लोकगीतों की महक संस्कृति का अद्भुत सफर बृज में महिलाएं ऐसे गाती थीं गालियां
लोकगीतों की महक संस्कृति का अद्भुत सफर बृज में महिलाएं ऐसे गाती थीं गालियां
Mathura: करीब 5000 हजार बृज के गीत पद्मश्री मोहन स्वरुप भाटिया ने लिखें हैं. मोहन स्वरूप भाटिया को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.
मथुरा: ब्रज का नाम सुनते ही अनेक बातें याद आती हैं, जिनमें सबसे पहले ब्रज के लोकगीत शामिल होते हैं. यहां लोकगीतों का एक विशेष स्थान है, और ये गीत विभिन्न आयोजनों में गाए जाते हैं. ब्रज की गलियों में पुरुषों और महिलाओं के बीच हंसी-ठिठोली के साथ बातचीत होती है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती है.
लोकगीतों का संग्रहण
ब्रज में लोकगीतों की कोई कमी नहीं है. इन गीतों का प्रचलन और संस्कृति ब्रज की पहचान बन चुकी है. वरिष्ठ पत्रकार और पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया ने इस परंपरा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने अपने जीवन में ब्रज की संस्कृति और लोकगीतों को संरक्षित करने के लिए अथक प्रयास किए हैं. आज उनकी मेहनत का फल यह है कि बड़े आयोजनों में लोग इन लोकगीतों को गुनगुनाते नजर आते हैं.
महिलाओं की भूमिका
मोहन स्वरूप भाटिया ने बताया कि कैसे एक बारात में महिलाएं ब्रज की गलियों का उपयोग करती हैं. जब एक महिला छज्जे पर बैठकर बराती से पहेली पूछती है, तो वह उसे सुनकर चकित रह जाता है. यह संवाद न केवल मनोरंजक होता है, बल्कि यह दर्शाता है कि ब्रज की संस्कृति में महिलाओं की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है.
5000 से ज्यादा लोकगीत
मोहन स्वरूप भाटिया ने 5000 से अधिक लोकगीत संजोए हैं. जब उन्होंने इन गीतों को सुनना शुरू किया, तो वह पूरी तरह से ब्रज भाषा में लीन हो गए. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे एक महिला छज्जे पर बैठकर बराती से कहती है, “सुनो बाराती, हम गाली गावत हैं.” यह संवाद न केवल मजेदार है, बल्कि यह ब्रज की बोलचाल और संस्कृति को भी दर्शाता है.
पद्मश्री सम्मान
मोहन स्वरूप भाटिया को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. उनका योगदान न केवल ब्रज के लोकगीतों को संरक्षित करने में है, बल्कि उन्होंने इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को भी आगे बढ़ाने का कार्य किया है. उनके प्रयासों से आज भी ब्रज के लोकगीत जीवित हैं और लोगों के दिलों में बसे हुए हैं.
Tags: Local18, Mathura news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 12:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed