गलती हुई यह क्या बोल गए हाईकोर्ट के जज अपने ही फैसले की आलोचना की

High Court News: यह कम ही होता है कि कोई जज अपने ही फैसले की आलोचना करें. लेकिन ऐसा हुआ है. मद्रास हाईकोर्ट के जज आनंद वेंकटेश ने अपने ही फैसले की आलोचना की. इक मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा कि उन्होंने पद संभालने के तुरंत बाद फैसला सुनाया था और फैसले लिखने के अति-उत्साह में वह बह गए थे.

गलती हुई यह क्या बोल गए हाईकोर्ट के जज अपने ही फैसले की आलोचना की
चेन्नई: किसी भी कोर्ट को उसके फैसले से जाना जाता है. यह कम ही देखा जाता है कि कोई जज अपने ही फैसले की बाद में आलोचना करे. लेकिन ऐसा हुआ है. दरअसल राकेश लॉ फाउंडेशन के समन्वय में मद्रास बार एसोसिएशन अकादमी द्वारा आयोजित एक व्याख्यान श्रृंखला में बोलते हुए, मद्रास हाईकोर्ट में के न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने इस बात पर जोर दिया कि एक व्यक्ति में अपनी गलतियों को स्वीकार करने और इसे बदलने के लिए तैयार रहने का साहस होना चाहिए. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जज आनंद वेंकटेश ने “भूमि के मुकदमे के मामले में एक न्यायाधीश द्वारा अपने ही निर्णय की आलोचना” विषय पर व्याख्यान दिया. न्यायाधीश ने चर्चा की कि हर्ष एस्टेट बनाम कल्याण चक्रवर्ती के मामले में 2018 के एक मामले में फैसला सुनाते समय उन्होंने कैसे गलती की थी. पढ़ें- SG तुषार मेहता ने कही ऐसी बात… कपिल सिब्बल भी बोल पड़े हम साथ-साथ…, फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? जज ने क्या की टिप्पणी? न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि वह एक व्यक्ति के रूप में और न्यायाधीश के रूप में उनके द्वारा दिये गये फैसले की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह रवैया बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि विकास तब होता है जब कोई व्यक्ति जानता है कि उसने गलती की है और वह उस गलती को सुधारने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि कोई भी गलती कर सकता है, लेकिन गलती को पहचानने और उस पर पुनर्विचार करने की इच्छा रखना भी महत्वपूर्ण है. अति-उत्साह में वह बह गए था- जज वेंकटेश  न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा कि किसी को गलती को उचित ठहराने की कोशिश नहीं करनी चाहिए या उसे दबा कर रखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. बल्कि आगे आकर गलती स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए. न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा कि उन्होंने पद संभालने के तुरंत बाद फैसला सुनाया था और फैसले लिखने के अति-उत्साह में वह बह गए थे. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने अति-उत्साह को रास्ते में नहीं आने दिया होता और सभी जुड़े मुद्दों पर गहराई से विचार किया होता, तो शायद वह बेहतर निर्णय देने में सक्षम होते. Tags: High court, Madras high court, Tamil Nadu newsFIRST PUBLISHED : May 3, 2024, 11:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed