यूएस में सीक्रेट सर्विस में भर्ती का प्रोसेस क्या है भारत की SPG से कितना अलग

अमेरिकी सीक्रेट सर्विस की चयन प्रक्रिया के पहले चरण कैंडिडेट्स को कई स्तर से गुजरना पड़ता है. पहले तो सरकार इसके लिए USAJOBS साइट पर नोटिफिकेशन जारी करती है. इसके बाद कैंडिडेट्स के रिज्यूमे या योग्यता का रिव्यू किया जाता है, लेकिन भारत में पहले से ही सेवा दे रहे अधिरकारियों की चयन एसपीजी के लिए किया जाता है. जो कुछ समय के लिए डेपुटेशन पर आते हैं, फिर उनके उनके मूल ईकाईं में वापस भेज दिया जाता है.

यूएस में सीक्रेट सर्विस में भर्ती का प्रोसेस क्या है भारत की SPG से कितना अलग
वाशिंगटन. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनीतिक भूचाल आ गया है. रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हमले के बाद से बवाल मचा हुआ है. पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा में चूक के बाद यूनाइटेड स्टेट्स सीक्रेट सर्विस निशाने पर आ गया है. अब सवाल खड़ा होता है कि क्या इतने बड़े हमले भनक तक उनको नहीं थी? लेकिन हम इससे इतर ये बात करेंगे कि अमेरिकी सिक्रेट सर्विस में कौन से लोग जाते हैं, उनकी भर्ती कैसे होती है. ठीक इसी प्रकार की सर्विस भारत में है, जिसे हमलोग एसपीजी के नाम से जानते हैं, जिनके जिम्मे प्रधानमंत्री, उनके करीबियों और पूर्व पीएम की परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है. तो ये सिक्रेट सर्विस भारत के एसपीजी से कितना अलग है? अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम मैककिनले की 1901 में हत्या के बाद सीक्रेट सर्विस को पहली बार राष्ट्रपति और उनके परिवार की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी. मौजूदा समय में सीक्रेट सर्विस का मिशन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और उनके परिवार के लोगों की सुरक्षा करना; तथा अमेरिका में जो भी आर्थिक अपराध होते हैं, उनकी जांच करना है, लेकिन अमेरिका में इनकी भर्ती की प्रक्रिया काफी अलग है. कॉलेज लेवल पर किया जाता है. इसकी चयन प्रक्रिया दो चरणों में होती है. अमेरिकी सीक्रेट सर्विस की चयन प्रक्रिया के पहले चरण कैंडिडेट्स को कई स्तर से गुजरना पड़ता है. पहले तो सरकार इसके लिए USAJOBS साइट पर नोटिफिकेशन जारी करती है. इसके बाद कैंडिडेट्स के रिज्यूमे या योग्यता का रिव्यू किया जाता है. इसके बाद सेलेक्टेड कैंडिडेट्स की रिटेन टेस्ट होता है. फिर जो उम्मीदवार रिचेन पास करते हैं, उनका फिजिकल टेस्ट होता है, फिर इसे पास करने के बाद उनका इंटरव्यू होता है. हालांकि इसके बाद भी सेलेक्शन के लिए श्योर नहीं हो सकते हैं. क्योंकि इसके बाद हायरिंग पैनल पास हुए कैंडिडेट का रिव्यू करती है. उसके बाद फिर सशर्त जॉब ऑफर किया जाता है. अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के चयन का पहला चरण खत्म होते ही दूसरे की शुरुआत होती है. दूसरा चरण काफी टफ होता है. इसमें सेक्योरिटी लेवल की जांच होती है. सबसे पहले सेक्योरिटी टेस्ट और क्रेडिट चेक या फिर कहें कि बैकग्राउंड चेक किया जाता है. इसे पास करने के बाद कैंडिडेट्स का पॉलीग्राफ टेस्ट होता है. आखिर में मेडिकल टेस्ट होता है. आम तौर पर, बैकग्रउंड जांच पूरा होने में लगभग छह से नौ महीने लगते हैं. इस दौरान, कई तरह की जानकारियों की पुष्टि की जाती है. इसमें डॉब हिस्ट्री, पुलिस रिकॉर्ड, क्रेडिट इतिहास, स्कूल ट्रांसक्रिप्ट, पड़ोस के संदर्भ और सैन्य रिकॉर्ड शामिल होते हैं. वहीं भारत के एसपीजी में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से सीनियर और जूनियर लेवल के अधिकारी की भर्ती होती है. इसके लिए एक स्टैंडर्ड मानक भी तय किये गए हैं. इसके बाद हर साल जब एसपीजी कर्मियों को उनके मूल इकाई में वापस भेज दिया जाता है. इसके बाद होम मिनिस्ट्री वेकंसी की लिस्ट जारी करती है, जिसके बाद नए स्तर से दोबारा बहाली होती है. आपको बताते चलें कि अमेरिकी सिक्रेट सर्विस की छवि पर दाग लग चुका है. उनके सर्विस के दौरान अमरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कनेडी की हत्या हुई थी जबकि रोनाल्ड रीगन पर भी जानलेवा हमला हुआ था, लेकिन भारत के एसपीजी का रिकार्ड बेदाग है. Tags: America News, Donald TrumpFIRST PUBLISHED : July 15, 2024, 09:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed