इडली-डोसा के लिए कमला नगर तो मुगलई खाने के लिए कहां जाते थे मनमोहन सिंह
इडली-डोसा के लिए कमला नगर तो मुगलई खाने के लिए कहां जाते थे मनमोहन सिंह
Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार रात 9.51 बजे एम्स में अंतिम सांस ली. मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक दो बार प्रधानमंत्री रहे थे. मनमोहन सिंह 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता भी रहे.
हाइलाइट्स मनमोहन सिंह को किताबें, भोजन और परिवार से प्यार था. दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर वे पसंदीदा भोजन का आनंद लेते थे. उन्हें कृष्णा स्वीट्स में डोसा-इडली और फुजिया में चाइनीज खाना पसंद था.
नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खाने-पीने का बड़ा शौक था. वे दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर अपने पसंदीदा भोजन का आनंद लेना कभी नहीं भूलते थे, चाहे वह काम में कितने में व्यस्त क्यों ना हों. स्वाद के साथ ही वे किताबें पढ़ने के भी शौकीन थे. यही वजह है कि दिल्ली में कुछ ऐसी खास जगहें थीं, जहां से वे नियमित तौर पर किताबे खरीदने जाते थे. अब इसका खुलासा किया है मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने.
मनमोहन सिंह के लिए दिल्ली सिर्फ सत्ता की चकाचौंध वाली जगह भर नहीं थी, यह एक ऐसा शहर था जहां उन्हें किताबों, भोजन और परिवार का सुख मिलता था. सिंह का बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स में निधन हो गया. सिंह अपने व्यस्त कामकाज से अलग होकर अपने प्रियजनों के साथ किताबों की दुकानों और प्रसिद्ध भोजनालयों में शांतिपूर्वक समय बिताना पसंद करते थे.
‘स्ट्रिक्टली पर्सनल’ नामक अपने संस्मरण में सिंह की बेटी दमन सिंह ने इन यात्राओं की दुर्लभ झलक प्रदान करते हुए इन्हें ‘रोमांचक भ्रमण’ बताया है. उन्होंने लिखा, “हमारी सबसे रोमांचक यात्राएं किताबों की दुकानों पर होती थीं: कश्मीरी गेट में रामकृष्ण एंड संस, और कनॉट प्लेस में गलगोटिया और न्यू बुक डिपो. किताबों की लुभावनी अलमारियों के बीच से हम अपनी खरीदी हुई चीजें थामे हुए बाहर निकलते थे.”
परिवार अक्सर इन किताबों की दुकानों पर घंटों बिताता था. हालांकि, यह खाने-पीने से जुड़ी यात्राएं ही थीं जो शहर में सिंह की खुशी को दर्शाती थीं. अपने संस्मरण में सिंह की बेटी याद करती हैं कि “हर दो महीने में हम पहले से तय स्थानों पर खाना खाने जाते थे: दक्षिण भारतीय भोजन के लिए कमला नगर में कृष्णा स्वीट्स, मुगलई के लिए दरियागंज में तंदूर, चाइनीज व्यंजनों के लिए मालचा मार्ग पर फुजिया और चाट के लिए बंगाली मार्केट”.
फुजिया के मालिक मनप्रीत सिंह याद करते हैं, “उन दिनों मनमोहन सिंह अक्सर हमारे रेस्तरां में आते थे.” मनप्रीत सिंह ने पीटीआई को बताया, “उन्हें खास तौर पर गर्म और खट्टे सूप और स्प्रिंग रोल पसंद थे. बच्चों को अमेरिकन चॉप्सी बहुत पसंद थी. वे घर पर डिलीवरी के लिए खाना लाने के लिए किसी को भेजते थे. आखिरी बार टेकअवे लगभग तीन साल पहले हुआ था और उनका अंतिम बार आगमन 2007 में हुआ था.”
कृष्णा स्वीट्स में परिवार ने डोसा और इडली का आनंद लिया, जबकि बंगाली मार्केट की पापड़ी चाट और गोलगप्पों ने उनके खाने में स्वाद का तड़का लगा दिया. भीमसेन बंगाली स्वीट हाउस के दूसरी पीढ़ी के मालिक 77 वर्षीय जगदीश अग्रवाल ने कहा, “मनमोहन सिंह का परिवार अक्सर हमारी दुकान पर आता था. ज्यादातर, वे किसी को भेजकर स्वादिष्ट व्यंजन मंगवाते थे. मुझे याद है, उन्हें (सिंह को) मिठाई बहुत पसंद थी. दोपहर और रात के खाने के बाद, वह अपना भोजन समाप्त करने के लिए कुछ मीठा खाते थे. लेकिन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, वह इस बात को लेकर बहुत सजग थे कि वह किस तरह की मिठाई मंगवाएं और खाएं. संदेश और रसगुल्ला जैसी मिठाइयां उन्हें पसंद थीं.”
अग्रवाल ने कहा कि वह 60 वर्षों से संसद भवन को मिठाइयां उपलब्ध कराते आ रहे हैं. उन्होंने कहा, “जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे प्रधानमंत्री भी यहां आते थे. अर्थशास्त्र का छात्र होने के नाते मुझे याद है कि वे कितने महान व्यक्ति थे. उनके नीतिगत निर्णयों ने भारत को सबसे कठिन समय से बाहर निकाला है.”
Tags: Dr. manmohan singh, Manmohan singhFIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 05:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed