नालंदा विश्वविद्यालय: मोदी की कोशिश से शिक्षा का एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र बना

Nalanda University: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 जून 2024 को बिहार के राजगीर स्थित नालंदा के प्राचीन खंडहरों के पास मौजूद अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय का एक नया परिसर देश को समर्पित करेंगे. इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री जयशंकर और भागीदार 17 देशों के राजदूतों के शामिल होने की उम्मीद है.

नालंदा विश्वविद्यालय: मोदी की कोशिश से शिक्षा का एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र बना
Nalanda University: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 19 जून 2024 को बिहार के राजगीर स्थित नालंदा के प्राचीन खंडहरों के पास मौजूद अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, नालंदा विश्वविद्यालय का एक नया परिसर देश को समर्पित करेंगे. इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री जयशंकर और भागीदार 17 देशों के राजदूतों के शामिल होने की उम्मीद है. इस अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में भारत के साथ ही 17 अन्य देशों की भागीदारी भी है- ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कम्बोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरिशस, म्यांमार, न्यूज़ीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाइलैंड और वियतनाम. इन देशों ने इस विश्वविद्यालय के समर्थन में एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना भारतीय संसद के नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी. यह अधिनियम दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन फ़िलीपींस, 2007 में नालंदा विश्वविद्यालय को बौद्धिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अध्ययन के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थान के रूप में स्थापित करने और चौथे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, थाइलैंड, 2009 में लिए गए निर्णयों को लागू करने का आधार बना. इस विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी जगह से काम करना शुरू किया था. विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ. हालांकि, इस विश्वविद्यालय की स्थापना का फ़ैसला 2010 में लिया गया था, लेकिन इस संस्थान की स्थापना को वास्तविक गति 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिली, जब विश्वविद्यालय को शिक्षा और अध्ययन के एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए बड़ा क़दम उठाया गया, जो 21वीं सदी की दुनिया को प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की महानता की याद दिलाए. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में हुई थी, जिसने दुनिया भर से छात्रों को अपनी ओर आकर्षित किया. 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों के ज़रिए जला दिए जाने से पहले यह प्राचीन विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक उन्नति करता रहा. यह विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृतियां (स्कॉलरशिप) प्रदान कर रहा है. इसमें आसियान-भारत फंड, बिम्सटेक स्कॉलरशिप और विदेश.मत्रालय के ज़रिए दिया जाने वाला भूटान स्कॉलरशिप शामिल हैं. यह विश्वविद्यालय पोस्ट ग्रैजुएट और डॉक्टरेट रिसर्च पाठ्यक्रम और शार्ट टर्म सर्टिफ़िकेट कोर्स प्रदान करता है. पिछले तीन शैक्षणिक वर्षों में स्नातकोत्तर के लिए छात्रों की संख्या इस प्रकार रही हैः 2021-22: 220 छात्र जिसमें 51 भारतीय और 169 अंतरराष्ट्रीय थे. 2022-23: 228 छात्र जिसमें 55 भारतीय और 173 अंतरराष्ट्रीय और मौजुदा सत्र 2023-24 में 322 छात्र 69 भारतीय और 253 अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं. शैक्षणिक वर्ष 2022-24, 2023-25 में पीजी और पीएचडी 2023-27 में नामांकित अंतरराष्ट्रीय छात्रों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, घाना, इंडोनेशिया, केन्या, लाओस, लाइबेरिया,म्यांमार, मोज़ाम्बिक, नेपाल, नाइजीरिया, कॉन्गो गणराज्य, दक्षिण सूडान, श्रीलंका, सर्बिया, सिएरा लियोन, थाइलैंड, तुर्की, युगांडा, अमेरिका, वियतनाम और ज़िम्बाब्वे के छात्र शामिल रहे हैं. इसमें छह स्कूल हैं, द स्कूल ऑफ़ बुद्धिस्ट स्टडीज़, फ़िलॉसफ़ी ऐंड कम्पेयरटिव रिलिजन्स; द स्कूल ऑफ़ हिस्टॉरिक स्टडीज़; द स्कूल ऑफ़ इकोलॉजी ऐंड एनवायरमेंटल स्टडीज़; द स्कूल ऑफ़ स्सटेनबल डेवलपमेंट ऐंड मैनेजमेंट; द स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज़ ऐंड लिटरेचर; और द स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल रिलेशंस ऐंड पीस स्टडीज़, जो कि अभी शुरू होना बाकी है. विश्विध्यालय में छह सेंटर हैं, द सेंटर फ़ॉर बे ऑफ़ बंगाल स्टडीज़, सेंटर फ़ॉर इंडो-पर्सियन स्टडीज़, सेंटर फ़ॉर कॉन्फ़्लिक्ट रिज़ॉल्यूशन ऐंड पीस स्टडीज़ और एक आर्काइव संसाधन केंद्र भी मौजूद है. साथ ही यहां 3 लाख क़िताबें रखने की क्षमता और 3000 यूजर्स को सेवाएं प्रदान करने वाली लाइब्रेरी का निर्माण सितंबर 2024 तक पूरा होने वाला है. अब तक यहां 40 कक्षाओं वाले 2 शैक्षणिक ब्लॉक, जिसकी कुल बैठने की क्षमता 1,890 है, 2 प्रशासनिक ब्लॉक, 300 से अधिक बैठने की क्षमता वाले 2 पूरी तरह से कार्यरत सभागार (ऑडिटोरियम), लगभग 550 छात्रों की क्षमता वाले छात्रावास और 197 शैक्षणिक आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है. इसके अतिरिक्त, इस परिसर में एक गेस्ट हाउस है, एक इंटरनेशनल सेंटर, 1,000 लोगों की क्षमता वाला एक सेंट्रल डाइनिंग, 2000 लोगों की क्षमता वाला एक एम्फ़िथियेटर, 250 लोगों की क्षमता वाला एक योग सेंटर, एक खेल परिसर, एक मेडिकल सेंटर, कॉमर्शियल सेंटर और फ़ैकल्टी क्लब जैसी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं. खिलजी ने किस खुन्नस में नालंदा यूनिवर्सिटी पर किया हमला? 3 महीने तक जलती रहीं किताबें एक 6.5 मेगावाट डीसी ऑन-ग्रिड सोलर प्लांट, एक 500 केएलडी घरेलू और पेयजल ट्रिटमेंट प्लांट, और डीईडब्ल्यूएटी के उपयोग से वेस्टवाटर (अपशिष्ट जल) को फिर से उपयोग में लाने योग्य बनाने वाला एक 400 केएलडी वाटर रिसाइकिल प्लांट के साथ नालंदा विश्वविद्यालय एक ‘नेट ज़ीरो’ ग्रीन कैम्पस है. इस ग्रीन कैंपस में 100 एकड़ में फैले जलाशय भी हैं. यहां काम कर रहे 6.5 मेगावाट डीसी ऑन-ग्रिड सोलर प्लांट के अलावा एक 1.2 मेगावाट का बायोगैस पर आधारित एसी वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट भी तैयार किया जा रहा है जो अपने निर्माण के अंतिम चरण में है. पीएम मोदी की कोशिश ही यही रहती है कि प्राचीन भारतीय संस्कृति को आगे बढा कर भारत विश्व गुरू बने. नालंदा विश्वविध्यालय इसी परंपरा की एक कडी है जिसकी स्वर्णिम परंपरा दुनिया भर के देशों को एक सूत्र में जोडने का आम कर रही है. Tags: Bihar News, Nalanda University, Pm narendra modi, PM Narendra Modi NewsFIRST PUBLISHED : June 18, 2024, 14:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed