मथुरा में मशहूर बालो सेठ के गोलगप्पे आधे घंटे इंतजार के बाद आता है नंबर
मथुरा में मशहूर बालो सेठ के गोलगप्पे आधे घंटे इंतजार के बाद आता है नंबर
बालो सेठ के बेटे खेमचंद लोकल 18 को बताते हैं कि 1989 में इस काम की शुरुआत उनके पिता द्वारा की गई थी. पिता पहले इस काम को ठेले पर किया करते थे. धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे. 1999 में हमने महोली रोड स्थित एक दुकान किराये पर ली.
निर्मल कुमार, मथुरा. वैसे तो मथुरा पेड़ों के लिए अपनी अलग ही पहचान रखता है लेकिन पेड़ों के अलावा यहां की जलेबी और कचौड़ी के बाद गोलगप्पे अपनी धाक जमाए हुए हैं. शाम होते ही लोग इंतजार करते हैं तो सिर्फ और सिर्फ बालो सेठ की दुकान खुलने का. बालो सेठ के गोलगप्पे मथुरा ही नहीं बल्कि मथुरा से बाहर भी अपनी पहचान रखते हैं. पानीपूरी का नाम जेहन में आते ही बालो सेठ का नाम लोगों की जुबान पर आ जाता है.
बालो सेठ के बेटे खेमचंद लोकल 18 को बताते हैं कि 1989 में इस काम की शुरुआत उनके पिता द्वारा की गई थी. पिता पहले इस काम को ठेले पर किया करते थे. धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे. 1999 में हमने महोली रोड स्थित एक दुकान किराये पर ली. दुकान में शिफ्ट होने के बाद से आज भी अपना व्यापार कर रहे हैं और पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं. अब तीन ब्रांच हमारी मथुरा के अंदर खुली हुई हैं. दो दुकान महोली रोड पर हैं और तीसरी ब्रांच मथुरा के नए बस स्टैंड पर है.
साफ-सफाई का रखा जाता है खास ध्यान
उन्होंने कहा कि सामान तैयार करने में करीब साढ़े चार घंटे लगते हैं. आलू की टिक्की हाथ से बनाई जाती है. मैदा और आटे को गूथा जाता है, उसके बाद साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए इसे बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. पहले उनके पिता नमकीन का काम करते थे. उसके बाद उन्होंने कांजी वड़ा का काम किया. दोनों बिजनेस नहीं चल पाए, तो 1989 में हम लोगों ने गोलगप्पे बेचने का काम शुरू किया. 1989 से लेकर अब तक हम लोग यही काम कर रहे हैं.
एक पानी को छह प्रकार से किया जाता है सर्व
खेमचंद बताते हैं कि गोलगप्पे के पानी में हम 6 प्रकार का जायका देते हैं. कई बार तो लोगों को आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ता है. जो एक बार हमारे गोलगप्पे खा लेता है, वो दोबारा लौटकर गोलगप्पे खाने जरूर आता है. हमारे पास लोग 50-50 किलोमीटर दूर से गोलगप्पे खाने के लिए आते हैं. शाम 4:30 बजे से रात 10 बजे तक हमारे पास गोलगप्पे मिल जाएंगे. 10 रुपये के तीन गोलगप्पे दिए जाते हैं. एक दिन में 300 से 400 प्लेट (एक प्लेट में 6 गोलगप्पे) बिक जाती हैं.
Tags: Food, Local18, Mathura news, UP newsFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 23:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed