रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के लिए आधार कार्ड बनवा रहा PFI पुलिस ने किया पर्दाफाश
रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के लिए आधार कार्ड बनवा रहा PFI पुलिस ने किया पर्दाफाश
चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) में भर्ती के नए तौर-तरीकों का पर्दाफाश हुआ है. जांच एजेंसियों ने कहा कि हमें आशंका है कि पीएफआई रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के लिए आधार कार्ड के लिए जरूरी दस्तावेज बनाने का काम कर रहा है.
हाइलाइट्सबिहार पुलिस ने किया पीएफआई की साजिश का पर्दाफाश नेपाल सीमा से रोहिंग्या और बांग्लादेशी भारत आ रहेरोजगार, रहने की जगह और आधार कार्ड दे रहा PFI
अरुणिमा
नई दिल्ली. चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) में भर्ती के नए तौर-तरीकों का पर्दाफाश हुआ है. पटना पुलिस की कार्रवाई के बाद इस साजिश का पता चल सका है. पुलिस ने बताया कि पीएफआई के लोग ऐसे तौर-तरीके अपना कर आधार कार्ड बनवा रहे हैं, जिसे पकड़ पाना आसान नहीं है. CNN-up24x7news.com को विशेष रूप से पता चला है कि बिहार के सीमांचल क्षेत्र में किशनगंज, मधुबनी, दरभंडा, कटिहार, पूर्णिया और सुपाल जिलों को कवर करने के लिए नए तौर-तरीकों को लागू किया जा रहा है. जांच एजेंसियों ने कहा कि हमें आशंका है कि पीएफआई, रोहिंग्याओं (Rohingya Muslims) और बांग्लादेश (Bangladesh) के अवैध घुसपैठियों के लिए भारतीय आधार कार्ड के लिए जरूरी दस्तावेज बनाने का काम कर रहा है. इसके लिए उसने तस्करों का इस्तेमाल किया है. वहीं, इन लोगों को महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में मजदूर के रूप में भेजने की व्यवस्था भी की है.
ऐसी घटनाओं के अनुभवी एक अधिकारी ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया पीएफआई, इसके लिए भारतीय मुस्लिम परिवार का सहारा ले रही है. इसमें वह परिवार के मुखिया को कुछ धन भी देती है. परिवार का मुखिया ऐसे रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को अपने परिवार का हिस्सा बता देते हैं. मुखिया यह दलील देता है कि बचपन में उसे किसी रिश्तेदार के साथ भेज दिया गया था और अब वह परिवार के साथ रहने के लिए वापस आ गया है और उसके लिए आधार कार्ड की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ऐसे भारतीय मुस्लिम परिवार उन्हें अपने दस्तावेज उपलब्ध कराकर आधार कार्ड बनवा देते हैं. सूत्रों के अनुसार हाल ही में भोपाल में जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के सदस्यों को गिरफ्तार किए जाने पर इस साजिश का पता चला था. सूत्र ने खुलासा किया, ‘उन सभी की जन्म तिथि समान थी – 1 जनवरी – और जन्म स्थान – अररिया.’ जेएमबी के कथित आतंकवादियों के पास से बरामद फर्जी आधार कार्ड को लेकर एक बहु-एजेंसी जांच शुरू की गई थी. इसमें पता किया गया था कि दस्तावेज कैसे हासिल किए गए.
रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के प्रवेश के लिए भारत-नेपाल सीमा से
इधर, बिहार पुलिस के अधिकारियों को संदेह है कि बंगाल-असम सीमा पर कड़ी निगरानी होने के कारण अब रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के प्रवेश के लिए भारत-नेपाल सीमा को चुना गया है. यहां के नो मैन्स लैंड पर अवैध कालोनियां आ गई हैं. उन्होंने बताया कि राजमार्गों के आसपास निर्जन भूमि को चुना जा रहा है. इसमें रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को अस्थायी ठिकाना बनाकर देते हैं. पुलिस का अनुमान है कि 2018 से नेपाल सीमा पर करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से 694 नए मदरसे और मस्जिदों का निर्माण किया गया है. इस फंड का स्रोत तुर्की, कतर और यूएई जैसे देश होने का संदेह है.
बिहार के बाद उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी पकड़ाए पीएफआई एजेंट
पीएफआई के बिहार में सक्रिय होने से एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है. झारखंड के एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज को 13 जुलाई को राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ इलाके से गिरफ्तार किया गया था. इसके तीन दिन बाद उत्तर प्रदेश एटीएस ने बिहार पुलिस के अनुरोध पर लखनऊ से नूरुद्दीन जंगी को गिरफ्तार किया था. पटना पुलिस ने बताया था कि जलालुद्दीन और परवेज स्थानीय लोगों को तलवार और चाकू का इस्तेमाल करना सिखा रहे थे और उन्हें सांप्रदायिक हिंसा के लिए भी उकसा रहे थे. इन दोनों लोगों का पीएफआई के साथ संबंध है. पुलिस ने बताया कि इन दोनों के कब्जे से इस्लामी चरमपंथ से संबंधित कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं.
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Tags: Bangladesh, PFI, Rohingya MuslimsFIRST PUBLISHED : August 17, 2022, 19:40 IST