उम्र के आखिरी पड़ाव में हुआ जानलेवा रोग महिला ने वो कर दिखाया कि बनी मिसाल
उम्र के आखिरी पड़ाव में हुआ जानलेवा रोग महिला ने वो कर दिखाया कि बनी मिसाल
Latest Medical News : ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) के खिलाफ लड़ाई में, सही इलाज और विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम मुश्किल को आसान कर सकती है. टीएनबीसी, जिसे स्तन कैंसर के सबसे आक्रामक प्रकार के रूप में जाना जाता है, इसमें कई तरह की चुनौतियां होती हैं. फिर भी, एडवांस उपचारों और अत्यधिक कुशल ऑन्कोलॉजी टीम के साथ, हम बेहतर रिजल्ट प्राप्त किया जा सकता है.
मेरठ. ये कहानी है ऐसी दो बुज़ुर्ग महिलाओं की जिन्होंने ब्रेस्ट कैंसर को अपनी जीवटता से मात दी है. डॉक्टरों की सलाह का अक्षरश: पालन किया और आज दोनों ही बु़ज़ुर्ग महिलाएं कैंसर फ्री हो गई हैं. पहली कहानी है कैंसर को मात देने वाली अड़सठ वर्षीय अऩुराधा की. अनुराधा को फरवरी 2018 में कैंसर डिटेक्ट हुआ. मॉडिफाइड रेडिकल मास्टेक्टॉमी के बाद वो मैक्स अस्पताल की डॉक्टर मीनू वालिया के पास पहुंचीं थीं. सर्जरी के बाद आगे की जांच करने पर, यह पाया गया कि वह आक्रामक रूप वाले स्तन कैंसर-ट्रिपल नेगेटिव स्तन कैंसर (टीएनबीसी) से पीड़ित हैं.
चुनौतियों के बावजूद कीमोथेरेपी शुरू की गई जो मार्च 2018 से अगस्त 2018 तक चली. इसके बाद उनके फॉलोअप चले और 6 वर्षों से वो बिनी किसी नई शिकायत के आसान जीवन गुजार रही हैं. डॉक्टर मीनू वालिया ने बताया कि एक वक्त वो था जब मरीज मुश्किल में थी, और अब वो लॉन्ग टर्म सर्वाइवल के साथ बेहतर भविष्य की तरफ बढ़ रही हैं. इस केस की सफलता दर्शाती है कि भयानक केस को भी सही अप्रोच के साथ हराया जा सकता है.”
75 साल की उम्र में कैंसर से लड़ने का फैसला किया, और फिर…
इसी तरह 75 वर्षीय मरीज लता शर्मा के केस की जानकारी देते हुए डॉक्टर मीनू वालिया ने कहा, ”लता शर्मा अगस्त 2020 में दर्द और अपने दाहिने स्तन में एक गांठ के साथ उनके पास आईं थीं. जांच पड़ताल के बाद स्तन कैंसर का पता चला. 75 साल की उम्र में कैंसर से लड़ने निर्णय एक साहसी कदम था. इस अवस्था में अक्सर साइड इफेक्ट्स का डर रहता है और रूटीन लाइफ मुश्किल होने का खतरा भी. आमतौर पर इस आयु वर्ग में लोग इस तरह के ट्रीटमेंट से बचते हैं, यहां तक कि परिवार वाले भी संदेह में रहते हैं. लेकिन 75 वर्ष की आयु के बावजूद, लता शर्मा और उनके परिवार ने आक्रामक इलाज का विकल्प चुना.
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कैंसर का सही इलाज पाने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं
वह एक सफल मॉडिफाइड रेडिकल मास्टेक्टॉमी से गुजरीं, उसके बाद एडजुवेंट कीमोथेरेपी और ओरल हार्मोनल थेरेपी की गई. महिला मरीज के पॉजिटिव दृष्टिकोण ने काफी अहम रोल निभाया, और उनके लेटेस्ट पीईटी-सीटी स्कैन में अच्छे रिजल्ट के संकेत नजर आए. डायग्नोसिस के चार साल बाद 75 साल की उम्र में, लता शर्मा एक अच्छा जीवन गुजार रही हैं. मरीज लता शर्मा के सफल इलाज की ये यात्रा दर्शाती है कि कैंसर का सही इलाज पाने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं होती. सही सपोर्ट, सही ट्रीटमेंट अप्रोच, डेडिकेटेड और पर्सनलाइज्ड एक्सपर्ट केयर और एडवांस ट्रीटमेंट की मदद से सबसे चुनौतीपूर्ण मामलों में भी बेस्ट इलाज दिया जा सकता है.”
जल्दी डायग्नोज होने पर इलाज के अच्छे रिजल्ट
डॉक्टर मीनू वालिया ने बताया कि कैंसर के मामले में समय का बहुत महत्व होता है. रोग का जल्दी डायग्नोज होने पर इलाज के अच्छे रिजल्ट आने की संभावना बढ़ जाती है. मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, पटपड़गंज की मेडिकल ऑन्कोलॉजी की वाइस चेयरमैन डॉक्टर मीनू वालिया 68 वर्षीय अनुराधा मारवाह और 75 वर्षीय मरीज लता शर्मा का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि कैंसर के सफल इलाज के बाद एक बेहतर जिंदगी गुजारी जा सकती है. अवेयरनेस सेशन के दौरान शेयर की गई मरीजों की ये प्रेरणादायक कहानी अर्ली डायग्नोसिस और व्यापक ट्रीटमेंट स्ट्रैटेजी की भूमिका को दर्शाती है.
Tags: Cancer Survivor, Diseases increased, Global disease, Latest Medical news, Meerut city news, Meerut news, World Cancer DayFIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 22:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed