Opinion: बहस करते रहिए मोदी सरकार का सेंट्रल विस्टा आजाद भारत के गौरव का प्रतीक बनेगा
Opinion: बहस करते रहिए मोदी सरकार का सेंट्रल विस्टा आजाद भारत के गौरव का प्रतीक बनेगा
New Parliament Building Project: तमाम राज्यों में चुनावों में हार के बाद हाशिए पर सिमटता जा रहा विपक्ष एक नए मुद्दे को तूल देने की फिराक में था, लेकिन उसका ये प्रयास असफल रहा. अशोक स्तंभ के मूर्तिकार अशोक देवरे ने इस संबंध में विपक्ष के दावों की पोल खोलते हुए कहा कि इसके मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
हाइलाइट्सविपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि नए अशोक स्तंभ में शेर को आक्रामक दिखाया गया है.सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से केंद्र सरकार को हर साल करीब 1 हजार करोड़ रुपये की बचत भी होगी.
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार 11 जुलाई को संसद के नए भवन (New Parliament Building) की छत पर 20 फीट ऊंचे अशोक स्तंभ का अनावरण किया. हाशिए की राजनीति कर रहे विपक्ष ने संसद के नए भवन पर राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ पर एक नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि नए अशोक स्तंभ में शेर को आक्रामक दिखाया गया है, जबकि असली चिह्न में शेर सौम्य दिखाई देता है.
तमाम राज्यों में चुनावों में हार के बाद हाशिए पर सिमटता जा रहा विपक्ष एक नए मुद्दे को तूल देने की फिराक में था, लेकिन उसका ये प्रयास असफल रहा. अशोक स्तंभ के मूर्तिकार अशोक देवरे ने इस संबंध में विपक्ष के दावों की पोल खोलते हुए कहा कि इसके मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मूर्ति सारनाथ वाली मूर्ति का ही रेप्लिका है. मूर्ति के बहुत बड़े आकार के होने के कारण फोटो के एंगल में शेर का चेहरा आक्रामक नजर आता है.
शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस बारे में विपक्ष के दावों की पोल खोलते हुए कई टवीट करते हुए कहा कि सारनाथ में मूल अशोक स्तंभ की ऊंचाई 1.6 मीटर है, जबकि नए संसद भवन की छत पर लगे स्तंभ की ऊंचाई 6.5 मीटर है. यदि हम नए भवन की छत पर मूल स्तंभ की रेप्लिका रखते तो ये शायद छत की दीवार से बाहर दिखाई ही नहीं देती. विपक्ष को दो स्तंभों के बीच की तुलना सही पैमाने पर करनी चाहिए थी.
सेंट्रल विस्टा चंहुमुंखी विकास का प्रतीक
पीएम मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के संबंध में कहा था कि अगर पुराने संसद भवन ने आजादी के बाद के भारत को दिशा दी तो नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत के सृजन का गवाह बनेगा. संसद का शिलान्यास करने के बाद पीएम मोदी ने अपने भाषण में सेंट्रल विस्टा का जिक्र करते हुए कहा था कि इसके जरिए सभी मंत्रालय आस-पास रहेंगे और पूरा सिस्टम सेंट्रलाइज्ड रहेगा. इसके साथ ही भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे. जब एक एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी.
नए संसद भवन की निर्माण की आवश्यकता
वर्तमान में संसद भवन का निर्माण 1921 से 1927 के दौरान ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियन और हर्बट बेकर के बनाए डिजाइन के अनुसार हुआ था. मूल रुप से इसे “काउंसिल हाउस” कहा जाता था. यह भवन आज लगभग 100 साल पुराना हो चुका है और हेरिटेज ग्रेड-1 बिल्डिंग में शामिल है. समय के साथ संसदीय गतिविधियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई और इसमें काम करने वाले और विजिटर की संख्या काफी अधिक हो गई है. संसद भवन का निर्माण पूर्णकालिक लोकतंत्र के दो सदनों के अनुसार नहीं किया गया था. लोकसभा में सीटों की संख्या 1971 की जनगणना के अनुसार 545 ही है. 2026 के बाद लोकसभा की सीटों में बढोतरी होने का अनुमान है जब सीटों की कुल संख्या पर लगी रोक हट जाएगी. सेंट्रल हाल में सिर्फ 440 लोगों के बैठने की व्यवस्था है और दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के दौरान अक्सर बैठने की समस्या का सामना करना पड़ता है. नई लोकसभा में सांसदों के बैठने की सुविधा के साथ 888 सीटों के साथ तीन गुना बड़ी होगी. एक बड़े राज्यसभा हॉल की क्षमता 384 सीटों तक होगी.
मंत्रालयों और विभागों को लाभ मिलेगा
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट विभिन्न सरकारी मंत्रालयों, विभागों को एक ही स्थान पर उच्चस्तरीय सुविधाओं के साथ काम करने का अवसर देगा. सभी 51 मंत्रालयों के एक ही स्थान पर काम करने से बेहतर समन्वय होगा और अधिकारियों और कर्मचारियों को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ विश्वस्तरीय सुविधाओं का लाभ मिलेगा. इससे निश्चित रूप से कार्य क्षमता में वृद्धि होगी.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बीस हजार करोड़ रुपये की लागत से 10 ऩए भवनों का निर्माण जारी है. इसमें नया संसद भवन, एमपी आफिस ,प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नया आवास बनाया जा रहा है. प्रोजेक्ट के तहत किसी भी हेरिटेज बिल्डिंग को नहीं गिराया जाएगा. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से केंद्र सरकार को हर साल करीब 1 हजार करोड़ रुपये की बचत भी होगी. केंद्र सरकार सेंट्रल दिल्ली में विभिन्न सरकारी आफिसों के किराए में करीब 1 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में ये सभी आफिस एक ही छत के नीचे आ जाएंगे.
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Tags: Central Vista project, New Parliament Building, Pm narendra modiFIRST PUBLISHED : July 15, 2022, 17:39 IST