शीलाबेन की आखिरी भेंट दिल से लेकर किडनी तक अंगदान से रोशन हुई 5 जिंदगियां

Junagadh News: जूनागढ़ की शीलाबेन झंझारिया ने ब्रेन डेड होने के बाद अपने अंग दान किए. दिल, फेफड़े, किडनी और लीवर को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से अहमदाबाद भेजा गया. परिवार की जागरूकता ने ऑर्गन डोनेशन को आसान बनाया.

शीलाबेन की आखिरी भेंट दिल से लेकर किडनी तक अंगदान से रोशन हुई 5 जिंदगियां
जूनागढ़: ऑर्गन डोनेशन एक महान दान है. हाल के समय में ऑर्गन डोनेशन की मांग बढ़ी है. लोगों में ऑर्गन डोनेशन के महत्व और इसकी समझ भी बढ़ रही है. इसी कारण जूनागढ़ में एक महिला सदस्य, जो ब्रेन डेड हो गई थीं, उनके परिवार ने उनके अंग दान करने का फैसला लिया. पुलिस ने ऑर्गन्स को सुरक्षित रूप से ग्रीन कॉरिडोर के जरिए पहुंचाने की तैयारियां भी पूरी कर ली हैं. ब्रेन डेड महिला के अंग हुए दान बता दें कि 43 वर्षीय शीलाबेन झंझारिया, जो जूनागढ़ के झंझारा रोड पर रहती थीं, रविवार सुबह अचानक चक्कर आने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाई गईं. अस्पताल पहुंचने पर उनकी हालत गंभीर थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. MRI और CT स्कैन के बाद पता चला कि उनके ब्रेन के पिछले हिस्से में लकवे का अटैक हुआ है. रिबर्थ अस्पताल के डॉक्टर आकाश पटोलिया और अन्य सर्जनों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. ब्रेन डेड होने की स्थिति में मस्तिष्क का काम करना बंद हो जाता है, लेकिन शरीर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता. इस स्थिति में अंगदान किया जा सकता है. परिवार के सहयोग से अंगदान की प्रक्रिया शुरू की गई. कौन-कौन से अंग किए गए दान? शीलाबेन के फेफड़े, दिल, आंखें, किडनी और लीवर जैसे अंग दान किए गए हैं. ये सभी अंग ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से जूनागढ़ से अहमदाबाद ले जाए जाएंगे. फेफड़े: साईम्स अस्पताल, अहमदाबाद दिल: यूएन मेहता अस्पताल, अहमदाबाद किडनी और लीवर: आईकेडी अस्पताल गौरतलब है कि जूनागढ़ से पहली बार दिल का दान किया जा रहा है. फेफड़ों और दिल को बहुत कम समय में प्राप्तकर्ता तक पहुंचाना होता है, इसलिए ये अंग केशोद एयरपोर्ट से फ्लाइट द्वारा अहमदाबाद भेजे जाएंगे. किडनी और लीवर को सड़क मार्ग से ले जाया जाएगा. परिवार की ऑर्गन डोनेशन को लेकर जागरूकता बता दें कि शीलाबेन के परिवार में पहले भी ऑर्गन डोनेशन हुआ था. उनकी मां ने कुछ समय पहले अपने बेटे को किडनी दान की थी. इसलिए परिवार ऑर्गन डोनेशन के महत्व और प्रक्रिया को भलीभांति समझता था. इसी कारण परिवार ने तुरंत सहमति दी. पुलिस ने किए ये इंतजाम ASP हर्ष शर्मा ने बताया कि ऑर्गन्स को सुरक्षित रूप से ग्रीन कॉरिडोर के जरिए पहुंचाने के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है. कुल 80 पुलिसकर्मी इस काम में लगाए गए हैं. वाह, कमाल है! एक कमरे जितनी बड़ी पतंग, डिज़ाइन भी ऐसा कि कोई भी देखता रह जाए क्या होता है ब्रेन डेड? ब्रेन डेड वह स्थिति है जब मस्तिष्क की सभी गतिविधियां स्थायी रूप से बंद हो जाती हैं. ब्रेनस्टेम, जो शरीर की बुनियादी क्रियाओं जैसे सांस और दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है, भी काम करना बंद कर देता है. अंगों के उपयोग की समय सीमा दिल: आर्टिफिशियल सपोर्ट पर: 72 घंटे तक सही देखभाल में: अधिकतम 1 सप्ताह किडनी: ठंडे माहौल में: 24-48 घंटे प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त: 24-36 घंटे लीवर: आर्टिफिशियल सपोर्ट पर: 24 घंटे प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त: 12-15 घंटे फेफड़े: आर्टिफिशियल वेंटिलेशन पर: 48-72 घंटे प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त: 4-6 घंटे आंखों की कॉर्निया: सही स्टोरेज में: 7-10 दिन Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 13:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed