दोनों पैर पोलियो के शिकार कंधे पर लदकर जाते थे स्कूलआज संवार रहे हैं बचपन
दोनों पैर पोलियो के शिकार कंधे पर लदकर जाते थे स्कूलआज संवार रहे हैं बचपन
Success Story: दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो कभी हौसला नहीं हारते और इन्हें देखकर अन्य लोग प्रेरित होते हैं. सोचिए, जो बचपन से चल नहीं पाता हो, जिसके दोनों पैर पोलियो के शिकार हों, फिर भी दुनिया के लिए एक मिसाल बन जाए. आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके दोनों पैर बेजान हैं, लेकिन उनके हौसलों में बहुत जान है.
Success Story: उन्होंने कभी हार नहीं मानी. बचपन में वह दूसरों के कंधों पर लदकर पढ़ने जाते थे, लेकिन आज उन्होंने पूरे देश में 1100 से अधिक ‘बचपन’ स्कूल खोल दिए हैं, जहां हजारों बच्चे पढ़ाई करते हैं. इस शख्स का नाम अजय गुप्ता है, जो ‘बचपन प्ले स्कूल’ के संस्थापक हैं. अजय गुप्ता बताते हैं कि 70 के दशक की बात है. जब वह लगभग 9 महीने के थे, तब उन्हें अचानक तेज बुखार हुआ. घर वाले कुछ समझ पाते तब तक वह पोलियो के शिकार हो गए. अजय कहते हैं कि वह तो छोटे थे, उन्हें कुछ समझ नहीं आया, लेकिन बाद में बताया गया कि उस समय पोलियो की कोई दवा नहीं थी. पोलियो ने ऐसा हमला किया कि कमर के नीचे दोनों पैर बेजान हो गए. घर वालों ने कई जगह इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन बहुत फायदा नहीं मिला.
मास्टरजी ने बदल दी जिंदगी
अजय गुप्ता बताते हैं कि उनके दादाजी मिठाई की दुकान चलाते थे. एक दिन एक सरकारी स्कूल के मास्टरजी आए और अजय को दुकान पर बैठे देख स्कूलिंग के बारे में बातचीत शुरू कर दी. घरवालों ने कहा कि अजय दोनों पैरों से चल नहीं पाते, इसलिए पढ़ाई नहीं कर सकते. मास्टरजी ने समझाया कि उनके पैरों में कुछ हुआ है, दिमाग में नहीं, इसलिए उन्हें स्कूल भेजना शुरू किया जाए.
कंधे पर लदकर जाते थे स्कूल
अजय गुप्ता बताते हैं कि मास्टरजी की बात घरवालों को समझ आई और वह किसी के कंधे पर लदकर स्कूल जाने लगे. उन्होंने तीसरी कक्षा से पढ़ाई शुरू की और फिर पढ़ाई में कदम नहीं रोके. बाद में वह व्हीलचेयर से स्कूल-कॉलेज आने-जाने लगे. इस तरह उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. अजय कहते हैं कि जिंदगी में बहुत उतार चढ़ाव देखे, लेकिन हौसला नहीं हारा.
बिजनेस में कैसे आए
दिव्यांग होने के बावजूद अजय गुप्ता के इरादे कुछ अलग करने के थे. उन्होंने घरवालों से बिजनेस करने की इच्छा जताई. पहले तो घरवाले तैयार नहीं हुए, लेकिन बाद में मान गए. अजय ने सबसे पहले हार्डवेयर का बिजनेस शुरू किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर शिक्षा में कदम रखा और कंप्यूटर कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला, जिसकी शाखाएं कई शहरों में खुल गईं, हालांकि, सरकार द्वारा कॉलेजों में कंप्यूटर शिक्षा की अनुमति मिलने के बाद यह बिजनेस भी ठप हो गया.
कैसे आया ‘बचपन’ का आइडिया
अजय गुप्ता बताते हैं कि जब वह अपनी बेटी के लिए प्ले स्कूल ढूंढ़ने गए, तो उन्हें ढंग का कोई प्ले स्कूल नहीं मिला. इससे उन्हें इस बिजनेस का आइडिया आया. उन्होंने 2004 में ‘एसके एजुकेशंस’ के नाम से कंपनी बनाई और ‘बचपन’ स्कूल की नींव रखी. आज देशभर में लगभग 1100 से अधिक ‘बचपन’ प्ले स्कूल की फ्रेंचाइजी चल रही हैं, जिसमें हजारों बच्चे पढ़ते हैं. अजय गुप्ता ने 2009 में ‘अकादमिक हाइट्स पब्लिक स्कूल’ और 2015 में ‘रीषिहुड यूनिवर्सिटी’ की भी स्थापना की है. अजय गुप्ता ने अपनी दिव्यांगता के बावजूद कभी हार नहीं मानी और करोड़ों का कारोबार खड़ा कर लिया है.
Tags: Amazing story, Business news, Delhi School, Education news, Success StoryFIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 08:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed