पोर्ट ब्लेयर का नाम अब श्री विजयपुरम हुआ आखिर किसलिए केंद्र ने लिया फैसला
पोर्ट ब्लेयर का नाम अब श्री विजयपुरम हुआ आखिर किसलिए केंद्र ने लिया फैसला
Port Blair Renames As Sri Vijaya Puram: केंद्र सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर विजयपुरम कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया के जरिये दी. केंद्र सरकार ने देश की जगहों के ब्रिटिश काल में दिए गए नामों को हटाने की मुहिम के तहत ये फैसला लिया है.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ रखने का ऐलान किया है. इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया के जरिए दी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारी आजादी की लड़ाई और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दिखाता है. चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा मां भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी रहा है.
अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ‘देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है. ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है.’ अमित शाह ने आगे लिखा कि ‘इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है.’
अमित शाह ने कहा कि ‘चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है. यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा मां भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है.’ पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी है. यह दक्षिण अंडमान द्वीप के पूर्वी तट पर स्थित है. इसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर सेलुलर जेल थी. इसका नाम ‘काला पानी की सजा’ के तौर पर काफी प्रसिद्ध रहा. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक ब्रिटिश औपनिवेशिक जेल थी. इस जेल का इस्तेमाल भारत की ब्रिटिश सरकार अपराधियों और राजनीतिक कैदियों को निर्वासित करने के उद्देश्य से करती थी. 1906 में अंग्रेजों द्वारा बनाई यह तीन मंजिला जेल स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक तीर्थ स्थल रही थी. इसे राष्ट्रीय स्मारक के रूप में बदल दिया गया है. यहां स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की गाथा लेजर एंड साउंड शो के जरिए दिखाया जाता है.
Tags: Amit shah, Andaman and NicobarFIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 18:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed