छोटे-छोटे बच्चों की हार्ट अटैक से क्यों हो रही मौत क्या स्कूल है वजह
छोटे-छोटे बच्चों की हार्ट अटैक से क्यों हो रही मौत क्या स्कूल है वजह
पिछले 8 महीने में स्कूलों में बच्चों को हार्ट अटैक आने से मौत की घटनाएं काफी देखी जा रही हैं. इन बच्चों की उम्र भी 7 साल से 14 साल के बीच है. ऐसे में सवाल है कि क्या स्कूल की वजह से बच्चों को हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आ रहा है और उनकी मौत हो रही है? आइए जानते हैं क्या कहते हैं कार्डियोलॉजिस्ट...
हाइलाइट्स पिछले 10 महीनों में स्कूल में कई बच्चों की सडन कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो गई है. छोटे बच्चों में सडन कार्डिएक डेथ के पीछे डॉक्टर दो बीमारियों को वजह बता रहे हैं.
हाल ही में यूपी के अमरोहा में यूकेजी में पढ़ने वाली 7 साल की बच्ची को स्कूल में हार्ट अटैक आया और अस्पताल ले जाने तक उसकी मौत हो गई. इससे पहले मार्च में फिरोजाबाद में 8 साल के बच्चे की स्कूल में हार्ट अटैक से जान चली गई. वहीं दिसंबर 2023 में जयपुर के निजी स्कूल में एक 14 साल के बच्चे को स्कूल में प्रेयर के दौरान कार्डिएक अरेस्ट हुआ और वह बच नहीं सका. वहीं सितंबर में लखनऊ के अलीगंज में एक 9 साल के बच्चे को हार्ट अटैक आया और मौके पर ही उसके प्राण पखेरू उड़ गए….. ये ज्यादातर घटनाएं स्कूलों में ही हुई हैं, जब इतने छोटे-छोटे बच्चों की पलभर में जान चली गई है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि दिल बैठा देने वाली इन घटनाओं के पीछे क्या वजह है?
ये भी पढ़ें
आपके शरीर में क्यों बढ़ रहा कोलेस्ट्रॉल? जानकर हो जाएंगे हैरान, गंगाराम के हार्ट स्पेशलिस्ट ने बताया कैसे करें कंट्रोल
इतनी छोटी उम्र में हंसते-खेलते बच्चे स्कूलों में इस तरह मौत के मुंह में क्यों समा रहे हैं, जबकि इनमें से बहुत सारे पेरेंट्स को यही लगता है कि जब वे स्कूल गए तो एकदम स्वस्थ थे, इन्हें कोई खास परेशानी भी नहीं थी. ऐसे में डर पैदा कर रहीं इन घटनाओं पर jharkhabar.comhindi ने कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के सदस्य और सर गंगाराम अस्पताल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अश्विनी मेहता से बातचीत की तो उन्होंने कई चौंकाने वाली बातें बताईं…
ये हार्ट अटैक नहीं बल्कि….
डॉ. अश्विनी मेहता ने कहा कि जैसा कि कहा जा रहा है कि हार्ट अटैक से मौत हो गई, वास्तविकता में यह हार्ट अटैक नहीं होता जैसा कि आमतौर पर लोगों को होता है, बल्कि यह सडन कार्डिएक डेथ होती है. बच्चों को सडन कार्डिएक अरेस्ट होता है और उनकी 1 घंटे के अंदर-अंदर मौत हो जाती है. ये नॉर्मल हार्ट अटैक से अलग चीज है.
बच्चों में पहली बार नहीं ये केस..
वे आगे बताते हैं कि यह बच्चों में पहली बार देखने को नहीं मिल रहा है, ऐसे केस हमेशा होते रहे हैं. फिर चाहे यह 7 साल के बच्चे में हो या 1 या उससे कम उम्र के बच्चों में भी हो सकते हैं. जो ये अचानक मौत होती हैं, वे बच्चों में हार्ट की अंडरलाइन बीमारियों की वजह से होती है, जिनका पता आमतौर पर किसी को नहीं होता है. मां-बाप को भी नहीं पता होता है कि बच्चे को हार्ट संबंधी कोई इश्यू है. इसके पीछे वजह ये है कि इनके लक्षण भी बहुत साफ नहीं होते हैं. कुछ लोगों की फैमिली हिस्ट्री की वजह से भी बच्चों में ये दिक्कत आती है, जबकि कुछ रेयरेस्ट बीमारियों की वजह से भी बच्चों की सडन कार्डिएक डेथ होती है.
ये दो बीमारियां हैं जिम्मेदार
बच्चों में कार्डिएक अरेस्ट के लिए हार्ट की ये दो अंडरलाइन बीमारियां सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती हैं. पहली है हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी, जिसमें हार्ट की मसल्स मोटी और बढ़ जाती हैं, जिससे हार्ट को पंप करने में परेशानी होती है. और दूसरी बीमारी है लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम जो हार्ट का रेयर रिदम डिसऑर्डर है जो हार्ट बीट को कंट्रोल करने वाले इलेक्ट्रिकल सिस्टम को प्रभावित करता है.
पहले से दिखते हैं लक्षण?
हार्ट की अंडरलाइन बीमारियां जो बच्चों को सडन कार्डिएक अरेस्ट देती हैं, उनके बहुत ज्यादा लक्षण तो नहीं होते लेकिन हां कई बार होता है कि बच्चा पहले कभी अचानक बेहोश हुआ हो, उसे सांस लेने में दिक्कत हुई हो, या किसी अन्य बीमारी के इलाज के दौरान उसकी हार्ट कंडीशन का पता चल गया हो. ऐसे में ये सब दिखें तो बच्चे की कार्डिएक जांच जरूर कराएं.
स्कूल से है कोई कनेक्शन?
डॉ. मेहता कहते हैं कि बच्चों को हो रहे सडन कार्डिएक अरेस्ट का संबंध स्कूलों से नहीं है. ऐसा नहीं है कि बच्चा स्कूल जा रहा है तो वहां उसे ये परेशानी हो रही है. हां इतना जरूर है कि इस उम्र के बच्चे रोजाना और एक समय तक स्कूल में रहते हैं तो वहां ही ये मामले रिपोर्ट हो रहे हैं. ऐसा नहीं है कि स्कूल के तनाव, पढ़ाई के प्रेशर या अन्य किसी चीज की वजह से स्कूल में बच्चों को सडन कार्डिएक अरेस्ट हो रहा है.
स्पोर्ट्स के बच्चों की हो जाती है जांच
खासतौर पर विदेशों में और बहुत कम लेकिन अपने यहां भी जो भी बच्चे गेम्स खेलने के लिए बाहर जाते हैं, उनकी सभी जांचें की जाती हैं. उनकी ईको, ईसीजी आदि जांचें होती हैं और यह पता लगाया जाता है कि उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत तो नहीं है या कोई हार्ट की अंडरलाइन बीमारी तो नहीं है, ऐसी स्थिति में इन बच्चों की बीमारी पकड़ में आ जाती है, लेकिन बाकी बच्चों की नहीं आ पाती.
क्या करें बचाव
डॉ. मेहता कहते हैं कि वैसे तो बच्चों में कार्डिएक सडन डेथ एक लाख बच्चों में से 2-4 को होती है लेकिन फिर भी बच्चों का अगर वजन ज्यादा है तो कंट्रोल रखें, कोई अलग सिम्टम दिखे तो डॉक्टरी जांच कराएं, बच्चा अचानक कभी बेहोश हो गया हो तो उसकी कार्डिएक एक्टिविटी चेक कराएं. अच्छा पोषणयुक्त खानपान दें, जंक फूड न दें.
ये भी पढ़ें
चलते-फिरते हार्ट-अटैक दे रही ये एक चीज, भारत में 80% लोग अनजान, हार्ट स्पेशलिस्ट बोले, हर हाल में कराएं जांच
Tags: Cardiac Arrest, Gangaram Hospital, Heart attackFIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 12:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed