इस ग्राम पंचायत को कहते हैं पुस्तकालयों का गांव हर वार्ड में एक लाइब्रेरी की कोशिश

इस पंचायत के 15 पुस्तकालयों को केरल सरकार द्वारा मान्यता हासिल है. पंचायत में दो और पुस्तकालय हैं, जिन्हें अभी तक मान्यता हासिल नहीं है. हर वार्ड में एक पुस्तकालय खोलने के लिए आने वाले दो सालों का लक्ष्य रखा है. फिलहाल पंचायत के 14 वार्ड्स में पुस्तकालय हैं.

इस ग्राम पंचायत को कहते हैं पुस्तकालयों का गांव हर वार्ड में एक लाइब्रेरी की कोशिश
केरल के एर्नाकुलम ज़िले की तिरुवनियूर ग्राम पंचायत को पुस्तकालयों का गांव भी कह सकते हैं. इस छोटे सी ग्राम पंचायत में कुल 15 पुस्तकालय हैं. सबसे ज़्यादा पुस्तकालय के मामले में तिरुवनियूर पूरे राज्य में दूसरे पायदान पर है. कन्नूर ज़िले का मेयिल गांव कुल 40 पुस्तकालयों के साथ पहले पायदान पर है. तिरुवनियूर ग्राम पंचायत के अध्यक्ष सी.आर. प्रकाश ने न्यूज 18 से अपनी पंचायत की इस बेहद सराहनीय पहल के बारे में कुछ अहम जानकारी साझा की. सी.आर. प्रकाश बताते हैं कि उनकी ग्राम पंचायत का मुख्य मकसद है पंचायत के हर वार्ड में एक पुस्तकालय (लाइब्रेरी) खोलना. इसके लिए ग्राम सभा और पंचायत कमेटी की बैठक भी बुलाई गई थी. इन पुस्तकालय द्वारा हम लोगों की शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना चाहते हैं. इन पुस्तकालयों में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहते हैं जिससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें. पहले से मौजूद पुस्तकालयों की आधारिक संरचना में भी हम सुधार कर रहे हैं. हमने मुफ़्त किताबें बांटने का भी सोचा है जिसके लिए हम अपने पंचायत फंड का इस्तेमाल करेंगे. इस पंचायत के पंद्रह पुस्तकालयों को केरल सरकार द्वारा मान्यता हासिल है. इसके अलावा इस पंचायत में और दो पुस्तकालय हैं जिन्हें अभी तक मान्यता हासिल नहीं है. वह बताते हैं कि उन्होंने हर वार्ड में एक पुस्तकालय खोलने के लिए आने वाले दो सालों का लक्ष्य रखा है. फिलहाल पंचायत के 14 वार्ड्स में पुस्तकालय हैं. केवल 2 ऐसे वार्ड हैं जहां अभी तक पुस्तकालय नहीं है. सी.आर. प्रकाश के मुताबिक आने वाले कुछ सालों में इन वार्ड्स में भी पुस्तकालय स्थापित कर दिए जाएंगे. मौजूदा पुस्तक संग्रह सी.आर. प्रकाश पुस्तकालयों के संग्रह का विवरण देते हुए बताते हैं कि अभी हर पुस्तकालय में 1000-3000 किताबें हैं. कुल मिलाकर अब तक पैंतीस से चालीस हज़ार किताबें एकत्रित हुई हैं. हम किताबों के इस संग्रह को बढ़ाने की लगातार कोशिश करते रहते हैं. जब भी राज्य में पुस्तक मेला होता है तो हम उसमें भाग लेते हैं और कई विक्रेताओं से संपर्क करते हैं. इनमें से कुछ विक्रेता हमें कम दामों में किताबें बेचते हैं. हम ज़्यादातर थोक विक्रेताओं से किताबें खरीदते हैं. किताबों का संग्रह बढ़ाने के और भी कई स्रोत हैं जैसे कई बार कभी किसी पब्लिकेशन से प्रायोजन के माध्यम से कई पुस्तकें प्राप्त होती हैं. हम सामूहिक गृह संग्रह अभियान भी चलाते हैं. जहां आम लोग पुस्तकें दान कर सकते हैं. इस अभियान में लोगों का बहुत योगदान रहता है, इसमें लगभग हर वार्ड के लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और अक्सर अपनी काफ़ी सारी पुरानी किताबें दान करते हैं. कुछ लोग तो नई किताबें भी दान करते हैं. पंचायत की इस पहल को लेकर सारे निवासी काफ़ी उत्साहित रहते हैं. पुस्तकालय से जुड़े हर आयोजन में लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. पुस्तकालयों का प्रबंधन सी.आर. प्रकाश बताते हैं कि प्रत्येक पुस्तकालय की अपनी प्रशासनिक समिति होती है जो पुस्तकालयों का प्रबंधन करती है. पंचायत स्तर पर हमारे पास पुस्तकालयों के कामकाज का मूल्यांकन करने के लिए ग्राम पंचायत पुस्तकालय परिषद है. पंचायत की इस पहल को लेकर सारे निवासी काफ़ी उत्साहित हैं. पुस्तकालय से जुड़े हर आयोजन में लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. किताबों का डिजिटल प्रतिद्वंद्वी इस डिजिटल युग में ये पुस्तकालय अपने प्रतिद्वंद्वी के सामने कैसे टिकेंगे पूछने पर सी. आर. प्रकाश कहते हैं, “इस डिजिटल युग में पुस्तक पढ़ने का चलन काफ़ी तेज़ी से गायब हो रहा है, ज़्यादातर पुस्तकालय बंद हो रहे हैं और जो मौजूद हैं अब उनमें ज़्यादा लोग नहीं आते हैं. ऐसे समय में हमने इतने सारे नए पुस्तकालय खोलने का निर्णय लिया क्योंकि अब इस डिजिटल युग में पुस्तक और पुस्तकालय का अस्तित्व बचाना और भी आवश्यक हो गया है. उनके मुताबिक व्यक्तियों के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए पुस्तकालयों का कार्यशील होना बहुत आवश्यक है. एक व्यक्ति के लिए तकनीकी विकास जितना महत्वपूर्ण होता है सांस्कृतिक और सामाजिक विकास भी उतना ही ज़रूरी होना चाहिए.” सरकारी सहायता के बारे में बताते हुए वह कहते हैं, “सरकार हमेशा से ही इस कार्य में सहायक रही है. स्थानीय निकाय से संपत्ति कर के साथ एकत्रित पुस्तकालय उपकर का उपयोग पुस्तकालयों के विकास के लिए किया जाता है.” पुस्तकालयों की देख रेख प्रकाश के मुताबिक ये सारे पुस्तकालय केवल नाम के लिए नहीं बनाए गए हैं बल्कि इनका मकसद है लोगों को जागरूक करना और उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना. वह कहते हैं, “इन पुस्तकालयों की स्थापना के पीछे का असल मकसद पूर्ण हो सके इसके लिए हमें उचित कार्यान्वयन निश्चित करना होगा.” पुस्तकालयों के संरक्षण के लिए इस वर्ष आवंटित किया जाएगा बजट पंचायत अध्यक्ष के मुताबिक तिरुवनियूर ग्राम पंचायत इस वर्ष 2022-2023 की वार्षिक योजना में ग्राम पंचायत के अंतर्गत जितने पुस्तकालय हैं उन सब के लिए धनराशि आवंटित करने जा रही है. इस धनराशि का प्रयोग विभिन्न नई पुस्तकों के संग्रह और पुस्तकालयों की अधोसंरचना सुविधा को बढ़ाने के लिए किया जाएगा. भविष्य की योजना प्रकाश कहते हैं कि कमेटी के सभी सदस्यों ने ये तय किया है कि इन पुस्तकालयों के माध्यम से छात्रों को ट्यूशन और करियर मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा. कई छात्र आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण महंगे कोचिंग क्लाससेस में नहीं जा पाते हैं. इसलिए हमने यह निर्णय लिया है कि हम उन्हें पुस्तकालय में ही ट्यूशन देंगे. साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही युवा पीढ़ी की मदद के लिए पुस्तकालयों की सुविधाओं को और उन्नत करने के लिए जन अभियानों और प्रायोजनों के माध्यम से आवश्यक धन जुटाने का प्रयास करेंगे. इसके अलावा तिरुवनियूर ग्राम पंचायत का उद्देश्य आम जनता और पुस्तकालयों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करना है साथ ही नई पीढ़ी को किताबों की अहमियत समझाना है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले 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