मेरे पिताजी राजा थे अब कोई राजा नहींआरपीएन सिंह का किस पर कटाक्ष
मेरे पिताजी राजा थे अब कोई राजा नहींआरपीएन सिंह का किस पर कटाक्ष
संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में कृषि पर चर्चा करते हुए कभी राहुल गांधी के करीबी रहे आरपीएन सिंह ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, मेरे पिताजी राजा थे, लेकिन अब कोई राजा नहीं है. ये कमल का उपहास उड़ाते हैं, कमल सद्बुद्धि देती है.
‘जो लोग कभी खेत में नहीं गए, वे आज खेती का गुणागणित बता रहे हैं. मेरे पिताजी राजा थे, लेकिन अब कोई राजा नहीं…’ कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी रहे बीजेपी सांसद आरपीएन सिंह ने इन्हीं शब्दों के साथ विपक्ष पर जोरदार हमला बोला. राज्यसभा में कृषि पर चर्चा के दौरान उन्होंने विपक्षी सांसदों से ही कई सवाल पूछ डाले. कहा, वे लोग किसानी की बात कर रहे हैं, जिनको तोरा और तोरी में फर्क नहीं पता चलता. इनका रंग क्या होता, उसके बारे में भी नहीं बता पाएंगे.
आरपीएन सिंह ने कहा, ‘तीसरी बार हारने के बाद आज अन्नदाता, एमएसपी, पिछड़ा और दलित, ये सब इनको याद आने लगा है. क्योंकि इन्हीं लोगों ने इनको तीसरी बार विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर किया है. इन लोगों ने बहुत बातें कहीं, लेकिन क्या बताएंगे कि 2013-14 में खेती के लिए इन्होंने बजट कितना दिया था. सिर्फ 21934 करोड़, और आज कितना है.. 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा. यानी पांच गुना.’ आरपीएन सिंह ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश से भी पूछ डाला. आपको सुनाई दिया या नहीं, पांच गुना.
गेहूं कटेला तो कुछ घरवा पर…
बीजेपी नेता आरपीएन सिंह ने कहा, ‘ये कहते हैं कि गेहूं एमएसपी पर कम खरीदा. इन्हें नहीं पता कि किसान कटाई के बाद सालभर का गेहूं पहले अपने पास रख लेता है. लेकिन इन्हें नहीं पता, क्योंकि ये कभी गेहूं बोए हों तब तो.’ भोजपुरी में उन्होंने सवाल करते हुए कहा…’गेहूं कटेला तो कुछ घरवा पर रखल जाला, या कि सब एमएसपी पर बेच दिहल जाला..’ आरपीएन सिंह ने कहा, मैं किसान हूं. खुद खेती करता हूं. तभी कुछ सदस्य जोर-जोर से चिल्लाने लगे कि आप तो राजा हैं… आप खेती कैसे करेंगे. इस पर आरपीएन सिंह ने कहा, हां मेरे पिताजी थे राजा. अब कोई राजा नहीं है. आप अपने को राजा बनाते रहो.
ये लोग भ्रम की राजनीति कर रहे
आसन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ये लोग भ्रम की राजनीति करना चाहते हैं. इनको बीजेपी से नफरत हो सकती है. अब तो ये कमल को भी गाली देते हैं. इनको मालूम नहीं है कि कमल मां सरस्वती का आसन है. मां सरस्वती सद्बुद्धि देती है. ज्ञान देती है. उसकी कमी इन लोगों में नजर आती है. इसीलिए कमल को गाली देते हैं. इन्हें खेती से कोई मतलब नहीं.
Tags: BJP, Parliament sessionFIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 19:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed