कारगिल युद्ध में कन्नौज के लाल के पैर में लगी थी गोली फिर भी लहराया था तिरंगा
कारगिल युद्ध में कन्नौज के लाल के पैर में लगी थी गोली फिर भी लहराया था तिरंगा
kargil war: आज से करीब 25 साल पहले कारगिल युद्ध में कन्नौज के लाल ने एक पैर में गोली लगने के बाद भी पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे. कैप्टन रविंद्र कुमार यादव ने भारत माता की उद्घोष के साथ हार नहीं मानी और दुश्मनों के 5 जवानों को मार गिराया.
अंजली शर्मा/कन्नौजः आज से करीब 25 साल पहले कारगिल युद्ध में कन्नौज के लाल ने एक पैर से पाकिस्तान के सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे. कैप्टन रविंद्र कुमार यादव कारगिल युद्ध के दौरान बाएं पैर में गोली लगने के बाद गिर गए, इसके बावजूद भी उन्होंने भारत माता की उद्घोष के साथ हार नहीं मानी और दुश्मनों के पांच जवानों को मार गिराया था.
कैप्टन रविंद्र कुमार यादव ने उसके बाद बेहोश हो गए, लेकिन जब आंख खुली तो हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ भारत की जीत का परचम लहराता देख उनकी आंखें नम हो गई. कारगिल युद्ध की जीत की वह कहानी जो हर भारतवासी के रोंगटे खड़ी कर देगी, सुनिए कैप्टन रविंद्र कुमार यादव की जुबानी.
जानें कारगिरल युद्ध की यादें
26 जुलाई 1999 की वो तारीख है, जब हमारे वीर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटाकर कारगिल में तिरंगा लहराया था. इस लड़ाई में कई जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, तो कई आज भी अपंग होकर वीरता, शौर्य और पराक्रम की मिसाल कायम किए. कारगिल युद्ध में उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के लाल रविंद्र कुमार ने दिलेरी का परिचय देते हुए जान की बाजी लगा दी थी. पैर में लगी गोली और खून से लथपथ हालत में रेंगते हुए अकेले 5 दुश्मनों को ढेर कर दिया था.
जानें किस जगह थी तैनाती
तालग्राम ब्लाक के ब्राहिमपुर गांव में 14 दिसंबर 1964 को रविंद्र कुमार का जन्म हुआ था. पढ़ाई-लिखाई के बाद पैरासूट रेजीमेंट स्पेशल फाेर्स में भर्ती हुए थे. 3 मई को कारगिल युद्ध के काले बादल छा गए. भारतीय सेना और पाकिस्तान सेना के बीच गोलीबारी शुरू हुई. सियाचिन ग्लेशियर में तैनात पैरासूट रेजीमेंट स्पेशल फोर्स के जवानों के साथ सेक्शन कमांडर रविंद्र कुमार को भी बटालिक सेक्टर में एरिया रिंग कंट्रोल पर तैनात कर दिया गया.
बांए पैर की जांघ में लगी थी गोली
दुर्गम पहाड़ियों में छिपकर पाकिस्तान की नार्दन लाइट सेना ताबड़तोड़ फायरिंग कर रही थी. लोहा लेते समय 22 जुलाई को रविंद्र कुमार के बाएं पैर में गोली लग गई और जमीन पर गिर गए. कारगिल योद्धा रविंद्र कुमार बताते हैं कि खून से लथपथ वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गए. करीब 3 घंटे बाद होश आने पर देखा कि उनके 4 साथी शहीद हो गए.
घायल होने के बाद भी लड़े
साथियों का बदला लेने के जज्बे में वह रेंगते हुए एक पहाड़ी पर घात लगाकर बैठ गए और डटकर मुकाबला करते हुए पांच पाकिस्तानी रेंजर्स को गोली मारकर ढेर कर दिया. करीब 85 दिन तक चली लड़ाई के बाद 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी सेना पीठ दिखाकर भागने लगी. सीजफायर की घोषणा के साथ भारत ने कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त कर तिरंगा फहराया. उनकी बहादुर पर तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण ने उन्हें सेना पदक से सम्मानित किया.
Tags: Kannauj news, Kargil day, Kargil war, Local18FIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 15:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed