महाभारत काल के इस मंदिर में है वैशाख सप्तमी का विशेष महत्व देशभर से पूजा
महाभारत काल के इस मंदिर में है वैशाख सप्तमी का विशेष महत्व देशभर से पूजा
महाभारत कालीन हस्तिनापुर के द्रौपदी मंदिर में 14 मई को साता फेरी यानी सपने में मिलेगा मेले का आयोजन किया जाएगा. असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती के अनुसार पिछले 200 वर्षों से यह मेला आयोजित हो रहा है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से 40 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर की बात की जाए तो हस्तिनापुर को महाभारत कालीन धरती के तौर पर जाना जाता है. यहां पर आपको विभिन्न ऐतिहासिक तथ्य देखने को मिलेंगे. जो महाभारत काल की यादों से रूबरू कराते हैं. कुछ इसी तरह का उल्लेख द्रौपदी मंदिर का भी देखने को मिलता है. जिसमें एक तरफ जहां इस मंदिर की लगी मूर्ति चीर हरण की घटना को बयां करते हुए महाभारत की युद्ध के घटना को दर्शाती है. वहीं इस मंदिर के प्रति भक्तों की विशेष आस्था देखने को मिलती है.
सप्तमी मेले का है विशेष महत्व
द्रौपदी मंदिर की मंहत बेगवती गिरी बताती हैं कि द्रौपदी माता के मंदिर के प्रति भक्तों में काफी आस्था है. जहां प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं वहीं वैशाख की सप्तमी को यहां पर पिछले 200 सालो से निरंतर मेले का आयोजन होता आ रहा है. जिसमें मेरठ के साथ-साथ देशभर से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि इस मेले की खासियत यह है कि यहां पर साता फेरी भी लगाई जाती है. जो यहां पर घाट बना हुआ है. उसमें स्नान कर महिलाएं पूजा अर्चना करती हैं.
हजारों वर्षों के इतिहास को संजोए है ये मंदिर
नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं शोभित विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती लोकल 18 से खास बातचीत में बताते हैं कि द्रौपदी मंदिर का जब भी वर्णन किया जाता है. तो जो द्रौपदी घाट उससे अछूता नहीं रहता है. वह आज भी हजारों साल की घटना को जीवित किए हुए हैं. वह बताते हैं कि इस मंदिर के घाट में ही बूढ़ी गंगा का जल स्रोत देखने को मिलता है. जिसमें स्नान कर श्रद्धालु विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं. उन्होंने बताया की सप्तमी मेल को लेकर भी भव्य रूप से तैयारी की जा रही है. जिसके लिए घाट की साफ-साफ सहित आसपास की सजावट से लेकर अन्य प्रकार की सभी व्यवस्थाएं की गई है. जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो.
बताते चलें कि इस मेले की परंपरा है कि जो भी महिलाएं पूजा अर्चना करने के लिए आती है. वह जौ बिखरते हुए मंदिर तक पहुंचती हैं. गजेटेड के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक ग्रंथो में भी इस सप्तमी मेले का उल्लेख मिलता है.
Tags: Local18, Meerut newsFIRST PUBLISHED : May 5, 2024, 13:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed