250 याचिकाओं में PMLA एक्ट को दी गई चुनौती सुप्रीम कोर्ट बोला- इस कानून में कोई भी खामी नहीं फैसले की 7 बड़ी बातें

Supreme Court Big decision: लगभग 250 याचिकाओं में इस कानून को चुनौती दी गई थी और कहा गया था की इस कानून के तहत ईडी जिस तरह से गिरफ्तारी करती है, दबिश डालती है या सबूत इकठ्ठे करती है वो इंडियन पीनल कोड के खिलाफ है यानी नियमों के खिलाफ है. ये कानून पुलिस को हद से ज्यादा ताकत देती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में कहा क‍ि इस कानून में कोई भी खामी नहीं है.

250 याचिकाओं में PMLA एक्ट को दी गई चुनौती सुप्रीम कोर्ट बोला- इस कानून में कोई भी खामी नहीं फैसले की 7 बड़ी बातें
प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी बदलाव करने से इनकार किया है. कोर्ट ने कानून के हर प्रावधान को सही माना है. माना जा रहा है क‍ि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ईडी को अपने काम में और बल मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ईडी की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी, रेड, समन, बयान समेत PMLA एक्ट में ED को दिए गए सभी अधिकारों को सही ठहराया है. ECIR (ED की तरफ से दर्ज केस) की कॉपी आरोपी को देना ज़रूरी नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने अपराधी की आय, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जमानत की दोहरी शर्तों के PMLA के कड़े प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. कानून में फाइनेंस बिल के ज़रिए किए गए बदलाव का मसला 7 जजों की बेंच को भेजा है. आपको बता दें क‍ि लगभग 250 याचिकाओं में इस कानून को चुनौती दी गई थी और कहा गया था की इस कानून के तहत ईडी जिस तरह से गिरफ्तारी करती है, दबिश डालती है या सबूत इकठ्ठे करती है वो इंडियन पीनल कोड के खिलाफ है यानी नियमों के खिलाफ है. ये कानून पुलिस को हद से ज्यादा ताकत देती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में कहा क‍ि इस कानून में कोई भी खामी नहीं है. इस कानून का इस्तेमाल ईडी द्वारा ब्लैक मनी के खिलाफ कार्रवाई में किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खास बातेंसुप्रीम कोर्ट सवाल यह है कि क्या पीएमएलए 2002 में कुछ संशोधन नहीं किए जा सकते थे. वो भी धन विधेयक के जरिए इसपर बड़ी बेंच द्वारा विचार करने का संकेत दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरोपी को ईसीआईआर देना अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी के दौरान केवल कारणों का खुलासा करना ही पर्याप्त है. यहां तक ​​कि ईडी मैनुअल को भी प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक आंतरिक दस्तावेज है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा की किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने की लिए सिर्फ सूचना देना काफी है. इस कानून के तहत वजह बताने की जरूरत नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के सभी कड़े प्रावधानों को सही माना है. सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा क‍ि ECIR की तुलना एफआईआर से नहीं की जा सकती और ईसीआईआर ईडी का आंतरिक दस्तावेज है. ट्रायल कोर्ट इस पहलू पर और फैसला दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपराध की आय, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की ED की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जुड़वां जमानत शर्तों की विस्तृत परिभाषा के संबंध में PMLA के कड़े प्रावधानों को सही माना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा क‍ि PMLA एक्ट 2002 के तहत ED अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 12:13 IST