बकरी है या ATM दूध और मीट के लिए है बेस्ट90 किलो तक होता है वजन

भारत में जमुनापारी बकरी का पालन यमुना नदी के आसपास क्षेत्रों में खूब होता है. इस नस्ल बकरियां उत्तर प्रदेश इटावा जिला में मुख्य रूप से पाई जाती. इस नस्ल से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है क्योंकि ये नस्ल ज्यादा मांस और दूध देती हैं. और ये जल्दी बीमार भी नहीं होती हैं. इस नस्ल की बकरियों की कद काठी भी अच्छी होती है.

बकरी है या ATM दूध और मीट के लिए है बेस्ट90 किलो तक होता है वजन
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: हर किसी की थाली में इन दिनों सूतफेनी अपना स्वाद बढ़ा रही है. क्योंकि, दूध और मेवों से तैयार होने वाली सूतफेनी की बात ही निराली है. जब यह तैयार की जाती है, तो इसमें विभिन्न प्रकार की मेवा के साथ ही दूध में डालकर इसे तैयार किया जाता है. इस कारण एक अलग ही स्वाद आता है और खाते ही शरीर में ऊर्जा का भी एहसास होता है. फर्रुखाबाद की घूमना चौराहे पर मौजूद राजीव कुमार सूतफेनी का कारोबार पिछले 50 साल से कर रहे हैं. वह बताते हैं कि उनकी दुकान बुजुर्गों के समय से चली आ रही सूतफेनी बनाने की विधि आज भी कायम है. यही कारण है कि आसपास के कई जिलों में यहां से तैयार की गई शुद्ध पानी ऑर्डर पर जाती है. वहीं दुकानदार राजीव बताते हैं कि वह कई प्रकार की सूतफेनी तैयार करते हैं. जिसमें जवारा, रोस्टेड, सुखी दूध से तैयार और देसी घी से बनने वाली सूतफेनी अत्यधिक बिकती है. इसका भाव पचास से सत्तर रुपए किलो तक रहता है. यह है बनाने की रेसिपी सूतफेनी तैयार करने के लिए उनके यहां पर मौजूद कारीगर, जो सावन के माह में कानपुर घाटमपुर के क्षेत्र से आते हैं. हर प्रकार की सूतफेनी तैयार कर लेते हैं. वहीं इसे तैयार करने के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. सूतफेनी तैयार करने का समय सुबह से लेकर देर रात्रि तक चलता है. इस दौरान इसे तैयार करने में 5 से 7 आयाम के बाद यह तैयार होती है. इसमें सबसे पहले मैदा और घी को मिलाने से होने वाली शुरुआत और धीरे-धीरे जब सूतफेनी की कई लेयर बन जाती है. यह आखिरी में जाकर कढ़ाई में पहुंचती और वहां पर गर्म तेल में डालते ही इसके लच्छे अलग हो जाते हैं.  यह पककर तैयार हो जाती है. इसे अच्छे से एक कागज के बॉक्स में रखने के बाद बिक्री कर दिया जाता है. सूतफेनी को घर पर लाने के बाद इसे तेल में गर्म करने के बाद दूध में डाला जाता है. इसके बाद उसमें स्वाद के अनुसार चीनी, इलायची डाली जाती है. ऊपर से मेवा डालने के बाद इसे पकाया जाता है. जब यह बन जाती है, तो अलग ही खुशबू आने लगती है. इसे निकालने के बाद खाने के लिए पर परोसा जाता है. Tags: Farrukhabad news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 16:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed