ऐसे कैसे जीतेंगे मेडल खिलाड़ियों को अच्छी गुणवत्ता के खेल उपकरणों का इंतजार

खिलाड़ियों का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में उपकरण उपलब्ध नहीं हैं. लगातार कहने के बाद भी अधिकारी नहीं सुनते हैं. काफी लोग अपने निजी खर्च से ही सामान लाकर खेलते हैं और प्रैक्टिस करते हैं.

ऐसे कैसे जीतेंगे मेडल खिलाड़ियों को अच्छी गुणवत्ता के खेल उपकरणों का इंतजार
पीयूष शर्मा, मुरादाबाद. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के स्टेडियम में खिलाड़ियों का खेल की ओर रुझान बढ़े, इसके लिए उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए किसी भी तरीके से दिक्कतों का सामना न करना पड़े इस उद्देश्य से हर साल खेल निदेशालय की ओर से खिलाड़ियों के लिए खेल उपकरण खरीदने के लिए बजट जारी होता है, लेकिन स्टेडियम में खेल उपकरण आने से पहले बाजारों में कमीशन का खेल शुरू हो जाता है. यही कारण है कि खिलाड़ियों के लिए उपकरण खरीदे तो जाते हैं, लेकिन वो अच्छी गुणवत्ता के नहीं होते हैं. यह आरोप खिलाड़ियों ने लगाए हैं. कई बार खेलते हुए हॉकी स्टिक टूट जाती है, हैंडबॉल और बास्केटबॉल फट जाती है. खिलाड़ियों का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में उपकरण उपलब्ध नहीं हैं. लगातार कहने के बाद भी अधिकारी नहीं सुनते हैं. काफी लोग अपने निजी खर्च से ही सामान लाकर खेलते हैं और प्रैक्टिस करते हैं. वालीबॉल, बास्केटबाल, हॉकी, बॉक्सिंग, फुटबाल समेत 8 खेलों के कैंप चल रहे हैं, लेकिन किसी भी खेल में खिलाड़ियों के लिए खेल उपकरण पर्याप्त नहीं हैं. क्रिकेट, बॉक्सिंग और बैडमिंटन खेलने वाले अधिकांश खिलाड़ी अपनी किट लेकर ही पहुंचते हैं. ऐसे में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीतना तो दूर, सोचना भी मुश्किल है. सिर्फ बिल्डिंग बनाने पर पैसा खर्चने से अच्छे परिणाम संभव नहीं हैं. खिलाड़ि‌यों को सुविधाएं देना जरूरी है. बॉक्सिंग के खिलाड़ि‌यों का कहना है कि उन्हें आज तक कभी ग्लव्स तक नहीं दिए गए हैं. यहां तक कि 60 रुपये की रोप तक नहीं मिलती है. बैडमिंटन खिलाड़ियों का कहना है कि उनके पास अभ्यास करने तक के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं हैं. जो संसाधन हैं, वो अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं. हर साल तीन लाख रुपये का आता है बजट वरिष्ठ लिपिक प्रदीप कुमार ने लोकल 18 को बताया कि खेल निदेशालय की ओर से हर साल कैंप होने पर खेल उपकरण खरीदने के लिए तीन लाख रुपये से अधिक का बजट जारी किया जाता है. जबकि, खिलाड़ियों को जो खेल उपकरण विभाग की ओर से खरीदकर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, उनकी कुल कीमत आधी भी नहीं है. वहीं खिलाड़ियों की संख्या के अनुसार उपकरण पर्याप्त भी नहीं हैं. अव्यवस्थाओं का परिणाम क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी प्रेम कुमार ने बताया कि बीते साल राज्य स्तरीय बालिका हैंडबाल प्रतियोगिता हुई थी. स्टेडियम की टीम लगातार तीन मैच हारकर लीग स्टेज से ही प्रतियोगिता से बाहर हो गई. इसके बाद भी खिलाड़ियों को अब तक कोच उपलब्ध नहीं कराया गया. राज्य स्तरीय कुश्ती चैंपियनशिप में भी यही स्थिति रही. इसमें भी मंडल से कोई खिलाड़ी स्वर्ण पदक पर कब्जा नहीं कर सका. राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में भी खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके थे. जिस भी खेल में खिलाडियों को उपकरण की जरूरत पड़ती है, उन्हें उपलब्ध कराया जाता है. प्रयास रहता है कि खेल उपकरण की गुणवत्ता अच्छी हो. Tags: Local18, Moradabad News, Sports news, UP newsFIRST PUBLISHED : June 7, 2024, 15:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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