बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों को रोकती है यह मशीन इसमें सोते थे माइकल जैक्सन

डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि उम्र बढ़ने के पीछे डीएनए में मौजूद टेलोमेयर प्रमुख कारण होता है. ऑक्सीजन और न्यूट्रीशन हमारे शरीर में मौजूद ब्लड सेल्स को जीवित रखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे ब्लड सेल्स की कार्य करने की क्षमता कम होती जाती है.

बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों को रोकती है यह मशीन इसमें सोते थे माइकल जैक्सन
अंजलि सिंह राजपूत/ लखनऊ: विश्व भर में डांस और सिंगिंग के लिए मशहूर माइकल जैक्सन अपने आपको जवान दिखाने और बढ़ती हुई उम्र को रोकने के लिए जिस मशीन में सोते थे. जिसे उन्होंने अपने घर में लगवा रखा था. उस मशीन को उत्तर प्रदेश में पहली बार लेकर के आए लखनऊ के मशहूर डॉक्टर डॉ. पंकज श्रीवास्तव. जोकि अपने घर के इकलौते डॉक्टर बने. जबकि उनका पूरा परिवार इंजीनियर से भरा हुआ था. लेकिन इन्होंने डॉक्टर बनने की ठानी और प्रयागराज के राजकीय इंटर कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद सीपीएमटी का एग्जाम दिया और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से अपना एमबीबीएस और एमएस करने के बाद लखनऊ के मशहूर ईएनटी सर्जन बने. इसके बाद इन्होंने लखनऊ में ही अपना एक अस्पताल आलमबाग में स्थापित किया और दूसरा हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी सेंटर स्थापित  किया, जोकि लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. अब फिलहाल डॉक्टर पंकज श्रीवास्तव के घर में उनके दोनों बच्चे और पत्नी भी डॉक्टर हैं. बीमारियों के साथ बढ़ती उम्र को रोकती है डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि उम्र बढ़ने के पीछे डीएनए में मौजूद टेलोमेयर प्रमुख कारण होता है. ऑक्सीजन और न्यूट्रीशन हमारे शरीर में मौजूद ब्लड सेल्स को जीवित रखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे ब्लड सेल्स की कार्य करने की क्षमता कम होती जाती है. ऐसे में शरीर बीमारियों की चपेट में आता है और लोग बूढ़े दिखने लग जाते हैं. यही वजह है कि जहां पर सारी दवाएं और सर्जरी काम करना बंद कर देती है, वहां पर यह थेरपी काम करना शुरू करती है. हॉलीवुड और बॉलीवुड के साथ ही एथलीट और मॉडल या आम जनता भी अब इस थेरेपी की ओर जा रहे हैं. यह थेरेपी शरीर पर किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं डालती है. उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को डायबिटीज होता है, उनके घाव नहीं भरते. वो इस थेरेपी को ले रहे हैं. उनके घाव जल्दी भर रहे हैं. जिनके सुनने की नस खत्म हो चुकी है, उनकी नस काम करना शुरू कर दे रही है. जिससे वो दोबारा सुन पा रहे हैं. जिनको लकवा हो गया है, उनके शरीर में बंद हो चुके अंगों को दोबारा कार्य में लाने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इस तरह काम करती है यह थेरेपी हाइपरबेरिक ऑक्सीजन चेंबर प्रेशराइज चेंबर है, जिसमें हम लोग 2.5 प्रेशर बनाते हैं यानी 150 मीटर समुद्र के नीचे जितना प्रेशर इसमें जब बन जाता है और फिर उसमें ऑक्सीजन लेते हैं. ऐसे में शरीर के जो रेड सेल्स होते हैं वो पूरी तरह से संतुष्ट होते हैं. उसके साथ ही खून के अंदर प्लाज्मा होता है उसमें ऑक्सीजन पूरी तरह से घुल जाती है. ऐसे में शरीर के हर कोने, हर हिस्से में ऑक्सीजन पहुंच जाती है. जिससे पुरानी खराब हो चुकी सेल्स ठीक हो जाती है. नई सेल्स बन जाती है. इससे त्वचा के साथ ही शरीर के अंदर के सभी हिस्से एक्टिव हो जाते हैं. ऐसे शुरू की जाती है ऑक्सीजन थेरेपी ऑक्सीजन चेंबर के अंदर जाने के बाद दरवाजे को बंद कर दिया जाता है. एक बार में तीन लोग यह थेरेपी ले सकते हैं. जिन मरीजों को बैठने में दिक्कत होती है, उनके लिए लेटने की व्यवस्था है. इस चेंबर में हवा के जरिए प्रेशर बनने में लगभग 15 मिनट लगते हैं. इसके बाद 1.8 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से ऑक्सीजन इसमें जाती है. अंदर बैठकर लोग म्यूजिक सुन सकते हैं, किताब पढ़ सकते हैं, लेकिन किसी भी तरह का इलेक्ट्रॉनिक सामान या ज्वेलरी अंदर नहीं ले जा सकते हैं. करीब डेढ़ घंटे तक इसके अंदर लोग रहते हैं. बाहर मॉनिटरिंग सिस्टम लगा हुआ है. जिसके जरिए अंदर बैठे लोगों से बात की जाती है और उन्हें देखा जाता है. शरीर की बीमारियों में है वरदान डायबिटीज के कारण होने वाले शारीरिक दुष्प्रभाव खतरनाक होते हैं. हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी डायबिटीज से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाती है. आज हर डायबिटीक पेशेंट हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी लेने लगे तो खराब किडनी, न्यूरोपैथी (हाथ-पैरों में झुनझुनी, सूजन एवं सुन्नपन), डायबिटिक फुट, अल्जाइमर डिजीज या डिमेंशिया, डायलिसिस, आंखों की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, अंग विच्छेदन, गैंगरीन, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, थकावट, तेजी के साथ उम्र बढ़ना, स्किन में झुर्रियां, घावों का न भरना, बार-बार इंफेक्शन होना और पुअर क्वालिटी ऑफ लाइफ, जल्दी-जल्दी बीमार होना आदि समस्याएं बहुत कम हो जाएंगी. इसके अलावा, कैंसर में रेडिएशन के बाद के शरीर में दुष्प्रभाव का हाइपरबेरिक ऑक्सीजन ट्रीटमेंट से इलाज और बचाव भी संभव है. Tags: Hindi news, Local18, Medical18FIRST PUBLISHED : May 26, 2024, 10:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed