पाक में IT का मतलब इंटरनेशनल टेररिज्म 1962 से पहले चीन ने कब्जाई जमीन

लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के बाद उनके एक सबसे काबिल मंत्री, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूज18 को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. इसमें उन्होंने चीन, पाकिस्तान से लेकर देश के भीतर की राजनीति और कांग्रेस की स्थिति पर खुलकर बात की.

पाक में IT का मतलब इंटरनेशनल टेररिज्म 1962 से पहले चीन ने कब्जाई जमीन
पूरे देश में लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मी जोरों पर है. पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर तमाम बड़े नेता और उम्मीदवार बेहद व्यस्त हैं. अब तक दो चरण की वोटिंग हो चुकी है. तीसरे चरण की वोटिंग सात मई को है. चुनाव प्रचार में पीएम मोदी की सरकार के तमाम बड़े मंत्री भी जुटे हुए हैं. इन्ही व्यस्तताओं के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूज18 को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. आप भी यह पूरा इंटरव्यू यहां पढ़ सकते हैं. सवाल: किस तरह की तैयारियां हैं लोकसभा चुनाव को लेकर? जवाब: इन चुनावों में हम मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल का रिकॉर्ड जनता के सामने रख रहे हैं. क्योंकि ये रिकॉर्ड मोदी की गारंटी पर लोगों के अंदर विश्वास पैदा करने का काम करेगा कि ये खाली गारंटी नहीं है, इसमें 10 साल का पूरा लेखा-जोखा है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जब आप कोई बीमा पॉलिसी लेते हैं तो कंपनी का रिकॉर्ड देखते हैं. उसी रिकॉर्ड के देखकर आपका भरोसा बीमा कंपनी के प्रति बनता है. इसी प्रकार हम लोग 10 साल के कामकाज का रिकॉर्ड देश की जनता के सामने रख रहे हैं, ताकि लोगों का मोदी की गारंटी के प्रति विश्वास और मजबूत हो. विदेश मंत्री होने के नाते हम लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं कि देखिए, दुनिया अब बहुत मुश्किल स्थिति में है. कहीं तनाव है, कहीं युद्ध है, विवाद है, दबाव है. ऐसे में हमें भारत के लिए बहुत मजबूत सरकार चाहिए. ऐसा नेता चाहिए, जिसे दुनिया की समझ हो, अनुभवी हो. इस चुनाव के दौरान में मैं खुद 6-7 राज्यों में जा चुका हूं और सभी राज्यों में मुझे ये दिखाई देता है कि विदेश नीति को लेकर लोगों में काफी जिज्ञासा है. सवाल: यशंकर जी, आपसे मैं यह जरूर पूछना चाहूंगा कि आपके पास पूरी दुनिया से खबरें आती हैं. इतने बड़े पैमाने पर खबरों के प्रवाह को आप किस प्रकार संभालते हैं, कैसे इसका प्रबंधन करते हैं? जवाब: हमार न्यूज रूम मंत्रालय है. मंत्रालय में भी विभागों के प्रमुख अलग-अलग देशों या क्षेत्र विशेष पर नजर रखते हैं. जब भी कोई संकट आता है, उस स्थिति से निपटने के लिए हम एक सिचुएशन रूम बनाते हैं. एक कंट्रोल रूम बनाते हैं. संकट के समय तुरंत ही सिचुएशन और कंट्रोल रूम सक्रीय होकर अपना काम करने लगते हैं. हमारे यहां एसओपी है कि कहीं भी कुछ हो जाए तो हमें अपने हितों को देखते हुए तेज फैसले करते हुए कदम उठाने चाहिए. इस तरह से हमारे कंट्रोल रूम और सिचुएशन रूम एक तरह से नर्व सेंटर बन जाते हैं. सवाल: आप जेएनयू से हैं. हर युवा का सपना होता है कि वह आईएएस बने. आपका पहला सपना क्या था- आईएएस या फिर आईएफएस. जवाब: मेरा सपना आईएफएस था. मेरे दोनों रैंक थे. मेरे पास दोनों विकल्प थे आईएएस और आईएफएस में किसी एक को चुनने के. लेकिन मेरी पसंद विदेश सर्विस थी. इसकी वजह थी कि जेएनयू में मेरी डिग्री इंटरनेशनल स्टीज को लेकर थी. मुझे शुरू से ही रुचि थी कि दुनिया में क्या हो रहा है. इस वजह से विदेश सेवा की तरफ एक झुकाव था. सवाल: आप युवाओं में बहुत पॉपुलर हैं. देश के नौजवान को कोई भी दिक्कत होती है, आपको टैग करते हुए वह अपनी बात लिख देता है. सवाल: युवा पीढ़ी के लिए आप अप्रोचेवल हैं. आपके वनलाइनर कोट्स बहुत फेमस होते हैं. जवाब: एक स्तर पर तो कभी-कभी मुझे खुद ही आश्चर्य होता है कि आपकी छवि ऐसे कैसे बन गई. सभी की अपनी एक अलग छवि होती है. हमें पता नहीं चलता है कि दूसरे लोग आपको किस तरह से देखते हैं. आज जमाना भी ऐसा है कि जिस समय से हम गुजर रहे हैं- लोग दबाव बनाने शुरू करते हैं. कई बार ऐसी परिस्थिति में डाल देते हैं कि हमें अपनी बात सख्त लहजे में कहनी पड़ती है. सवाल: आपकी बॉडी लैंग्वेज से भी लोग जज करते हैं. क्योंकि आपके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट की एक लकीर खींची रहती है. कितनी भी टेंशन हो, कितना भी क्राइसिस हो, आपकी मुस्कुराहट उसका एक जवाब होती है. जवाब: मैं रिलेक्स्ड आदमी हूं. मैं लोगों को कहता हूं कि विदेश मंत्री होना बहुत गर्व का विषय है. लेकिन मोदी जी का विदेश मंत्री होना, इसमें एक स्पेशल वैल्यू है. मोदी जी आपको टारगेट और रास्ता भी देते हैं. साथ ही आपको काम करने की पूरी आजादी देते हैं. इस वजह से कोई टेंशन नहीं होती है. जहां भी जाते हैं तो मुझे पता होता है कि मेरा मिशन क्या है, वहां मुझे क्या करना है, कैसे हैंडल करना है. सवाल: लेकिन विपक्ष तो यह आरोप लगाता है कि दो लोग ही काम करते हैं- एक मोदी और एक अमित शाह. बाकी सिर्फ बैठते हैं. बाकी लोगों को कह दिया जाता है काम करने के लिए और वे कर देते हैं. इसमें सच्चाई क्या है. जवाब: लोग कहते होंगे, लेकिन मैं एक उदाहरण देता हूं- आपने देखा होगा कि कोई भी कैबिनेट बैठक हो, कितना समय लगता है उस बैठक में, 3-4 घंटे. कुछ तो होता होगा वहां. संकट के समय आप देखते हैं कि मंत्री भी आ जाते हैं, सचिव भी आ जाते हैं. अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंच जाते हैं. इससे साफ जाहिर है कि मोदी जी का सरकार चलाने का एक सिस्टम है. इस सिस्टम में मोदी जी सबकी सलाह लेते हैं. दूसरा उदाहरण बताता हूं- जब भी प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर जाते हैं, विदेश मंत्री होने के नाते अक्सर मैं उनके साथ जाता हूं. हवाई जहाज में एक टेबल है. उस टेबल के इर्द-गिर्द हम सब लोग बैठते हैं. वो शुरू करते हैं सबसे जूनियर आदमी से. ताकि बिना संकोच के वह बोले. फिर सभी की बारी आती है. सभी की बात सुनने के बाद मोदी जी बोलते हैं. वे बहुत अनुभवी हैं, उनको सुनने की आदत है. सवाल: आपके इंटरव्यू हम अंग्रेजी में ज्यादातर देखते रहे हैं, लेकिन आपने जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिंदी में लंबा भाषण दिया था. हिंदी की तरफ आपका बढ़ना आकर्षण, बीजेपी की तरफ से है या फिर खुद आपकी रुचि. जवाब: मैं दिल्ली में पैदा हुआ. मेरी पढ़ाई-लिखाई सब दिल्ली में हुई. जो भी दिल्ली