हिमाचल में सेब के पौधों पर नई बीमारी का अटैक बागवानों में मचा हड़कंप

Shimla Apple Plant Disease: बागवानी विभाग के अनुसार, अल्टरनेरिया नाम का यह रोग है और अगर इसकी जल्द रोकथाम नहीं हुई तो ये महामारी का रूप भी ले सकता है.

हिमाचल में सेब के पौधों पर नई बीमारी का अटैक बागवानों में मचा हड़कंप
शिमला. हिमाचल प्रदेश में सेब के पेड़ों में एक बीमारी ने बागवानों (Himachal Apple) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सेब (Apple Plants) के पेड़ों की पत्तियों में भूरे रंग के धब्बों के साथ साथ काले रंग के धब्बे भी नजर आ रहे हैं, जिसके चलते पत्तियों के गिरने की आशंका के साथ साथ सेब के झड़ने का खतरा बनता नजर आ रहा है. शिमला जिला के कई इलाकों में ये रोग काफी फैल चुका है. माना जा रहा है कि शिमला (Shimla) के कई इलाकों में 90 फीसदी सेब के पौधे इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं. इस रोग का असर सेब के आकार और गुणवत्ता पर पड़ेगा, जिसका सीधा नुकसान बागवानों पर होगा.. इससे न केवल बागवानों, बल्कि इससे जुड़े लाखों लोगों के रोजगार भी प्रभावित होगा. हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग के अनुसार, अल्टरनेरिया नाम का यह रोग है और अगर इसकी जल्द रोकथाम नहीं हुई तो ये महामारी का रूप भी ले सकता है. शिमला के ठियोग के चियोग क्षेत्र के कुछ बागवानों का कहना है कि अल्टरनेरिया लग रहा है, जो ब्लाइट का एक रूप लग रहा है, लेकिन जिस तेजी के साथ ये फैल रहा है और भूरे रंग के धब्बे काले हो रहे हैं तो ये नई किस्म की बीमारी की ओर संकेत कर रहा है. बागवानों ने सरकार से इस रोग पर विस्तृत शोध कर निदान खोजने की मांग की है. उधर, सोलन के नौणी स्थित डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की टीम और बागवानी विभाग की टीम ने शिमला जिला के कई इलाकों में दौरा कर निरीक्षण किया है. विशेषज्ञों की टीम ने चियोग, रोहड़ू, कोटखाई और जुब्बल में कई गावों में बागीचों में जाकर सैंपल भी इक्ठ्ठा किए हैं. NH Constructions: दुश्मनों से जीता, सिस्टम से हारा पूर्व फौजी…मनाली जालंधर नेशनल हाईवे पर 8 घरों पर बड़ा खतरा चियोग क्षेत्र के बाणी गांव के प्रगतिशील बागवान नारायण सिंह ने कहा कि ये रोग जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उससे लगता है कि यह बहुत नुकसान करेगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह का स्प्रे शेड्यूल नौणी विश्वविद्यालय या उद्यान विभाग की ओर से जारी किया जाता है, उसी के अनुसार समय पर सभी स्प्रे अपने बागीचे में की हैं, लेकिन भी पेड़ों को ये बीमारी जकड़ रही है. उन्होंने कहा कि मेरे बागीचे में करीब 2 हजार सेब के पौधे हैं और हर किस्म के सेब के पेड़ लगे हैं. विदेशी वैरायटी से लेकर परंपरागत रॉयल के सेब के पौधे हैं और ये रोग सभी किस्म के पेड़ों में फैल रहा है. उन्होंने बताया कि ये बीमारी ऐसी है कि इसकी शुरूआत के एक हफ्ते के भीतर ये लगभग पूरे बागीचे में फैल गई है और परेशानी बढ़ती जा रही है. कहीं ऐसा न हो कि इस साल नुकसान हो जाए और ये बीमारी आने वाले साल में भी दिक्कत बढ़ा दे, इसलिए राज्य सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना होगा. Manali City: कैसे पड़ा आपके पसंदीदा शहर मनाली का नाम? कहानी है काफी रोचक…जानकर कहेंगे-वाह भई वाह! चियोग के ही प्रगतिशील बागवान सोहन ठाकुर ने कहा कि ये रोग ब्लाइट की तरह ही है और जिस तरह का अल्टरनेरिया रोग होता है ये उससे अलग लग रहा है. पत्तों में पहले भूरे रंग के धब्बे पड़ रहे हैं और फिर ये धब्बे काले हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये नई किस्म की बीमारी लग रही है, इसलिए सरकार को इस बीमारी पर विस्तृत शोध करना चाहिए. चियोग क्षेत्र के बाणी गांव के प्रगतिशील बागवान नारायण सिंह ने कहा कि ये रोग जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उससे लगता है कि यह बहुत नुकसान करेगा. किसी माहमारी का रूप ले सकताः एक्सपर्स्ट राजधानी शिमला में बागवानी निदेशालय में तैनात वरिष्ठ पौध संरक्षण अधिकारी डॉ. कीर्ति कुमार सिन्हा ने कहा कि मौसम में परिवर्तन के चलते इस बार फंगल डिजिज के लिए मौसम अनुकूल हो गया है. इस साल की शुरूआत में बारिश हुई, फिर लंबे समय तक सूखे जैसी स्थिति रही और फिर मॉनसून में बारिश हुई. वातावरण में आदर्ता और ऐसी बीमारियों के लिए अनुकूल तापमान के चलते पत्तियों में जमे रहने वाले फंगल सपोर्स एक्टिव हो गए. उन्होंने कहा कि समय पर इसकी रोकथाम नहीं की गई तो ये किसी माहमारी का रूप ले सकता है. डॉ. सिन्हा ने कहा कि नौणी विश्वविद्यालय और उद्यान विभाग की ओर से गठित अलग अलग टीमों ने विभिन्न क्षेत्रों में बागीचों का दौरा किया है और इस रोग का अध्ययन किया है. साथ ही फील्ड पर तैनात अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस बीमारी के बारे में बागवानों को अवगत करवाते रहें और किस फंफूदनाशक की स्प्रे की जानकारी दें. अल्टरनेरिया नाम का यह रोग है और अगर इसकी जल्द रोकथाम नहीं हुई तो ये महामारी का रूप भी ले सकता है. रिपोर्ट में क्या पता चला उन्होंने कहा कि अब तक कि रिपोर्ट के अनुसार पत्तियों में अल्टरनेरिया रोग पाया गया है, पत्तियों के भूरे होने के बाद क्लोरोफिल खत्म हो जाता है और फोटोसिंथसिस नहीं हो पाता है. यानी पौधे को खाना मिलना बंद हो जाता है, जिससे पेड़ के साथ साथ फल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बागवान विभाग की ओर से अनुमोदित दवाइयों का प्रयोग करें और साथ ही फील्ड ऑफिसर्स को कहा गया है कि वे भी समय समय पर मॉनिटर करते रहें. Tags: Fruit Market New Rate, Fruits sellers, Himachal pradesh, Himachal Pradesh News Today, Shimla Monsoon, Shimla News TodayFIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 11:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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