मणिपुर सरकार का ड्रग्स के खिलाफ ऑपरेशन वॉर ऑन ड्रग्स 20 70 दिन के अंदर 142 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त

Manipur, CM N. Biren Singh, Operation War on Drugs 2.0: मणिपुर सरकार की कड़ाई से ड्रग्स की सप्लाई के सभी रास्तों पर शिकंजा कसता जा रहा है. संवेदनशील राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर 24 घंटे हाईवे पेट्रोलिंग करने वाली जीपीएस युक्त गाड़ियों को लगाया गया है. ये मणिपुर के सेनापति और कांगपोक्पी जिले में पाइलट प्रजोक्ट के तौर पर शुरु किया गया है.

मणिपुर सरकार का ड्रग्स के खिलाफ ऑपरेशन वॉर ऑन ड्रग्स 20  70 दिन के अंदर 142 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त
नई दिल्ली: अरसे से भारत-म्यांमार (India Myanmar) की लगभग 400 किमी लंबी सीमा भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती बनी हुई है. चुनौती इसलिए क्योंकि पूरी सीमा ऐसी है की कहीं से भी आर पार आवाजाही की जा सकती है. यही खूबी मणिपुर को दुनिया भऱ में बदनाम ड्रग्स सप्लाई के सुनहरे त्रिकोण का हिस्सा बना रही थी. मणिपुर की मुश्किल ये कि पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और ड्रग माफिया का अंतराष्ट्रीय स्तर पर चल रहा खुले ऑपरेशन ने राज्य में ड्रग्स के खतरे को और बढ़ा दिया है. संगठित ड्रग माफिया मणिपुर के रास्ते नारकोटिक्स जैसे हेरोईन, गांजा, अफीम, सिंथेटिक ड्रग में क्रिस्टल मेथामफेटामिन, सूडो इफएड्रीन, डब्लू वाई टैबलेट भरत के दूसरे हिस्सों में भेजते हैं. केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने भी माना है कि देश में ड्रग का खतरा बढ़ता जा रहा है और युवा इसके शिकार होते जा रहे हैं. इसलिए गृह मंत्रालय ने भी ड्रग्स के खिलाफ जंग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. इसलिए सूदूर पूर्व में मणिपुर सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ खुली जंग का ऐलान किया है जिसे मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने वॉर ऑन ड्रग्स 2.0 (War on Drugs 2.0 ) का नाम दिया है. सीएम बिरेन सिंह ने इसे अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा बनाया है. सरकार ने इस बार ड्रग्स के खिलाफ जंग शुरू की है एक नए अवतार में और गठित किया है एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स. और इस जंग में हर स्तर पर ड्रग्स रोकने के लिए कई स्तरो पर रणनीति बनाई है जिसमें कानून, समाजिक, मानव संसाधन और तकनीकि पहलुओं का इस्तेमाल किया जा रहा है ड्रग्स के खतरे को रोकने के लिए. ड्रग्स माफिया का सप्लाई रुट बंद किया मणिपुर सरकार की कड़ाई से ड्रग्स की सप्लाई के सभी रास्तों पर शिकंजा कसता जा रहा है. संवेदनशील राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर 24 घंटे हाईवे पेट्रोलिंग करने वाली जीपीएस युक्त गाड़ियों को लगाया गया है. ये मणिपुर के सेनापति और कांगपोक्पी जिले में पाइलट प्रजोक्ट के तौर पर शुरु किया गया है. राज्य हाईवे सिक्यूरिटी योजना पर भी एक महत्वाकांक्षी काम शुरू हो चुका है. इसके तहत मणिपुर को म्यांमार, असम और नगालैंड से जोड़ने वाले 3 मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-2, एनएच-102 और एनएच-37 पर ड्रग्स माफिया को कोई मौका नहीं देने की तैयारी चल रही है. इस योजना के तहत ड्रग्स माफिया को मणिपुर को ट्रांसिट रूट की तरह इस्तेमाल करना मुश्किल होगा. राज्य सरकार की लगातार कोशिशों के बाद मणिपुर में गैरकानूनी ड्रग्स ट्रैफिकिंग पर क्रैक डाउन शुरु हो चुका है और भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद किए गए हैं. पिछले पांच सालों में इतने ड्रग्स जब्त किए है जिनकी अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमत 3,213 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 1674 केस दर्ज किए गए हैं और 2104 पैडलरों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा पुलिस ने 170 किलो हेरोईन पाउडर, 1265 किलो अफीम, 520 किलो ब्राउन शुगर, 725 सिंथेटिक ड्रग्स, 16 लाख साइकोट्रोपिक टैबलेट, ड्रग्स सीरप की 63000 बोतलें जब्त की हैं. मणिपुर सरकार और पुलिस बल यही नहीं रुके हैं. अफीम की गैरकानूनी रुप से चल रही 13894 एकड़ जमीन पर खेती और गांजा उगायी जा रही 20 एकड़ जमीन पर पूरी फसल नष्ट कर दी है. एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के 2020 में गठन के बाद से गैरकानूनी सप्लाई में लगे ड्रग्स पैडलर्स के खिलाफ सख्त कारवाई की गई है. इसमें एनडीपीएस एक्ट के तहत 174 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 18 किलो हेरोईन पाउडर, 135 किलो अफीम, 85 किलो डब्लू वाई टैबलेट, 44000 कैप्सूल और 24000 ड्रग्स के सीरिंज जब्त किया गया है और 382 एकड पॉपी की फसल को नष्ट कर दिया गया है. मणिपुर सारकार के मुताबिक 70 दिनों के भीतर ही 142 करोड रुपये के ड्रग्स जब्त किए गए हैं. सरकार अपना रही आधुनिक तरीके बीरेन सिंह सरकार अब हर अधुनिक तरीके अपना रही है ताकि मणिपुर ड्रग्स के इस कारोबार का कहीं से भी हिस्सा नहीं बने. मणिपुर रिमोट सेंसिंगह अप्लीकेशन सेंटर को कहा गया है कि वो हाई रिजोल्यूशन डेटा इस्तेमाल कर मणिपुर के उन इलाकों की पहचना करे जहां अफीम की खेती हो रही है. ड्रोन से भी डेटा इक्ट्ठा किया जा रहा है. इन सबूतों के आधार पर ही एनडीपीएस एक्ट के तहत जमीन के मालिकों और गांवों के मुखियाओं पर मुकदमं दर्ज हो रहे हैं जिनके इलाके में पॉपी की खेती हो रही है. जाहिर जमीन से आसमान तक सख्ती हो तो ड्रग्स माफिया की मणिपुर में कमर टूटने लगी है. कानून व्यवस्था को और धार देना मणिपुर में पहली बार पूरी कानूनी मशीनरी को मजबूत बनाने के लिए राज्य स्तर का एक सेमीनार कम वर्कशॉप आयोजित किया गया. आयोजित करने वाले एंटी नारकोटिक्स टास्क फओर्स ने इसका नाम वॉर ऑन ड्रग्स 2.0 रखा. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह , मुख्य सचिव और डीजीपी और दूसरे बड़े अधिकारी मौजूद थे. ऐसे 6 वर्कशॉप पूरे राज्य में आयोजित किए गए. 16 जिलों की पुलिस, मणिपुर आर्म्ड पुलिस को एनडीपीए एक्ट के तहत ताकत दी गई. इस मुहिम से ड्रग्स को रोकने के काम में लगे 300 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों को फायदा हुआ. बीरन सिंह सरकार ने एक विशेष पहल से मणिपुर आर्म्ड पुलिस को केन्द्रीय अद्धसैनिक बलों, सीआरपीएफ, बीएसएफ की तर्ज पर ताकत दी गई है ताकि वो पहाड़ी और सूदूर इलाकों में ड्रग्स के खिलाफ खुली जंग छेड सकें. मणिपुर की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स खासी सक्रिय हो चुकी है. पूरा ध्यान इस बात पर है कि एनडपीएम एक्ट के तहत जल्दी और ज्यादा से ज्यादा कानून तोड़ने वालों को सजा दिलायी जा सके. इस ड्रग्स समस्या पर काबू पाने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के आईजी के नेतृत्व में 7 सदस्यीय विशेष जांच दल बनाया गया है ताकि समय पर चार्चशीट फाइल किए जा सकें और मुकदमें दर्ज हों. सभी लंबित मुकदमों की लिस्ट तैयार की जा रही है ताकि ड्रग पेडलरों पर शिकंजा कसता रहे. पीआईटी, एनडीपीएस एक्ट 1988 के तहत कई बड़े ड्रग माफियाओं पर मुकदमें दर्ज हो रहे हैं ताकि उन्हें जमानत तक नहीं मिल सके. इस कानून के तहत एनएसए एक्ट की तर्ज पर एक साल की बिना बेल मिले कैद जिसे दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. जाहिर है कि सीएम बीरेन सिंह सरकार ड्रग्स माफियाओं को एक कड़ा संदेश दे रही है कि ये जंग और तेज होगी. ड्रग्स पैडलरों के रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ड्रग्स के व्यापार और उसकी सप्लाई में लगे लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था और पुनर्वास के लिए भी योजनाएं लागू कर रही है. रोजगार नहीं मिलने के कारण गावों के लोग अफीम की गौरकानूनी खेती में नहीं लगें इसके लिए उन इलाकों में सरकार नई योजनाए बना कर उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था देने की कोशिश कर रही है. सरकार ने जिला स्तर पर समिति बनाई है जो आबादी के साथ साथ सही योजना की पहचान कर ड्रग्स से दूर जा रहे लोगों को वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था पर नजर रखेगी. इसमें हॉर्टीकल्चर, पॉल्ट्री, फूल, मधुमक्खी पालन, बीजेपी सरकार स्थानीय वस्तुओं को सीधा बाजार से जोडने की तैयारी कर रही है. कॉऑपरेटिव सोसाइटी बनायी जा रही हैं ताकि आर्थिक गतिविधियां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम है ड्रग्स मुक्त मणिपुर मणिपुर की सरकार और प्रशासन जानता है कि बिना जन समर्थन और मुख्य स्टेक होल्डरों से चर्चा किए बिना वॉर ऑन ड्रग्स 2.0 सफल नहीं होगा. खास कर युवा वर्ग का समर्थन जरूरी है जो इस मुहिम में सबसे बड़ा स्टेक होल्डर है. इसलिए सरकार ने पहले चरण में पहाड़ी जिलों के 70 स्थानों पर जनजागरण अभियान शुरू किया. इसलिए इसके उद्घाटन के लिए भी चुना गया एक लोकप्रिय फुटबॉल टुर्नामेंट को जिसमें राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे थे और शीर्ष पुलिस अधिकारी मौजुद रहे. इसी दिशा में जब पीएम मोदी सरकार ने तय किया कि पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाना है तो थीम भी चुनी गई ड्रग्स मुक्त मणिपुर. कई रणनीतियों पर भी राज्य सरकार काम कर रही है ताकि वहां के युवाओं को ड्रग्स से मुक्त रखा जा सके. सोशल मीडिया कैंपेन भी शुरु किया गया जिसमें ट्वीटर और फएसबुक पेज पर वॉर ऑन ड्रग्स में मणिपुर सरकार की हर रोज की उपलब्धियों का जिक्र रहता है. ड्रग्स के खिलाफ जंग में मोदी सरकार और मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह की व्यक्तिगत पहल ने ड्रग्स के खिलाफ इस जंग में धार डाल दी है. इसके नतीजे भी मिलने लगे हैं. ड्रग्स माफिया को संदेश साफ है कि मणिपुर को अंतराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करी के जाल से निकालने की मुहिम चल पड़ी है और एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार इस मुहिम में सभी स्टेकहोल्डर्स और आम आदमी को शामिल कर इसे जन आंदोलन का रुप दे रही है ताकि इन ड्रग्स माफियाओं को मणिपुर मे घुसने की जगह नही मिले. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Drugs case, ManipurFIRST PUBLISHED : June 20, 2022, 19:26 IST