खर्राटे लेने वालों पर झुंझलाएं नहीं इन लोगों को कभी भी आ सकता है हार्ट अटैक
खर्राटे लेने वालों पर झुंझलाएं नहीं इन लोगों को कभी भी आ सकता है हार्ट अटैक
खर्राटे आना वैसे तो सामान्य बात लगती है क्योंकि भारत में ज्यादातर लोग रात को सोते समय खर्राटे लेते हैं लेकिन इन लोगों पर झुंझलाने या इनकी इस आदत से चिढ़ने के बजाय इस बीमारी का इलाज कराना बेहद जरूरी है, वरना ऐसे लोगों की कभी भी रात में जान जा सकती है.
हाइलाइट्स खर्राटे लेने वालों पर गुस्सा करने के बजाय उनका इलाज कराएं. खर्राटे सामान्य बीमारी नहीं बल्कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक का बड़ा कारण है.
अगर आपके घर में कोई सोते समय खर्राटे लेता है और आप उसकी इस आदत पर हंसते हैं या मजाक बनाते हैं तो आपको संजीदा हो जाना चाहिए. ऐसा व्यक्ति मौत के कगार पर खड़ा हुआ है. खर्राटे लेने वाले व्यक्तियों को हार्ट अटैक से लेकर ब्रेन स्ट्रोक और सडन कार्डिएक अरेस्ट का खतरा सामान्य लोगों के मुकाबले काफी ज्यादा होता है. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो सीवियर खर्राटे लेने वाले लोगों की सोते-सोते जान भी जा सकती है. लिहाजा खर्राटे कोई सामान्य बीमारी नहीं है, बल्कि गंभीर मुसीबत को न्यौता है.
एम्स नई दिल्ली के पूर्व एचओडी पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन व चेयरमैन पीएसआरआई, आईपीसीएसएम डॉ. जीसी खिलनानी कहते हैं कि जो लोग खर्राटे लेते हैं, उन्हें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नाम की बीमारी होती है. यह एक कॉमन समस्या है. खर्राटे का मतलब होता है कि जिन लोगों की गर्दन छोटी होती है, ओबेसिटी होती है, टॉन्सिल्स बड़े होते हैं और कई कारण होते हैं तो जब रात में सोते समय मसल्स रिलेक्स कर रही होती हैं और हवा फेफड़ों में जाती है तो हवा का फ्लो कम हो जाता है. अब जैसे-जैसे गहरी नींद होती है उनके खर्राटे बढ़ते चले जाते हैं. इससे लंग्स, ब्रेन और हार्ट ही नहीं पूरे शरीर में ऑक्सीजन कम पहुंचती है. इन लोगों की नींद भी बार-बार टूटती है. रात में बार-बार मुंह सूखता है. दिन में बार-बार नींद के झोंके आते हैं. ये होती हैं बीमारियां
डॉ. खिलनानी बताते हैं कि ब्रेन और हार्ट ही नहीं शरीर के अन्य अंगों तक ऑक्सीजन कम पहुंचने की वजह से ऐसे व्यक्तियों को बहुत सारे हेल्थ इश्यूज हो जाते हैं जो काफी गंभीर है..जैसे..
. ब्रेन स्ट्रोक
. हार्ट अटैक
. सडन कार्डिएक अरेस्ट
. लांग टर्म में डिमेंशिया
. एक्सीडेंट
. हाई ब्लड प्रेशर ये हैं खर्राटे के कारण
डॉ. कहते हैं कि खर्राटे की सबसे ज्यादा समस्या मोटे लोगों में देखने को मिलती है. 70 से 80 फीसदी मोटे लोग खर्राटे लेते ही हैं. जिन लोगों का पेट मोटा है, गर्दन मोटी है, गले के अंदर फैट जमा है, उन्हें स्नोरिंग की बीमारी होती है. इसके अलावा नाक की हड्डी का टेढ़ा होने या जुकाम की वजह से भी सांस लेने में रुकावट होती है और खर्राटे आते हैं. खर्राटे का क्या है इलाज?
. वेट लॉस- खर्राटे बंद करने का सबसे आसान और जरूरी उपाय है कि व्यक्ति अपना वजन कम कर ले. जैसे ही वजन घटेगा, खर्राटे भी कम होते चले जाएंगे.
. सी पैप मशीन- सोते समय नाक और गले के ऊपर सी पैप (continuous positive airway pressure)मशीन लगाते हैं. यह मशीन नींद गहरी आने पर भी हवा के प्रेशर को ठीक रखती है. इससे व्यक्ति को नींद भी अच्छी आती है, ऑक्सीजन भी शरीर में पहुंचती है, सुबह वह फ्रेश उठता है और उसे तमाम तरह के हेल्थ के खतरे नहीं रहते हैं.
. ऑपरेशन- खर्राटों का तीसरा इलाज है ऑपरेशन. मान लीजिए किसी के टॉन्सिल्स बड़े होते हैं, गले का स्ट्रक्चर ऐसा होता है कि हवा का प्रेशर नहीं पहुंच पाता तो उसमें सर्जरी की जरूरत पड़ती है. ईएनटी सर्जन ये ऑपरेशन करते हैं.
. डेंटल एप्लाइंसेज- चौथे इलाज के रूप में डेंटल एप्लाइंसेज भी इस्तेमाल किए जाते हैं, हालांकि हर एक मरीज के लिए अलग-अलग एप्लाइंसेज की जरूरत होती है. इससे जबड़ा थोड़ा आगे आ जाता है और खर्राटे कम आते हैं और बार-बार नींद टूटने की समस्या यानि स्लीप एपनिया में राहत मिलती है. हालांकि ये माइल्ड केसेज में ही कारगर होते हैं. सीवियर मामलों में ये एप्लाइंसेज सक्सेजफुल नहीं हैं.
विदेशों में भी खर्राटे हैं बड़ी परेशानी
डॉ. खिलनानी कहते हैं कि सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भी इस बीमारी से लोग परेशान हैं. अमेरिका में एक्सीडेंट का कारण ही ये बीमारी है. रातभर जो लोग खर्राटे या स्लीप एपनिया की वजह से सो नहीं पाते हैं, वे दिन में गाड़ी चलाते हैं और झपकी के चलते एक्सीडेंट कर बैठते हैं. ऐसे में ये बीमारी कई मायनों में जितनी सामान्य दिखती है, उतनी है नहीं, इसके परिणाम ज्यादा खराब हैं.
Tags: Cardiac Arrest, Health News, Heart attack, Trending newsFIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 10:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed