ हासिल करने के बदले में अपने बच्चों को एजेंट के माध्यम से गड़ेरियों को दे दिया था. उन्होंने कहा कि बच्चों से भेड़ और बकरियों की रखवाली कराई जा रही थी.
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Tags: Maharashtra News, Maharashtra Police, Mumbai News, TribalFIRST PUBLISHED : September 11, 2022, 19:43 IST