में रहते हैं उनका हिंदी से परिचय कुछ ज्यादा ही होता है. अगर हिंदी का उपयोग करने लग जाएं तो उसकी फ्लुएंसी अपने आप बढ़ने लगती है. आज भाजपा की सरकार है. आप ज्यादातर देखेंगे कि जो भी सांसद हैं या मंत्री हैं वो बड़े शहरों से नहीं आते हैं, वो दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों से आते हैं. उनको अपनी सुविधा के लिए हिंदी का प्रयोग अनुकूल होता है. मुझे लगता है कि स्वाभिक है इस माहौल में लोग ज्यादा हिंदी का उपयोग करें और जब एक बार आप प्रयोग करना शुरू कर देते हैं तो यह बढ़ता ही चला जाता है. सवाल: 190 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं. मतदान प्रतिशत कम हो रहा है, इसलिए आपका आकलन क्या है? क्योंकि विपक्ष कह रहा है कि उसकी स्थिति ठीक होगी. जयराम रमेश कह रहे हैं कि उन्हें स्पष्ट बहुमत मिल रहा है. जवाब: मैं सटीक तो नहीं बता पाऊंगा, लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि कहीं वोटिंग कम हुई है तो कहीं ज्यादा हुई है. कहीं 2019 की तुलना में कम हुई है तो कहीं 2014 की तुलना में बराबर मतदान हुआ है. यहां ये विषय नहीं है कि कितनी वोटिंग हुई है, विषय ये है कि कौन वोटिंग करने आया है. हम भाजपाइयों को तो पता है कि हमारे वोटर हमारे साथ हैं. उनके वोटर तो छोड़िए, उनके उम्मीदवार तक उनके साथ नहीं हैं. मैं हाल ही में एक स्पोर्टसमैन रोहन वोपन्ना से मिला था. उनको हाल ही में पद्म पुरस्कार मिला था. अब वो लगभग 44-45 साल के हैं. 45 की उम्र में ग्रैंड स्लैम जीतना, कितनी बड़ी बात है. इसके लिए कितनी फिटनैस चाहिए, कितना मेंटल स्ट्रेंथ चाहिए. ऐसे लोगों की मैं बहुत कद्र करता हूं. सवाल: प्रधानमंत्री भी लगातार काम करते रहते हैं. आपको नहीं लगता कि उन्हें भी थोड़ा आराम कर लेना चाहिए. जवाब: ये तो ना किसी की हिम्मत होगी उन्हें ऐसा कहने की, ना वो ऐसी सलाह मानेंगे. मुझे लगता है कि उनकी नेचर में ही नहीं है. मैं देखता हूं कि कुछ लोग काम करने में ही रिलैक्स होते हैं. वो उस टाइप के आदमी हैं. वो सचमुच कभी रुकते नहीं हैं. सवाल: चुनाव है, माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से एक अलर्ट जारी किया गया है कि चुनाव कहीं ना कहीं प्रभावित हो सकता है. क्योंकि ताइवान पहले ऐसा कर चुका है. आपको लगता है कि इस प्रकार की चेतावनी से निपटना कोई मुश्किल तो नहीं है. जवाब: हमारी चुनावी प्रक्रिया दुनिया में सबसे मजबूत है. कभी-कभी दुनिया हमें ज्ञान देती है चुनाव के बारे में, लेकिन हम भारत की स्थिति देखें तो हमारा चुनाव आयोग, वोटिंग मशीन, हमारे चुनावी प्रोटोकॉल आदि के बारे में हम कह सकते हैं कि दुनिया में अभी तक किसी ने इतना बारीक चुनावी सिस्टम नहीं बनाया है. इसलिए हमारी चुनावी प्रक्रिया पर मुझे 200 परसेंट विश्वास है. रही बात माइक्रोसॉफ्ट की एआई को लेकर चेतावनी के बारे में तो इससे फर्जी इमेज तथा फर्जी मैसेज निकल सकते हैं. ये सोशल मीडिया का जमाना है. ऐसे में ये चीजें चल सकती हैं और प्रभावित जरूर कर सकती हैं. इसलिए हमें अलर्ट रहना चाहिए. मुझे खुद अनुभव है कि कभी-कभी मेरा नकली इंस्टाग्राम अकाउंट निकलता है या कहीं सोशल मीडिया में कुछ निकलता है. इसलिए हमें अलर्ट भी देना पड़ता है. तकनीक बहुत बढ़ चुकी है, इसलिए एआई का खतरा जरूर हो सकता है. सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि वीवीपैट में गिनती मुमकिन नहीं है. फिर भी विपक्ष ये कहता है, खासकर राहुल गांधी कहते हैं कि राजा की जान ईवीएम में है. ईवीएम एक मशीन है और इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है. जवाब: इसका कोई सबूत नहीं है. आप जानते हैं कि जिनको लगता है कि वे सफल नहीं होंगे, कहते हैं कि पेपर में कुछ नुख्स है. आप जनता से पूछिए कि कहीं किसी को ईवीएम पर शक है. मुझे तो कोई शक नहीं है, ना ही सुप्रीम कोर्ट को. सवाल: आपने डिप्लोमेसी के करियर में कई बार क्रिकेट डिप्लोमेसी भी की है. अभी आईपीएल भी चल रहा है. आपकी पसंदीदा टीम कौन सी है. जवाब: आजकल समय तो मिलता नहीं है. मैंने एक मैच देखा था जिसमें मार्कस स्टोइनिस ने पूरा मैच बदल दिया था सीएसके के खिलाफ. मैं दिल्ली का रहने वाला हूं, इसलिए शुरू से ही दिल्ली कैपिटल्स के साथ कुछ जुड़ाव है. सवाल: भारत में सलाह बहुत मिलती है. आपको जब कोई ऐसा व्यक्ति सलाह देता है जिसे नहीं पता कि विदेश नीति क्या चीज होती है, आप कैसा महसूस करते हैं. जवाब: मेरे पास ऐसा अनुभव नहीं है. क्योंकि जो लोग विदेश नीति की बात करते हैं तो ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं. इसलिए ज्ञान नहीं देते बल्कि वाजिब सवाल पूछते हैं. मुझे जो सलाह मिलती भी है तो बाहर से मिलती है. सवाल: भारत को लेकर विदेशों में किस तरह की सोच आप देखते हैं. जवाब: मुझे लगता है कि पिछले 10 साल में भारत के बारे में दुनिया की सोच काफी कुछ बदल चुकी है. उसके मुख्य कारण ये हैं- जिस तरीके से हमने कोराना महामारी का मुकाबला किया. जनवरी 2020 में जब हमें जानकारी मिली थी कि कोविड शुरू हो चुका है, उस समय जी-20 की एक वर्चुअल बैठक हुई. भारत की ओर से मोदी जी इस बैठक में शामिल हुए. मैं भी उनके साथ था. उस बैठक में जी-20 देशों की सबसे बड़ी चिंता भारत के बारे में थी, क्योंकि ये कहा गया था कि कोई ऐसा देश है जहां हेल्थ सिस्टम नहीं है, दवाएं नहीं है, पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर खराब है और जो महामारी को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाएगा, वह भारत है. वहां से हम शुरू हुए. फिर लोगों ने देखा कि अगले दो साल के अंदर वही देश जिसके बारे में आप चिंतित थे, उसी देश ने करीब 100 देशों को वैक्सीन सप्लाई की. दूसरा कारण है अर्थव्यवस्था. आप देखेंगे कि कोविड और अन्य कारणों से दुनिया की अर्थव्यवस्था बैठ गई. बहुत सारे देश मंदी में जा चुके हैं. एक बड़ी अर्थव्यवस्था में 7 फीसदी का ग्रोथ दिखना, उनके लिए तो ये कमाल का विषय है. तीसरा कारण है हमारी डिजिटल डिलीवरी. इस पर दुनिया में बहुत चर्चा हो रही है कि आज हम डिजिटल डिलीवरी के कारण राशन दे पा रहे हैं. 80 करोड़ लोगों को राशन दे पाते हैं. जन आरोग्य योजना के तहत 30 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल कर पा रहे हैं. आवास योजना में 20 करोड़ लोगों को फायदा हुआ है. इस प्रकार बड़ी-बड़ी योजनाएं बिना किसी लीकेज के, बिना भ्रष्टाचार के इतनी दक्षता के साथ डिलीवर कर पाना बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि लीकेज पूरी दुनिया की समस्या है. दुनिया को लगता है कि हम लीकेज से भी निपट रहे हैं. ग्रोथ भी दिखा रहे हैं. कोविड से भी बाहर निकल चुके हैं. और आज तो बुनियादी ढांचे में भी तेजी से विकास हो रहा है, वही लोग जब 3-4 साल बाद भारत आते हैं तो वे देखते हैं कि रोड बदल गई, यहां एयरपोर्ट बन गया. रेलवे स्टेशन बन गए. इस सबको देखकर दुनिया अचंभा करती है. बहुत सारी चीजों में हम फर्स्ट वर्ल्ड से आगे हो गए हैं. सवाल: विदेश नीति भारतीय जनता पार्टी के चुनावी एजेंडे में शामिल है. इसके मायने क्या हैं. और क्यों ये आज की तारीख में इतनी महत्वपूर्ण हो जाती है. जवाब: इसके अलग-अलग कारण हैं. एक तो ये ग्लोबलाइजेशन की दुनिया है. और दुनिया में कुछ भी हो रहा है, वह हर देश को प्रभावित करता है. हर नागरिक पर उसका असर होता है. पहले जो हम सोचते थे विदेश नीति के बारे में कि कहीं दूर किसी देश में कुछ हो रहा है तो हम क्यों परवाह करें, वो जमाना अब खत्म हो गया है. अब कहीं भी कुछ होता है, गज़ा में कुछ होता है, यूक्रेन में कुछ होता है, तुरंत ही उसका असर पूरी दुनिया पर होता है. यूक्रेन में लड़ाई होती है तो उसका असर पेट्रोल की कीमतों पर पड़ता है. काला सागर में कुछ होता है तो अनाज की कीमतें बढ़ जाती हैं. रेड सी में हूतियों ने हमला किया तो पूरा व्यापार बिगड़ जाता है. इसलिए सभी की जिंदगी में इसका कहीं ना कहीं सीधा असर होता है. दूसरा विषय ये है कि आज की युवा पीढ़ी को लगता है कि भारत अब आबादी में नंबर वन है, अर्थव्यवस्था में नंबर 5 है, तीन पर बनेंगे. हम एक तरह से सिविलाइजेशन पावर हैं. इसलिए हमें दुनिया के सामने हमारी विरासत, हमारी संस्कृति और हमारी पहचान को रखना चाहिए. ये देश के लिए गर्व का विषय है. इसलिए दुनिया पर हमें असर डालना है और दुनिया का असर भी हम पर पड़ेगा. तीसरी बात ये है कि आज कितने ही लोग पढ़ाई और रोजगार के लिए बाहर जाते हैं. लगभग दो करोड़ भारतीय नगारिक अन्य देशों में रहते हैं. और कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ होता रहता है. इसलिए उनकी सुरक्षा भी एक बड़ा विषय है. हर 3-4 महीने में कहीं ना कहीं कोई ना कोई ऑपरेशन होता रहता है. किसी को लाना होता है, किसी को बचाना होता है. इसलिए मोदी की गारंटी भारत की सीमा तक सीमित नहीं है, मोदी की गारंटी बाहर भी चलती है. सवाल: राहुल गांधी कहते हैं कि चीन भारतीय सीमा में आ गया है. हमारी जमीन पर कब्जा करके बैठा है. विपक्ष यह भी कहता है कि उरी हुआ तो पाकिस्तान पर तो सर्जिकल स्ट्राइक हो गई, पुलवामा हुआ तो एयर स्ट्राइक हो गई, चीन पर खामोशी क्यों रहती है. जवाब: चीन पर खामोशी नहीं है. चीन के बारे में लोगों को गुमराह किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी कहते हैं कि चीन ने हमारी धरती पर लद्दाख में एक पुल बना लिया है. अगर आप बारीकी में जाएंगे तो देखेंगे कि ये पुल जरूर बनाया है. वहां एक झील है पैंगोंग. पैंगोंग पर चीन ने 1958 में कब्जा किया था. कांग्रेस कहती है कि चीन अरुणाचल प्रदेश में एक गांव बसा रहा है. अरुणाचल प्रदेश में एक जगह है लोंगजू. आप संसद के रिकॉर्ड में देखेंगे तो पाएंगे कि पंडित नेहरू ने 1959 में भारत की संसद में कहा था कि लोंगजू पर चीन ने आकर कब्जा कर लिया है. हमारे हाथ से निकल चुका है. कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा था कि शिन्जियांग वैली में काराकोरम के पास चीन एक लिंक रोड बना चुका है. इस लिंक रोड के माध्यम से चीन सियाचीन के पास तक आ जाएगा. ये इलाका भारत के हाथ से 1963 में निकल गया था. वो जमीन जरूर चीन के पास गई है, लेकिन गई थी 1958 और 1962 के बीच में. और हमारी कोशिश है कि हम चीन के साथ सीमा पर समझौता करें. इसलिए कांग्रेस वाले जानबूझ कर झूठ बोलते हैं. ये दिखाना चाहते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है, अब हो रहा है. ये अब नहीं हो रहा, बल्कि पहले हो चुका है. 1962 में हम बिना तैयारी के चले गए. सड़कें नहीं थीं, आधारभूत ढांचा नहीं था. हमारे जवानों के पास तक खाना-पीना, बारूद, हथियार कैसे पहुंचे, कोई सिस्टम नहीं था. अब जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर बना है, पिछले 10 सालों में बना है. जब मोदी जी सरकार में आए थे, उस समय चाइना बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर बजट 3500 करोड़ था. इस समय 15,000 करोड़ रुपये का बजट है. सवाल: वर्तमान में दुनिया के कई देशों में चुनाव हो रहे हैं, क्या भारत भी वहां ऑब्जर्वर भेजेगा? जवाब: भारत में अलग-अलग राजनीतिक दलों के लोग आए हैं यहां की चुनावी प्रक्रिया को देखने और समझने के लिए. मुझे लगता है कि उनका इरादा सकारात्मक है. हम भी उनका स्वागत करते हैं. हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में मैं खुद उनसे मिलूंगा. हमारे चुनाव पर जो टिप्पणियां हो रही हैं, वे राजनीतिक दलों के नेताओं से नहीं बल्कि विदेशों में बैठे मीडिया के लोगों द्वारा हो रही हैं. सवाल: क्या सच में इन चुनावों में 400 पार का आंकड़ा हासिल कर पाएंगे. क्योंकि विपक्ष ये कह रहा है कि पहले चरण के बाद असलीयत सामने आ गई है. जवाब: विपक्ष तो ऐसा कहेगा ही. लेकिन आपको यह पूछना होगा कि मतदान स्थल तक किसके मतदाता नहीं पहुंचे. हमें तो लगता है कि हमारे तो पहुंचे हैं. मैं तो यहीं कहूंगा कि 4 जून को आप 400 का आंकड़ा देखेंगे. सवाल: ये अतिशयोक्ति तो नहीं है! जवाब: ये दस साल का रिकॉर्ड है. लोगों को मोदी सरकार पर विश्वास है. लोगों की सोच में यह स्वाभिक लगता है कि अब ऐसी सरकार होनी चाहिए कि जो वे वायदा करते हैं उसे बहुत ही सोच-समझकर करते हैं और उसे पूरा भी करते हैं. इसलिए टर्नआउट थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे जा सकता है. इसके कई कारण हो सकते हैं. लेकिन हमारी पार्टी में जो बातचीत चल रही है कि अगर कहीं वोटिंग कम भी हुई है तो हम अपने वोटर पर पूरा भरोसा रखते हैं. सवाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह मुस्लिम आरक्षण को लेकर लगातार बयान दे रहे हैं. इन नेताओं ने कांग्रेस के घोषणापत्र की तुलना मुस्लिम लीग से कर दी है. आप लगातार मुद्दा उठा रहे हैं कर्नाटक में मुसलमानों को चार परसेंट आरक्षण का. इस पर आपकी क्या राय है? जवाब: आरक्षण के विषय को कांग्रेस पार्टी ने लोगों के सामने रखा है. और इसे वह कई वर्षों से रखती आ रही है. मनमोहन सिंह की सरकार ने आंध्र प्रदेश में क्या किया था? कांग्रेस सरकार कर्नाटक में अभी क्या कर रही है? आरक्षण के मुद्दे पर हम लोग अपना रुख स्पष्ट कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए. रही बात कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र की तो यह 50 फीसदी मुस्लिम लीग और 50 फीसदी माओवादी. उनकी आर्थिक सोच बिल्कुल माओवादी है. उनकी सामाजिक और राजनीतिक सोच मुस्लिम लीग है. इन दोनों का आधा-आधा मिला लें तो आज की कांग्रेस पार्टी वही है. सवाल: ये बड़ा आरोप लगा रहे हैं! जवाब: ये आरोप नहीं है. मैं हकीकत बता रहा हूं. सवाल: राहुल गांधी जब विदेश में जाते हैं तो कहते हैं कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है. और वे बाहर के देशों से मदद भी मांगते हैं. जवाब: मुझे सच में दुख होता है. हमें घर में एक-दूसरे से जितना भी विवाद है, उसे घर में ही रखना चाहिए. बाहर जाकर लोगों को भड़काना कि आप हमारे बारे में क्या कर रहे हैं? आपसे भी हमें अपेक्षा है, इसका नतीजा होता है कि बाहर के लोग हमारी राजनीति और हमारे चुनावों में दखलंदाजी करते हैं. अगर आप भारत का इतिहास देखें तो जितनी भी दुर्घटनाएं हुई हैं वो कैसे हुईं. हमने आपस के विवाद में बाहर को लोगों को बुला लिया. वही चीज फिर से हो रही है. अगर वे सोचते हैं कि भारत में कुछ कमी है, कोई नीति बदलनी चाहिए या खुद उन्हें सत्ता में आना चाहिए, ये उनका मत है. लेकिन जब मैं देखता हूं कि कोई नेता देश के बाहर जाकर देश की बुराई करता है और इस प्रकार के आरोप लगाता है, जो केवल सरकार के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि पूरे देश या हमारे सिस्टम के खिलाफ हैं. वोटिंग सिस्टम के खिलाफ कुछ कहे या हमारी फौज के बारे में कुछ कहे तो ये देश के हित में नहीं है. ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए. सवाल: इंग्लैंड के एक अखबार ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर या अन्य 10 मुद्दों को लेकर टिप्पणी की है. दूसरों के घरों में जाकर हम हत्याएं करवा रहे हैं. ये बाहर का ऑब्जर्वेशन है, जिसका मुद्दा विपक्ष उठाकर कहता है कि देखिए ये सच्चाई है. जवाब: केजरीवाल की गिरफ्तारी पर ये बताएं कि कानून, कानून होता है. और चुनाव, चुनाव होते हैं. आप बताएं कि किसी देश में चुनाव के कारण कानून रुकता है क्या? ये कहना कि चुनाव हो रहा है, इसलिए ये सब चीजें रुकनी चाहिए, और कानूनी कार्रवाई भी रुकनी चाहिए, मुझे लगता है कि इंग्लैंड या अमरिका पहले खुद करके दिखाएं. रही बात घर में घुसकर मारने की तो सब जानते हैं कि पाकिस्तान एक अजीब मुल्क है. उनका मुख्य उद्योग आतंकवाद है. हमारे यहां आईटी का मतलब कुछ होता है और पाकिस्तान में इंटरनेशनल टेररिज्म होता है. उनके यहां बुरे काम करने वालों को कुछ हो जाता है तो इसमें हमें क्या. अगर हुआ है तो मैं कहूंगा कि बुरे कर्मों का फल मिला है लोगों को. सवाल: अगर आप छुट्टियां बिताना चाहेंगे तो कहां जाएंगे, यूएस, यूके या कश्मीर या फिर लक्ष्यदीप? जवाब: अगर मोदी सरकार में हैं तो आप छुट्टियों की बात नहीं कर सकते. इसलिए उस बात को भूल जाते हैं. कश्मीर मैं कुछ समय पहले गया था, अगर अब कहीं जाने की इच्छा है तो वो तवांग, अरुणाचल प्रदेश है. मैंने सुना है कि वहां पर्यटन के हिसाब से काफी तरक्की हुई है और बहुत ऐतिहासिक जगह भी है. . Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, S JaishankarFIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 19:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed