रात रानी के इत्र की खुशबू की जानें खासियत लाखों रुपए में है बिकता

Kannauj Perfume: कन्नौज में वैसे तो व्यापारियों द्वारा कई तरह के इत्र बनाए जाते हैं. यहां का इत्र देश-दुनिया में भी मशहूर है. इन्हीं व्यापिरयों में कुछ ही व्यापारी ही रात रानी के पौधे से इत्र निकालने का काम करते हैं. आइये जानते हैं रातरानी के इत्र के बारे में...

रात रानी के इत्र की खुशबू की जानें खासियत लाखों रुपए में है बिकता
अंजली शर्मा/कन्नौज: उत्तर प्रदेश के कन्नौज में कई खास किस्म के फूलों का इत्र निकाला जाता है, जिसमें गुला, बेला प्रमुख है. ऐसे में कन्नौज के इत्र उद्योग में व्यापारी रात रानी के फूल से भी इत्र बनाते हैं. यह इत्र अपने आप में बहुत खास होता है. रातरानी का फूल रात में ही खिलता और महकता है जिस कारण इसका नाम रातरानी रहता है. इसकी कीमत जानकर आप दंग रह जाएंगे. आज के समय में गिने-चुने इत्र व्यापारी इसका इत्र निकालते हैं. क्योंकि इसके फूल बहुत कम मिल पाता है. इस फूल के इत्र की कीमत लाखों रुपए में पहुंच जाती है. रातरानी के इत्र की सुगंध कपड़ों पर लगने पर कई दिनों तक नहीं जाती है. यह सुगंध अपने आप में बहुत खास होती है. कन्नौज में रातरानी का इत्र कन्नौज के इत्र व्यापारी निशीष तिवारी ने बताया कि रात रानी का इत्र सिर्फ कन्नौज में ही बनाया जाता है. रात रानी का इत्र सबसे ज्यादा सुगंधित होता है. कन्नौज में बड़े पैमाने पर रातरानी के फूल से इत्र बनाया जाता है, लेकिन बदलते और तेज भागते दौर में आज बहुत कम लोग ही रातरानी का इत्र बना रहे हैं. क्योंकि यह बहुत महंगा होता है, इसलिए सभी लोग उसको बनाते भी नहीं है. रातरानी को चांदनी भी कहा जाता रातरानी के फूल को चांदनी भी कहते हैं. रातरानी के फूल मदमस्त खुशबू बिखेरते हैं. इसकी खुशबू बहुत दूर तक जाती है, इसके छोटे-छोटे फूल गुच्छे में आते हैं तथा रात में खिलते हैं और सुबह सिकुड़ जाते हैं, इसलिए इसे रात रानी का पौधा कहते हैं. रातरानी का पौधा एक सदाबहार झाड़ी वाला 13 फुट तक हो सकता है. इसकी पत्तियां सरल, संकीर्ण चाकू जैसी लंबी, चिकनी और चमकदार होती हैं. साथ ही इसका फूल एक दुबला ट्यूबलर जैसा साथ ही हरा और सफेद होता है. जानें क्या होती है रात रानी के इत्र के कीमत रात रानी के इत्र के रेट की बात की जाए तो यह 60 हजार रुपए किलोग्राम से शुरू होकर रातरानी 12 से 15 लाख रुपए किलो तक पहुंच जाती है. रात रानी फूलों से कन्नौज की प्राचीन पद्धति डेग-भभका से ही इत्र बनाया जाता है. बता दें कि कन्नौज को इत्र की हवेली कहा जाता है. FIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 09:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed