कहां से आया था भारत जोड़ो का आइडिया कैसे हुआ शुरू राहुल ने US में बताया

Rahul Gandhi in America: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो यात्रा का ऐलान किया तो कांग्रेस कार्यकर्ता से लेकर आम आदमी तक सब हैरान थे. सब के जहन में यही सवाल था कि आखिर राहुल के भारत जोड़ो यात्रा का मकसद क्या है. राहुल गांधी के मन में ऐसा आइडिया कहां से आया. अब राहुल गांधी अमेरिका की यात्रा पर हैं तो उन्होंने यहां इसका जवाब दिया है.

कहां से आया था भारत जोड़ो का आइडिया कैसे हुआ शुरू राहुल ने US में बताया
नई दिल्ली: राहुल गांधी को लेकर इन दिनों जो सबसे ज्यादा सवाल पूछा जाता है वह यह कि आखिर उन्हें भारत जोड़ो यात्रा का आइडिया कहां से आया. उन्होंने इसकी शुरुआत कैसे की. इन सभी सवालों का जवाब उन्होंने अपनी अमेरिका की यात्रा पर दिया है. बता दें कि लोकसभा में विपक्ष के नेता (LOP) और सांसद राहुल गांधी तीन दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे हैं. उन्होंने टेक्सास के डलास में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के छात्रों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने छात्रों को संबोधित भी किया. अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि भारत जोड़ो का आइडिया कहां से आया. उन्होंने यह भी बताया कि आखिर उन्हें भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने की जरूरत क्यों पड़ी. राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा ‘पहला सवाल जो आपने पूछा, वह यह है कि मैं चार हजार किलोमीटर पैदल क्यों चला, हमें ऐसा करने की क्यों जरूरत पड़ी? इसका कारण यह है कि भारत में हम जो भी कम्युनिकेशन करना चाहते थे, उसे अवरुद्ध कर दिया गया था. हमने संसद में बात की, लेकिन उसका टेलीविजन पर प्रसारण नहीं हुआ. हम मीडिया के पास गए, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. हमने कानूनी व्यवस्था के सामने दस्तावेज भी पेश किए, लेकिन कुछ नहीं हुआ. तो, सारे रास्ते बंद हो गए, और लंबे समय तक हम समझ ही नहीं पाए कि संवाद कैसे करें.’ पढ़ें- ‘राष्ट्रपति बनते ही सबका बदला लूंगा…’ डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों दी धमकी? वकील से लेकर नेताओं तक को लपेटा LIVE: Interaction with Students | University of Texas | Dallas, USA https://t.co/b4dofNsEle — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 8, 2024

कहां से आया भारत जोड़ो यात्रा का आइडिया?
उन्होंने आगे कहा कि ‘फिर अचानक, हमें यह विचार आया: अगर मीडिया आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है और संस्थाएं हमें लोगों से नहीं जोड़ रही हैं, तो सीधे उनके पास जाएं. ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका था, पूरे देश में पैदल चलना. और इसलिए, हमने यही किया. मैं आपको बता दूं, शुरुआत में मुझे घुटने में तकलीफ थी. पहले 3-4 दिनों तक, मैंने सोचा, मैंने क्या कर दिया? क्योंकि जब आप सुबह उठते हैं और कहते हैं, मैं 10 किलोमीटर दौड़ूंगा, तो यह ठीक है. लेकिन जब आप उठते हैं और कहते हैं, मैं 4,000 किलोमीटर चलूंगा, तो यह पूरी तरह से अलग लक्ष्य है.

कैसे हुआ शुरू?
LOP ने आगे कहा कि ‘ऐसे क्षण थे, जब मैंने सोचा, ‘यह बहुत बड़ी बात है.’ लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, यह बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था. और इसने मेरे काम के बारे में सोचने के तरीके को मौलिक रूप से बदल दिया. मैं कहूंगा कि इसने राजनीति को देखने के मेरे तरीके, हमारे लोगों को देखने के मेरे तरीके, उनके साथ संवाद करने के तरीके और उनकी बातों को सुनने के मेरे तरीके को पूरी तरह से बदल दिया. यह सिर्फ़ मैं ही नहीं था, यात्रा में कई लोग शामिल थे. हम सभी के लिए, सबसे शक्तिशाली चीज जो स्वाभाविक रूप से हुई, जिसकी हमने योजना भी नहीं बनाई थी, वह थी राजनीति में प्रेम के विचार का परिचय.’

उन्होंने आगे कहा ‘यह अजीब है क्योंकि अगर आप ज़्यादातर देशों में राजनीतिक चर्चा को देखें, तो आपको प्रेम शब्द कभी नहीं मिलेगा. यह उस संदर्भ में मौजूद ही नहीं है. आपको नफरत, गुस्सा, अन्याय, भ्रष्टाचार – ये सभी शब्द मिलेंगे – लेकिन शायद ही कभी ‘प्रेम’ शब्द मिलेगा. भारत जोड़ो यात्रा ने वास्तव में उस विचार को भारतीय राजनीतिक प्रणाली में पेश किया, और मैं इस बात से चकित हूं कि यह विचार कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है.’

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