एयर टर्बुलेंस: मछली सी फड़फड़ाती है फ्लाइट पायलट के पास क्या होते हैं ऑप्शन
एयर टर्बुलेंस: मछली सी फड़फड़ाती है फ्लाइट पायलट के पास क्या होते हैं ऑप्शन
एयर टर्बुलेंस में फंसने के बाद सिंगापुर से दुबई जा रही फ्लाइट में एक बुजुर्ग यात्री की मौत हो गई और 70 यात्री जख्मी हो गए. इस घटना के बाद हम सब के मन में इस घटना को लेकर कई सवाल है, आइए सीनियर कमांडर से समझते हैं एयर टर्बुलेंस की सिचुएशन और इससे बचने के तरीके...
Air Turbulence: एयर टर्बुलेंस में फंसने के बाद सिंगापुर एयरलाइंस का विमान ‘बिन जल मछली’ की तरफ फड़फड़ाते हुए करीब छह हजार फीट नीचे पहुंच गया. इस दौरान, विमान में सवार 73 वर्षीय एक बुजुर्ग यात्री की हार्ट अटैक से मौत हो गई और 70 से अधिक यात्री जख्मी हो गए. इस घटना के सामने आने के बाद हम सभी के जहन में एक ही सवाल है कि क्या इस घटना को टाला नहीं जा सकता था?
सवाल यह भी है कि क्या सिंगापुर एयरलाइंस की फ्लाइट का एयर टर्बुलेंस में फंसना एक अप्रत्याशित घटना है या फिर किसी लापरवाही की नतीजा? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए हमने देश की प्रमुख एयरलाइंस के सीनियर कमांडर से बात की. आइए सीनियर कमांडर से जानते हैं एयर टर्बुलेंस के दौरान फ्लाइट में कैसै होते हैं हालात और कितना संभव है इस हालात से निपटना.
Q: 45 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान के दौरान ऐसी कौन सी स्थिति होती है, जिसे हम एयर टर्बुलेंस कहते हैं. साथ ही, एयर टर्बुलेंस का सामना करना एक पायलट के लिए सामान्य स्थिति होती है.
A:आसमान में मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन की वजह से हवा की गति जब अनियमित हो जाती है, उस स्थिति को हम एयर टर्बुलेंस कहते है. सामान्यतौर पर, किसी भी पायलट का सामना दो तरह के एयर टर्बुलेंस से होता है. पहला- क्लाउड बेस्ड एयर टर्बुलेंस और दूसरा- क्लियर एयर टर्बुलेंस. सामान्य भाषा में कहें तो यह सांप की आकृति में दौड़ती हवा की एक सुरंग है, जिसमें हवा की रफ्तार करीब 100 किमी प्रति घंटा से भी अधिक है. जिसे जेट स्ट्रीम के नाम से जाना जाता है. जहां तक सवाल, एयर टर्बुलेंस का सामना करना किसी पायलट के लिए कितनी सामान्य स्थिति होती है, तो इसका जवाब यही है कि दुनिया का कोई भी पायलट ऐसा नहीं है जो जानबूझ कर एयर टर्बुलेंस में फंसना चाहता है. विकल्पों के आभाव में उसे एयर टर्बुलेंस से एनकाउंटर करना ही पड़ता है. यह भी पढ़ें: इस शहर से गायब हो रही हैं लोगों की बीवियां और…, थाने में दर्ज हुईं एक-एक कर 14 FIR, जानें क्या है पूरा मामला… इस शहर के सिर्फ एक पुलिस स्टेशन में 23 दिनों के भीतर गुमशुदगी के 14 मामले दर्ज किए गए हैं. यानी औसतन हर डेढ़ दिन में गुमशुदगी का एक मामला दर्ज हुआ है. किस शहर के किस थानाक्षेत्र से गायब हो रही हैं लोगों की बीवियां, जानने के लिए क्लिक करें.
Q: अब किसी भी फ्लाइट के टेकऑफ करने से पहले उस सेक्टर के मौसम को विस्तृत आंकलन किया जाता है, तो क्या टेकऑफ से पहले इस तरह के स्ट्रांग एयर टर्बुलेंस का पता नहीं लगाया जा सकता है, जिससे इस तरह की परिस्थिति से बचा जा सके.
A: यह सही है कि फ्लाइट टेकऑफ से पहले उस सेक्टर के मौसम के बारे में आंकलन किया जाता है. यह आंकलन दो तरह का होता है, पहला-आसमान में मौसम कैसा रहेगा और दूसरा- उस एयरपोर्ट का मौसम कैसा है, जहां पर विमान को लैंड करना है. क्लियर एयर टर्बुलेंस को लेकर पायलट को शेयर ग्रेडियंड्स चार्ट उपलब्ध कराया जाता है, जिससे आसमान में मौजूद क्लियर एयर टर्बुलेंस का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है. आसमान में वास्तविक स्थिति क्या होगी, यह वहां जाकर ही पता चल सकता है. साथ ही, आसमान का मौसम बहुत ज्यादा अत्याशित होता है, वहां पल-पल में चीजें बदलती रहती है. जहां तक इस तरह की परिस्थितियों से बचने का सवाल है तो वह पूरी तरह से उस समय की परिस्थितियों पर निर्भर होता कि एयर टर्बुलेंस से बचा जा सकता है या फिर उसका सामना करना आपकी मजबूरी हो जाती है.
Q: तो वह कौन सी परिस्थितियां हैं, जब पायलट एयर टर्बुलेंस की स्थिति से एयरक्राफ्ट को बचा ले. साथ ही, वह परिस्थितियां कौन सी हैं, जब पायलट के लिए एयर टर्बुलेंस का सामना करना मजबूरी बन जाए.
A: एयर टर्बुलेंस से बचाव या सामना, बहुत कुछ दिन और रात पर भी निर्भर करता है. दिन में पायलट को एयर टर्बुलेंस रडार के साथ-साथ आंखों से भी नजर आ जाता है, जबकि रात में ऐसा नहीं होता है. रात में पायलट के पास एयर टर्बुलेंस के बारे में पता करने का सिर्फ ही जरिया है और वह है फ्लाइट का रडार सिस्टम. अब यहां पर एक और सिचुएशन है. दरअसल, रडार के काम करने का भी एक तरीका है, जिसके तहत, रडार वेव्स बादल में मौजूद वाटर मैक्यूल्स छूकर वापस आती है, उसी के आधार पर एयर टर्बुलेंस का अंदाजा लगाया जाता है. अब सिचुएशन यह है कि रडार वेव्स जिस वाटर मैक्यूल्स को छूकर आई है, वह सामान्य एयर टर्बुलेंस की थी, लिहाजा पायलट ने आगे बढ़ने का फैसला ले लिया. अब इस सामान्य एयर टर्बुलेंस के पीछे बेहद स्ट्रॉन्ग एयर टर्बुलेंस है, अब इसका सामना करना पायलट की मजबूरी हो जाती है. यह भी पढ़ें: बिहार से दुबई जाने को Airport पहुंचा युवक, जैसे ही इमीग्रेशन अफसर को हिंदी में दिया जवाब, हो गया अरेस्ट… इमीग्रेशन ब्यूरो की जांच के दौरान अफसर ने प्रक्रिया के तहत कुछ सवाल पूर्णिया से आए इस शख्स से पूछे. लेकिन जैसे ही इस शख्स ने अपने सवाल हिंदी में देना शुरू किया, इमीग्रेशन अधिकारी का माथा ठनक गया. इसके बाद, इस शख्स को हिरासत में पूछताछ का क्रम शुरू हुआ. इसके बाद की कहानी जानने के लिए क्लिक करें.
Q: मान लीजिए कि पायलट को समय रहते पता लग गया कि सामने बेहद स्ट्रॉन्ग एयर टर्बुलेंस है, अब ऐसी स्थिति में क्या पायलट अपना पाथ या लेवल बदलकर एयर टर्बुलेंस रूपी भंवर में एयरक्राफ्ट को फंसने से बचा सकता है?
A: मैं एक बार फिर वही बात दोहराऊंगा कि सब मौजूदा परिस्थितियों पर निर्भर करता है. दरअसल, लंबी दूरी की फ्लाइट अलग-अलग लेवल पर फ्लाई करती हैं. हर फ्लाइट के ऊपर, नीचे, अगल और बगल दूसरी फ्लाइट होती हैं. ऐसी स्थित में, पायलट को अपने सामने एयर टर्बुलेंस नजर आता है तो वह अपनी मर्जी से फ्लाइट का लेबल या पाथ नहीं बदल सकता है. उसे पहले एटीसी सी इसकी इजाजत लेनी होगी. एटीसी भी लेवल की उपलब्धता के आधार पर ही आपको वैकल्पिक पाथ देगा. ऐसा नहीं होने पर आपके पास एयर टर्बुलेंस का समाना करने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है. इसके अलावा, बैंकॉक के पास कई ऐसे ब्लॉक हैं, जहां पर आपका संपर्क किसी भी एटीसी टॉवर से नहीं होता है, ऐसी स्थिति में आप किसी भी सूरत में अपना लेवल और पाथ नहीं छोड़ सकते हैं.
Q: चलिए मान लेते है कि एयर टर्बुलेंस रूपी हवा का बवंडर सामने है. ऐसी स्थिति में एयरक्राफ्ट और मुसाफिरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पायलट इस चुनौती का सामना किस तरह करता है.
A: एयर टर्बुलेंस से बचने के तरीकों के बारे में किसी भी पायलट को न केवल ट्रेनिंग के दौरान प्रशिक्षित किया जाता है, बल्कि समय-समय पर सभी पायलट्स के लिए रिफ्रेशन कोर्स भी कराए जाते हैं. लाइव सिचुएशन की बात करें तो पायलट सबसे पहले एयरक्राफ्ट की टर्बुलेंस पेनिट्रेशन स्पीड को मेंटेन करता है. यह स्पीड हर एयरक्राफ्ट के मेक या डिजाइन के आधार पर होती है. जैसे कि एयरक्राफ्ट A-320 की स्पीड डेसिमल सेवन सिक्स मॉक है. इस स्पीड को मेंटेन करने ऐसा नहीं कि यात्रियों को झटका कम लगेगा, पर यह स्पीड एयरक्राफ्ट को डैमेज होने से बचाती है. इसके अलावा, फ्लाइट में पैंसजर के लिए सीट बेल्ट साइन ऑन कर दिया जाता है. क्रू को ट्रॉली-रैक सुरक्षित कर बैठने के लिए कह दिया जाता है. इसके बाद, पायलट टर्बुलेंस के बीच में उन गैप्स को खोजता है, जहां से विमान को सुरक्षित निकाला जाता सकता है. यह भी पढ़ें: 11 सालों से दे रही थी झटके पर झटका, पुलिस से लेकर CBI तक सबका छुड़ाया पसीना, अब जाकर हत्थे चढ़ी ‘सुपर खिलाड़न’… दिल्ली की यह ‘सुपर खिलाड़न’ अपने पति के साथ मिलकर पिछले 11 सालों से झटके पर झटका दे रहीं थी. इन दोनों की तलाश सीबीआई के साथ दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की पुलिस भी कर रही थी. करीब 25 महीने पहले दिल्ली के तिमारपुर थाने में इनके खिलाफ एक केस दर्ज हुआ था. यह केस इनके जुर्म के ताबूत में आखिरी कील कैसे साबित हुआ. जानने के लिए क्लिक करें.
Q: सिंगापुर से लंदन जा रही सिंगापुर एयरलाइंस की फ्लाइट हाल में एयर टर्बुलेंस का शिकार हुई है. यह इस घटना में पायलट की लापरवाही जैसी कोई बात संभव है.
A: यह तो जांच का विषय है कि घटना के समय पायलट ने कब, कैसे और कितने प्रोसीजर का फॉलो किया. इस एयरक्राफ्ट के पायलट से इतर बात करें तो एयर टर्बुलेंस को लेकर लापरवाही की संभावना न के बराबर होती है. जहां तक सिंगापुर और बैंकॉक के सेक्टर की बात है तो यहां पर दो तरह की दिक्कतें हैं. पहला यहां पर एयर टर्बुलेंस की संभावना सबसे अधिक रहती है. यहां से गुजरने वाले पायलट्स को खासतौर पर यहां के स्ट्रॉम्स के बारे में बताया जाता है. इसके अलावा, इस सिंगापुर-बैंकॉक-लंदन रूट में कई ऐसे पॉकेट्स हैं, जिन्हें रेडियो साइलेंस जोन के नाम से जाना जाता है. यहां पर विमान का किसी भी एटीसी से संपर्क नहीं होता है. ऐसी स्थित में पायलट के सामने सिर्फ रूट प्लान को फॉलो करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है. अब सिंगापुर एयरलाइंस के पायलट के सामने किस तरह की परिस्थिति थीं, यह जांच के बाद ही सामने आएगा.
Tags: Airport Diaries, Delhi policeFIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 13:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed