इस खास थेरेपी से ठीक हो सकती है अलका याग्निक की बीमारी डॉक्टर ने किया दावा
इस खास थेरेपी से ठीक हो सकती है अलका याग्निक की बीमारी डॉक्टर ने किया दावा
इस बीमारी के ठीक होने का दावा लखनऊ के मशहूर ईएनटी सर्जन डॉक्टर पंकज श्रीवास्तव कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर अलका याग्निक हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी लेती हैं तो उन्हें काफी मदद मिल सकती है
लखनऊ: 90 के दशक की मेलोडी क्वीन और 2500 से ज्यादा गाना गाने वाली मशहूर सिंगर अलका याग्निक कानों की रेयर बीमारी से पीड़ित हो गई हैं. उन्हें सुनाई नहीं दे रहा है. इसे मेडिकल भाषा में सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस कहा जाता है. इस बीमारी के ठीक होने का दावा लखनऊ के मशहूर ईएनटी सर्जन डॉक्टर पंकज श्रीवास्तव कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर अलका याग्निक हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी लेती हैं तो उन्हें इस बीमारी में काफी मदद मिल सकती है.
उन्होंने बताया कि इस बीमारी में ‘समय’ बेहद महत्वपूर्ण होता है. सिंगर इलाज में जितनी देरी करेंगी उतनी ही ये बीमारी बढ़ेगी. सही समय पर सही डॉक्टर से इलाज कराने से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है. इलाज में देरी होने से यह एक परमानेंट पैरालिसिस या विकलांगता भी बन सकती है.
क्या है सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस
डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि जब कोई तेज म्यूजिक सुनता है, तब उसे इस तरह की बीमारी होती है. अमूमन इस बीमारी को हम कान की नस की पैरालिसिस कहते हैं, जिसमें अचानक ब्लड सप्लाई कान की नस में प्रभावित करता है. खास बात यह है कि यह बीमारी सिर्फ एक कान को ही प्रभावित करती है. यह बीमारी उन्हीं लोगों को होती है जो ज्यादा तेज म्यूजिक सुनते हैं. इस बीमारी के इलाज की बात करें तो दो तरह से इसका इलाज होता है. पहले दूरबीन के जरिए मरीज के कान के परदे के अंदर एक दवा डाली जाती है जिसे पांच बार डालना होता है और मरीज को एक घंटे अस्पताल में रुकना होता है. इससे भी इस तरह के हियरिंग लॉस काफी हद तक ठीक हो जाते हैं और दूसरा हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी के जरिए इस तरह की बीमारी ठीक हो सकती है.
इस तरह काम करती है यह थेरेपी
हाइपरबेरिक ऑक्सीजन चेंबर प्रेशराइज चेंबर है, जिसमें हम लोग 2.5 प्रेशर बनाते हैं यानी 150 मीटर समुद्र के नीचे जितना प्रेशर इसमें जब बन जाता है और फिर उसमें ऑक्सीजन लेते हैं. ऐसे में शरीर के जो रेड सेल्स होते हैं वो पूरी तरह से संतुष्ट होते हैं. उसके साथ ही खून के अंदर प्लाज्मा होता है उसमें ऑक्सीजन पूरी तरह से घुल जाती है. ऐसे में शरीर के हर कोने, हर हिस्से में ऑक्सीजन पहुंच जाती है. जिससे पुरानी खराब हो चुकी सेल्स ठीक हो जाती है. नई सेल्स बन जाती है. इससे त्वचा के साथ ही शरीर के अंदर के सभी हिस्से एक्टिव हो जाते हैं.
Tags: Alka Yagnik, Local18FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 11:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed