आपातकाल के दौरान दिल्ली में किसके घर रुक थे PM मोदी क्यों बन गए थे सरदार

विजय राजपाल बताते हैं कि जब आपातकाल देश में घोषित हुआ तो राजपाल और नरेंद्र मोदी के बीच संबंध और भी गहरे हो गए.

आपातकाल के दौरान दिल्ली में किसके घर रुक थे PM मोदी क्यों बन गए थे सरदार
राजधानी दिल्ली में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल के दौरान दिल्ली के अशोक विहार में बिताए अपने गुप्तवास के बारे में जानकारी का खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि जब आपातकाल लागू किया गया, तो वह देश में इंदिरा गांधी के तानाशाही शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे. इस दौरान उनके साथी भूमिगत आंदोलन का हिस्सा थे और अशोक विहार वह जगह थी जहां वह ठहरे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के सबसे प्रमुख चेहरे बनने से पहले लम्बे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में सामाजिक कार्य किया है. दिल्ली के अशोक विहार के संघ कार्यकर्ता विजय राजपाल अपने शुरुआती अनुभवों को साझा करते हैं. उन्होंने न्यूज18 के साथ आपातकाल 1975 के दौरान मोदी के साथ अपने संवादों को. वह बताते हैं, “मैंने पहली बार नरेंद्र मोदी से 1973 में संघ कार्यालय, अहमदाबाद में मुलाकात की थी. इसके बाद हमारी अच्छी बातचीत शुरू हुई. हम अक्सर फोन पर बात करते और पत्रों का आदान-प्रदान करते थे.” विजय राजपाल बताते हैं कि जब आपातकाल देश में घोषित हुआ तो राजपाल और नरेंद्र मोदी के बीच संबंध और भी गहरे हो गए. राजपाल उस समय को याद करते हुए कहते हैं, “एक दिन, मुझे मोदी का फोन आया और उन्होंने पूछा, ‘क्या मैं आपके घर रह सकता हूं?’ मैंने तुरंत कहा कि वह कभी भी आ सकते हैं, हम उन्हें परिवार की तरह मानते थे. वह बिना किसी मांग के हमारे घर में रहे. यहां तक कि खाने में वह गुजराती होते हुए भी हमारे पंजाबी भोजन को खुशी-खुशी खाते थे, जैसे वह हमारे परिवार का हिस्सा हों.” गुजरात में थी पीएम मोदी की तलाश उस समय गुजरात पुलिस नरेंद्र मोदी को ढूंढ रही थी. आपातकाल के दौरान गुजरात के सिनेमाघरों में जो ‘वांटेड’ लोगों के फोटो दिखाए जाते थे, उनमें नरेंद्र मोदी का भी फोटो शामिल था. जैसे ही पुलिस उन्हें ढूंढने लगी तो मोदी के पास एक कठिन चुनाव था. उन्हें अपनी गतिविधियां गुप्त रूप से जारी रखनी थीं, जैसे देशभर में संघ कार्यकर्ता कर रहे थे. राजपाल बताते हैं कि दिल्ली में उनकी सुरक्षा के लिए उन्होंने एक अनूठा उपाय निकाला. उस समय मोदी ने हल्की दाढ़ी बढ़ा ली थी और वह पैंट और आधी बाजू की सफेद शर्ट पहनते थे. उन्होंने सिख के रूप में अपना पहनावा लेने का सोचा, जो अन्य विकल्पों से कम जोखिमपूर्ण था. मोदी ने मुझसे पूछा कि इसे कैसे करेंगे? हम इसके लिए चांदनी चौक गए. वहां मोती सिनेमा के पास एक दुकान से पगड़ी का कपड़ा खरीदा और फिर उन्हें दिल्ली में स्थित एक जगह सब्जी मंडी ले गए, जहां मेरे मामा के दोस्त एक सरदारजी थे. उन्होंने मोदी जी को सरदारों की तरह पगड़ी बांधी. तब से वह पगड़ी पहने रहने लगे. राजपाल बताते हैं कि यह ऑपरेशन शुरू हो गया था. मोदी मेरे साथ दिल्ली से सूरत तक डीलक्स ट्रेन से सिख के रूप में यात्रा करने आए. मैंने उन्हें सलाह दी कि ज्यादा बात न करें, क्योंकि ज्यादा बोलने से उनका असली रूप उजागर हो सकता था. क्योंकि उनको पंजाबी बोलनी नहीं आती थी उतनी. वह शांति से यात्रा करते रहे और हम सुरक्षित रूप से पहचान से बच गए. उन्होंने कहा कि मोदी का धैर्य और उस कठिन समय में उनका दृढ़ संकल्प अद्वितीय था. वह देश के लिए किसी भी बलिदान के लिए तैयार थे और मैंने तब भी उनकी नेतृत्व क्षमता को महसूस किया था. दबाव में आकर स्थिति को समझने और रणनीतिक रूप से काम करने की उनकी क्षमता उन्हें दूसरों से अलग करती है. Tags: PM ModiFIRST PUBLISHED : January 4, 2025, 16:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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