यूं ही धरती के भगवान नहीं कहलातेइस डॉक्टर ने बचाई हैं हजारों बच्चों की जान
यूं ही धरती के भगवान नहीं कहलातेइस डॉक्टर ने बचाई हैं हजारों बच्चों की जान
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि अगर अब तक के वह अपने मरीजों की संख्या देखें तो 20 हजार से अधिक बच्चों का वह ट्रीटमेंट कर चुके हैं. उन्होंने बताया काफी संख्या में गंभीर बीमारी से बच्चों का भी ट्रीटमेंट कर चुके हैं. जिनकी जान बचाना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन, उनकी टीम द्वारा जिस प्रकार से ऐसे मरीजों की देखभाल की गई.
मेरठ. प्रत्येक माता-पिता का सपना होता है .उनके बच्चों का जन्म जब हो तो वह किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त ना हो. लेकिन बदलते खान-पान का असर कहीं ना कहीं गर्भ के दौरान छोटे बच्चों पर भी देखने को मिलता है. इससे कई बार जन्मजात ही बच्चों में विभिन्न प्रकार की विषम बीमारियां भी देखने को मिलती है. इसका ट्रीटमेंट कराने के लिए माता-पिता दिल्ली एम्स या फिर पीजीआई की तरफ रुख करते हैं. लेकिन, पश्चिमी उत्तर प्रदेश मेरठ लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज परिसर में संचालित सरदार वल्लभभाई पटेल चिकित्सालय के बाल रोग विभाग में अब क्षेत्र के नवजात शिशुओं को पूरा इलाज मिल जाता है. इससे लोगों को दिल्ली या अन्य जगह नहीं जाना पड़ता.
वर्तमान समय में मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड डिर्पाटमेंट के हेड डॉक्टर नवरत्न गुप्ता की टीम बच्चों का अच्छा उपचार कर रही है. अब तक इस विभाग में उपचार के द्वारा काफी क्रिटिकल स्थिति में पहुंचे नवजातों नया जीवन मिला है. पूरे विभाग आधुनिक मेडिकल सुविधाओं से लैस है. इस विभाग में होने वाले उपचार को लेकर लोकल 18 ने विभागाध्यक्ष डॉ. नवरत्न गुप्ता से खास बातचीत की.
जन्म के बाद बच्चे की बेहतर जांच जरूरी
लोकल 18 से बातचीत में डॉ.नवरत्न गुप्ता ने बताया कि जैसे ही बच्चे का जन्म होता है. उसकी एनआईसयू में विभिन्न प्रकार की जांच की जाती है. क्योंकि अगर बच्चे में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत या समस्या हो तो उसका उपचार नर्सरी के अंदर किया जाता है. क्योंकि, शुरुआती दौर का जो ट्रीटमेंट बच्चों के लिए होता है. उसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में मेरठ मेडिकल कॉलेज में आधुनिक एनआईसयू, पीआईसीयू की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. इससे बच्चों का बेहतर ट्रीटमेंट किया जाता है.
20 हजार से ज्यादा बच्चों का यहां हो चुका उपचार
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि अगर अब तक के वह अपने मरीजों की संख्या देखें तो 20 हजार से अधिक बच्चों का वह ट्रीटमेंट कर चुके हैं. उन्होंने बताया काफी संख्या में गंभीर बीमारी से बच्चों का भी ट्रीटमेंट कर चुके हैं. जिनकी जान बचाना एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन, उनकी टीम द्वारा जिस प्रकार से ऐसे मरीजों की देखभाल की गई. उसी का ही नतीजा है कि वह बच्चे स्वस्थ होकर बीमारियों से मुक्त हैं. डॉ. गुप्ता कहते हैं कि उनकी टीम लगातार ऐसी विषम परिस्थितियों वाले बच्चों के संपर्क में रहती है. इससे भविष्य में भी कोई दिक्कत हो तो उसका समाधान किया जा सके.
एम्स जैसी सुविधा हैं यहां
डॉ. गुप्ता के अनुसार मेरठ मेडिकल कॉलेज में बच्चों के लिए आधुनिक मशीन मशीनें हैं. जो कभी एम्स में ही देखने को मिलती थी. इसी के साथ ही यहां पर आधुनिक टेक्नोलॉजी से विकसित बेड भी मौजूद हैं. ये बेड छोटे बच्चों के लिए ही तैयार किए जाते हैं. इसके अलावा बच्चों की उम्र के हिसाब से ही वार्ड भी डिवाइड किए गए हैं. इससे एक्सपर्ट की टीम हमेशा मौजूद रहती है.
मां का सपना था बेटा डॉक्टर बने
डॉ. नवरत्न गुप्ता ने बताया कि उनके पिताजी बिजनेसमैन हैं. लेकिन, उनकी माता का सपना था कि उनके बेटा डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करे. अपनी मां के ही सपने को उन्होंने भी अपना सपना बना लिया. निरंतर अपनी पढ़ाई पर फोकस किया. डॉ. नवरत्न गुप्ता ने वर्ष 2001 बैच के हैं. उन्होंने आरएमएल अवध विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की है. वहीं एमडी व सुपर स्पेशलाइजेशन की उपाधि लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से ही हासिल की है.
Tags: Health, Hindi news, Meerut Medical College, UP newsFIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 18:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed