सरकार देशद्रोह कानून में कर सकती है बदलाव केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
सरकार देशद्रोह कानून में कर सकती है बदलाव केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सोमवार को देशद्रोह कानून में बदलाव करने की बात कही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (ए) के तहत देशद्रोह कानून में बदलाव ला सकती है.
हाइलाइट्सकेंद्र सरकार ने जानकारी दी कि शीतकालीन सत्र के दौरान देशद्रोह कानून में बदलाव किया जा सकता है.सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की.सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सोमवार को देशद्रोह कानून में बदलाव करने की बात कही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (ए) के तहत देशद्रोह कानून में बदलाव ला सकती है. विवादास्पद राजद्रोह कानून और इसके परिणामस्वरूप दर्ज की जाने वाली प्राथमिकियों पर अस्थायी रोक लगाने वाला आदेश बरकरार रहेगा. दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को औपनिवेशिक काल के इस प्रावधान की समीक्षा करने के लिए ‘उपयुक्त कदम’ उठाने के वास्ते सोमवार को अतिरिक्त समय दे दिया.
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट तथा बेला एम त्रिवेदी की पीठ से महान्यायवादी (अटार्नी जनरल) आर वेंकटरमानी ने कहा कि केंद्र को कुछ और वक्त दिया जाए क्योंकि ‘‘संसद के शीतकालीन सत्र में (इस सिलसिले में) कुछ हो सकता है. भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के नेतृत्व वाली शीर्ष अदालत ने जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी. पीठ ने विषय पर दायर कुछ अन्य याचिकाओं पर भी गौर किया और केंद्र को नोटिस जारी कर छह हफ्तों में जवाब मांगा.
बता दें कि इससे पूर्व मई में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जब तक सरकार इस कानून की समीक्षा नहीं करती और जेल में बंद लोग जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं, तब तक विवादास्पद राजद्रोह कानून पर रोक रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक कि सरकार द्वारा कानून की समीक्षा करने की कवायद पूरी नहीं हो जाती.
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र सरकार और राज्यों से धारा 124 ए के तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं करने को कहा था. पीठ ने कहा था कि अगर भविष्य में ऐसे मामले दर्ज किए जाते हैं, तो पक्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं और अदालत को इसका तेजी से निपटान करना होगा. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि जिन लोगों पर पहले से ही आईपीसी की धारा 124ए के तहत मामला दर्ज है और वे जेल में हैं, वे जमानत के लिए संबंधित अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं. (इनपुट भाषा से)
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Tags: Sedition Law, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : October 31, 2022, 18:31 IST