133 क्रांतिकारियों को यहां दी गई थी फांसी पढ़कर कांप जाएगी रूह

Independence Day 2024: कानपुर के शहीद स्थल पर आज भी देश के क्रांतिकारियों को यादकर लोगों की रूह कांप जाती है. यहां सभा करने वाले बूढ़े बरगद पर अंग्रेजों ने 133 क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया था.

133 क्रांतिकारियों को यहां दी गई थी फांसी पढ़कर कांप जाएगी रूह
कानपुर:  1857 से लेकर 1947 तक हुई आज़ादी की लड़ाई में देश के कई क्रांतिकारियों ने अपनी जान गंवाई है. ऐसे में यूपी के कानपुर का नाम भी ऐतिहासिक और क्रांतिकारियों के शहर के रूप में लिया जाता है. क्योंकि आजादी की हर लड़ाई में कानपुर की अहम हिस्सेदारी रही है. अंग्रेजों के आतंक का कानपुर भी मुंहतोड़ जवाब देता रहा है. जिस वजह से आज भी कानपुर में कई ऐसी जगह मौजूद है, जो आजादी की गवाह है. इसमें जो सबसे प्रमुख जगह कानपुर का शहीद स्थल है. जहां कभी बूढ़ा बरगद हुआ करता था. यह बूढ़ा बरगद उन क्रांतिकारियों की याद दिलाता है, जिन्होंने हंसते-हंसते अपनी जान देश के लिए न्यौछावर कर दी थी. जहां अंग्रेजों ने 133 क्रांतिकारियों को इस बूढ़े बरगद पर फांसी के फंदे पर लटका दिया था. अब नहीं रहा बूढ़ा बरगद कानपुर का बूढ़ा बरगद तो अब खुद जिंदा नहीं है, लेकिन इसकी कहानी और आजादी की वह दास्तान अभी भी जिंदा है, जो यहां पर लगा पत्थर आज भी कहता है. इस पत्थर पर लिखी कहानी को पढ़कर आज भी हर किसी की रूह काप जाती है. यहां हंसते-हंसते कई क्रांतिकारी झूल गए थे, लेकिन अंग्रेजों से हार नहीं मानी थी. पत्थरों में लिखा है क्रांतिकारियों का इतिहास आखिर क्यों जानना चाहते हो मेरे बारे में? सुनो मैं केवल जड़ ,तना व पत्तियों से युक्त वट वृक्ष ही नहीं हूं बल्कि गुलाम भारत से आज तक के इतिहास का साक्षी हूं. मैंने अनगिनत वसंत और पतझड़ देखें. 4 जून 1857 का वह दिन भी जब मेरठ में सुलखती आजादी की चिंगारी कानपुर में शोला बन गई. मैं नाना साहेब की अगुवाई में तात्या टोपे की वीरता देखी, रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान देखा और देखा अजीमुल्ला खान की शहादत. मुझे वह दिन आज भी याद है कि जब बैरकपुर छावनी में मेरे सहोदर को लटका कर क्रांतिकारियों के अग्रदूत मंगल पांडे को फांसी दी गई, जिससे देश दहल उठा था. देश की आजादी के दीवानों पर क्रूर एवं दमन कर ढाए जाने से मेरी जड़ें तक हिल गई. यह दिल दहलाने वाला दिन आज भी नहीं भूल पाता, जब 133 देशभक्तों को अंग्रेजों ने मेरी ही शाखाओं पर फांसी के फंदे पर लटकाया. उसे दिन मैं थर्राया, बहुत चीखा चिल्लाया ,चीखते चीखते गला रुंध गया, आंखों के आंसू रो-रोकर सूख गए. यह रोमांचकारी दर्द भरी दास्तां आते ही मैं कराह उठता हूं. तुम्हारा बूढ़ा बरगद. 133 क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने दी थी फांसी इतिहासकार मनोज कपूर ने बताया कि बीवी घर कांड को लेकर इंग्लैंड में भारी आक्रोश था, जिसको देखते हुए अंग्रेजों ने कानपुर के 133 क्रांतिकारियों को पड़कर बूढ़े बरगद पर लटका दिया था. यहां पर लटकाने की वजह यह भी थी, क्योंकि कानपुर के क्रांतिकारी इसी पार्क पर इकट्ठा होकर अंग्रेजों के खिलाफ अपनी रणनीति बनाते थे. Tags: Independence day, Independence Day Alert, Kanpur ki khabar, Local18FIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 14:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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