भारत-चीन के रिश्तों में कम हो रही खटास6 माह में कैसे बनी बात इनसाइड स्टोरी

India-China News: भारत और चीन के रिश्तों में खटास अब कम होती दिख रही है. भारत और चीन ने देपसांग और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट का ऐलान किया है. इसके ठीक बाद पीएम मोदी और शी जिनपिंग की रूस के कजान शहर में मुलाकात हुई.

भारत-चीन के रिश्तों में कम हो रही खटास6 माह में कैसे बनी बात इनसाइड स्टोरी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर को रूसी शहर कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. पिछले पांच सालों में दोनों नेताओं के बीच यह पहली द्विपक्षीय बैठक थी. गालवान घाटी संघर्ष के बाद से दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बढ़ गया था. पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब दो दिन पहले ही भारत और चीन ने एलएसी पर सभी विवादित बिंदुओं से डिसइंगेजमेंट यानी विघटन की घोषणा की है. अब सवाल है कि क्या भारत और चीन के रिश्तों में जमी बर्फ पिघल रही है? आखिर 6 महीने में एलएसी पर यह डिसइंगेजमेंट कैसे मुमकिन हुआ? सरकार के टॉप सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन भी पिछले कुछ समय से एलएसी मुद्दे को सुलझाने के लिए उत्सुक था. सूत्रों का कहना है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद पिछले तीन महीनों में मोदी की रूस की दो यात्राओं ने चीन को समझौते के लिए राजी करने में अहम भूमिका निभाई. पिछले छह महीनों में बातचीत काफी आगे बढ़ी थी, जिसके परिणामस्वरूप अब कंप्लीट डिसइंगेजमेंट यानी पूर्ण विघटन संभव हो पाया है. टॉप सूत्रों ने बताया कि एलएसी पर एलएसी पर डिसइंगेजमेंट और तनाव कम करने की प्रक्रिया भी तेजी से होगी, क्योंकि दोनों पक्ष इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाना चाहते हैं. एलएसी के दोनों ओर भारत और चीन की ओर से पेट्रोलिंग यानी गश्त भी जल्द ही शुरू होगी. सैनिकों की वापसी अंतिम चरण होगा, जो चीन के साथ भारत के ‘वॉच एंड वेरिफाई अप्रोच’ दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा. पीएम मोदी की शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत में भी इसी जल्दबाजी की झलक दिखाई दी. भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में 2020 में उठे मुद्दों के पूर्ण निस्तारण और विवादों को सुलझाने के लिए हालिया समझौते का स्वागत किया. उन्होंने मतभेदों और विवादों को ठीक से निपटाने और उन्हें शांति और स्थिरता को भंग न करने देने के महत्व पर जोर दिया. दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि भारत-चीन सीमा प्रश्‍न पर विशेष प्रतिनिधि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए जल्‍दी ही मुलाकात करेंगे. साथ ही सीमा विवाद का उचित, तार्किक और दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तलाशने पर भी चर्चा करेंगे. भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विदेश मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्तर पर उपलब्ध बातचीत के माध्यमों का भी द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और पुनर्निर्माण के लिए उपयोग किया जाएगा. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी और दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, अनुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे. इससे एक बहु-ध्रुवीय एशिया (मल्टी पोलर एशिया) और एक बहु-ध्रुवीय दुनिया के निर्माण में भी मदद मिलेगी. दोनों ने रणनीतिक और दीर्घकालिक नजरिए से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने, रणनीतिक संवाद को बढ़ाने और विकास संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग का पता लगाने की आवश्यकता को रेखांकित किया. चार सालों में हुईं कूटनीतिक बैठकों के 31 और सैन्य वार्ता के 21 दौर और जुलाई में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच दो महत्वपूर्ण बैठकों ने भारत और चीन के लिए एलएसी पर डिसइंगेजमेंट पर एक समझौते तक पहुंचने के लिए मार्ग प्रशस्त किया है. 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से एलएसी पर सात जगहों पर तनाव था. इनमें से पांच जगहों से तो सैनिकों को पीछे हटा लिया गया था. लेकिन देपसांग मैदान और डेमचोक में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने डटे हुए थे. अब बाकी दो जगहों से भी दोनों पक्षों ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है. Tags: China news, India china border dispute, India china tension, LAC India China, PM Modi, Xi jinpingFIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 11:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed