भारत के Youngest रेसर 4 साल की उम्र से चला रहे हैं बाइक

चार साल की उम्र से चला रहे हैं बाइक ... आज देश के टॉप 5 मोटरसाइकिलिस्ट में हैं शुमार. शरीर को फिट रखने के लिए रोज़ाना करते हैं 2 घंटे एक्सर्साइज़ और महीने में 10 दिन करते हैं बाइक राइडिंग का अभ्यास.

भारत के Youngest रेसर 4 साल की उम्र से चला रहे हैं बाइक
प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती है, कोई भी इसे दृढ़ संकल्प और मेहनत से विकसित कर सकता है. छोटी सी छोटी उम्र में कुछ बच्चे ऐसे कारनामे कर दिखाते हैं कि देखने वाले दातों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं. आज हम आपके लिए जिस बच्चे की कहानी लाए हैं वह हैं सपनों की नगरी मुंबई के निवासी जो दिन-रात बस रफ़्तार भरे सपने देखते हैं.  हम बात कर रहे हैं देश के सबसे कम उम्र के ‘मोटोक्रॉस रेसर’ रहीश खत्री की,  जिनके रग-रग में दौड़ता है रफ़्तार का रोमांच. न्यूज 18 ने बातचीत की रहीश खत्री और उनके पिता मुदस्सर खत्री से. हमारे साथ चर्चा के दौरान वह विस्तार से बताते हैं अपने  रफ़्तार से भरे रोमांचक सफ़र के बारे में. हमसे बातचीत के दौरान उनके पिता मुदस्सर खत्री बताते हैं कि जहां बाकी बच्चों का पहला शब्द ‘मां या पापा’ होता है वहीं रहीश की जुबान से निकला पहला शब्द ‘व्रूम-व्रूम’ था. वह कहते हैं कि बाल आयु से ही गति रहीश को काफ़ी उत्तेजित करती है. आपको बता दें कि रहीश को गति का खुमार विरासत में उनके पिता मुदस्सर खत्री से मिला है. वह कहते हैं कि बचपन में अगर रहीश सो भी रहा होता था तो बाइक की आवाज़ से उसकी नींद खुल जाती थी और यही नहीं वह बाइक की आवाज़ सुनकर उसके मॉडल का भी अंदाज़ा लगा सकता है. कैसे हुई इस रफ़्तारपूर्वक सफ़र की शुरुआत ?     मुदस्सर बताते हैं कि वह खुद एक मोटोक्रॉस रेसर थे और उनको देखकर ही रेसिंग में रहीश की रुचि उत्पन्न हुई. रहीश केवल चार साल के थे जब उन्होंने पहली बार अपने पिता से रेसिंग के बारे में प्रश्न पूछना शुरू किया था. उनके पिता कहते हैं कि उन्हें आज भी साफ़ तौर पर वह दिन याद है जब रहीश ने उनसे पूछा था कि क्या वह भी एक दिन इंडिया के लिए रेसिंग कर सकते हैं. इस मासूम से सवाल के साथ ही शुरू हुआ रहीश के रेसिंग का सफ़र. चार साल की उम्र में मिली पहली बाइक –    रहीश के पिता के मुताबिक रहीश को उनकी पहली बाइक चार साल की उम्र में ही मिल गई थी और दो सालों के निरंतर अभ्यास और कड़ी मेहनत के बाद छह साल की उम्र में उन्होंने उसी बाइक से रेसिंग की शुरुआत भी कर दी थी. वह कहते हैं कि उनके बेटे ने जिस बाइक के साथ रेसिंग की शुरुआत की थी उसका वजन कम से कम रहीश के वजन से तीन गुना ज़्यादा था. कहां से लिया प्रशिक्षण ? मुदस्सर खुद एक रेसर थे जिसके बदौलत शुरुआती दिनों में रहीश को किसी ट्रेनर की ज़रुरत नहीं पड़ी. रहीश अपने पिता मुदस्सर को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं और उन्होंने अपना शुरुआती प्रशिक्षण भी अपने पिता से ही प्राप्त किया है. उनके पिता ना सिर्फ उनके प्रेरणास्रोत हैं बल्कि उनके कोच और उनके सबसे बड़े फैन भी हैं. यहां तक की रहीश की बाइक के मेकैनिक भी वह खुद ही हैं. कई सालों तक पिता से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उनका दाखिला हुआ होंडा रेसिंग इंडिया और टेन10 रेसिंग के प्रशिक्षण केंद्र में. अब भले ही उनको प्रशिक्षित करने का जिम्मा होंडा रेसिंग इंडिया ने उठा लिया है लेकिन अब भी उनका पूरा प्रशिक्षण उनके पिता की निगरानी में ही होता है. कितना होता है प्रशिक्षण पर खर्च मुदस्सर बताते हैं कि रहीश के प्रशिक्षण का सालाना खर्च करीबन 6 लाख रुपए आता है. कैसे होती है ट्रेनिंग? शरीर को स्वस्थ और फुर्तीला बनाए रखने के लिए रहीश कठिन परिश्रम करते हैं. रोज़ाना अभ्यास रहीश की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है.  वह प्रतिदिन जिम में 2 घंटे निरंतर अभ्यास करते हैं और इसके अलावा हर महीने कम से कम दस दिन मोटरसाइकिल को समर्पित करते हैं जो उनकी बाइक राइडिंग कौशलता को बढ़ाता है और साथ ही उनकी तैयारी को मुकम्मल करता है. यह दस दिन बाइक राइडिंग को समर्पित करके रहीश और मुदस्सर यह सुनिश्चित करते हैं कि वह आने वाले किसी भी प्रतियोगिता के लिए हमेशा तत्पर रहें. पिता ने दी  सपनों की कुर्बानी ताकि बेटा भर सके अपने सपनों की उड़ान… बच्चे अपने सपनों की उड़ान भर सके इसके लिए माता-पिता आजीवन ना जाने अपने कितने सपनों को कुर्बान करते हैं.  निस्वार्थ पुत्र प्रेम की एक ऐसी ही मिसाल कायम की है मुदस्सर खत्री ने.  उन्होंने अपने बेटे की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए खुशी-खुशी कुर्बान कर दिया अपने जीवन का एक मात्र लक्ष्य. आपको बतादें कि मुदस्सर खुद एक बेहतरीन रेसर थे और उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य रेसिंग थी. उन्होंने रेसिंग के बिना अपने जीवन की कभी कल्पना भी नहीं की थी पर उनका जुनून उनके बेटे के सपनों की राह में रुकावट ना बन जाए इस डर से उन्होंने हमेशा के लिए छोड़ दी रेसिंग. उनके मुताबिक जब वह रेसिंग के लिए जाते तो उनके बेटे के प्रशिक्षण में बाधा उत्पन्न होती थी.  उनके एक दिन की रेसिंग का मतलब था की रहीश की एक दिन की ट्रेनिंग का नुकसान. उनके सपने उनके बेटे के भविष्य में बाधा उत्पन्न ना करें इस कारण उन्होंने अपनी सबसे प्रिय चीज़ कुर्बान करने का निर्णय लिया और रेसिंग छोड़ रहीश की ट्रेनिंग को समर्पित किया अपना सारा समय. अब तक कौन–कौन सी प्रतियोगिता में लिया है भाग?      रहीश ने अब तक होंडा टैलेंट कप और डर्ट ट्रैक प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है.  2021 में वह होंडा रेसिंग राइडर चेन्नई चैंपियनशिप में शीर्ष 6 रेसर में शामिल हुए थे. इसके अलावा 2018 में उन्होंने दुबई मोटोकार रेसर में भारत की नुमाइंदगी की थी जहां उनका मुकाबला विश्व के शीर्ष 19 रेसर से हुआ था. इस मुकाबले में उन्होंने छठा स्थान हासिल किया था. 2018 में ही उन्हें सबसे कम उम्र के ड्रैग रेसर की उपाधि से नवाज़ा गया और वह  शीर्ष 5 भारतीय मोटरसाइकिलिंग महारथियों में सूचीबद्ध हुए. रहीश भले ही गति के दीवाने हों लेकिन वह रेसिंग के दौरान सुरक्षा का भी रखते हैं पूरा ख्याल. रेसिंग में उच्च गति शामिल होने के कारण उनके परिवार के लिए उनकी सुरक्षा ज़रूर एक चिंता का विषय है पर वह कहते हैं कि अन्य खेलों की तरह मोटो रेसिंग के भी नियम और कानून हैं. और साथ ही वह अपनी तरफ़ से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सबसे अच्छी क्वालिटी के राइडिंग गियर का उपयोग करते हैं. भविष्य की नीति– भविष की योजना के बारे में पूछने पर मुदस्सर कहते हैं कि रहीश के जीवन का एकमात्र उद्देश्य है मोटो जीपी चैंपियनशिप में हिस्सा लेना और इस चैंपियनशिप को जीत कर वह मोटर सपोर्ट में भारत का परचम लहराना चहते  हैं.  लेकिन मोटो जीपी तक पहुंचने से पहले वह एशिया टैलेंट कप और मोटो 3 में जीत दर्ज करना चाहते हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Inspiring story, up24x7news.com Hindi OriginalsFIRST PUBLISHED : August 26, 2022, 13:56 IST