हजार साल से ज्यादा पुराने मंदिर भी हैं आदि शंकर के जन्म क्षेत्र कलाडी में आज पीएम मोदी करेंगे दौरा
हजार साल से ज्यादा पुराने मंदिर भी हैं आदि शंकर के जन्म क्षेत्र कलाडी में आज पीएम मोदी करेंगे दौरा
कलाडी गांव के नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी है. कलाडी का शाब्दिक अर्थ है ‘पैरों के निशान.’ ऐसा माना जाता है कि पूर्णा या पेरियार नदी नदी से शंकर के गांव से कुछ दूरी पर बहती थी. एक बार बालक शंकर की मां नदी जाते समय बेहोश हो गईं और उन्होंने कृष्ण से प्रार्थना की. बालक की भक्ति और विश्वास से प्रसन्न होकर कृष्ण ने उनको आशीर्वाद दिया कि नदी उनके पदचिह्नों पर चलेगी. इस तरह वह नदी को गांव ले आए.
हाइलाइट्सकलाडी गांव के नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी है.ऐसा माना जाता है कि पूर्णा या पेरियार नदी नदी से शंकर के गांव से कुछ दूरी पर बहती थी.भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद दिया कि नदी शंकर के पदचिह्नों पर चलेगी, इस तरह वह नदी को गांव ले आए.
नई दिल्ली. आज शाम 6 बजे पीएम मोदी कोचीन एयरपोर्ट के करीब स्थित कलाडी गांव में आदि शंकराचार्य की पवित्र जन्मस्थली ‘श्री आदि शंकर जन्म भूमि क्षेत्रम्’ जाएंगे. कलाडी ऐसी जगह है जहां पर आप अभी भी ऐसे मंदिर देख सकते हैं, जहां उनकी मां ने पूजा की थी. कलाडी का श्रृंगेरी मठ अब उस जगह पर खड़ा है, जिसे भारत के सबसे महान विचारक आदि शंकराचार्य का जन्म क्षेत्र कहा जाता है.
कलाडी गांव के नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी है. इस तरह की कई कहानियां आदि शंकराचार्य के साथ जुड़ी हुई हैं. कलाडी का शाब्दिक अर्थ है ‘पैरों के निशान.’ ऐसा माना जाता है कि पूर्णा या पेरियार नदी नदी से शंकर के गांव से कुछ दूरी पर बहती थी. एक बार बालक शंकर की मां नदी जाते समय बेहोश हो गईं और उन्होंने कृष्ण से प्रार्थना की. बालक की भक्ति और विश्वास से प्रसन्न होकर कृष्ण ने उनको आशीर्वाद दिया कि नदी उनके पदचिह्नों पर चलेगी. इस तरह वह नदी को गांव ले आए. तब से पेरियार नदी कलाडी गांव के करीब से बहती है. इस पवित्र स्थान और शंकराचार्य से जुड़ी जगहों को संरक्षित करने की काफी सुंदर कोशिश की गई है.
कलाडी में श्रृंगेरी मठ यहां का सबसे बड़ा मठ है. यह वह जगह है जहां आपको आदि शंकराचार्य और उनके जन्मस्थान की कहानी को जानने का विस्तार से मौका मिलता है. इसके साथ ही आदि शंकर जन्म क्षेत्र है. कलाडी में आर्यम्बा का वृंदावन या आदि शंकराचार्य की माता की समाधि भी है. एक शक्ति गणपति मंदिर है. पूर्णा या पेरियार नदी आदि शंकर जन्म क्षेत्र के पीछे से बहती है.
श्रीकृष्ण मंदिर कलाडी का सबसे पुराना मंदिर है. इसका जिक्र आदि शंकराचार्य के माता-पिता की कहानी में आता है, जो यहां पूजा करते थे. वर्तमान मंदिर एक बड़े परिसर में है. मगर मुख्य मंदिर अभी भी छोटा है, चारों ओर का परिसर काफी बड़ा है. कलाडी कांची कामकोटि पीठम ने यहां एक सुंदर कीर्ति स्तंभ बनाया है. कांची मठ के एक ही परिसर में दो छोटे मंदिर हैं. एक आदि शंकराचार्य को समर्पित है. यह उनका जन्मस्थान है. दूसरा शिव पार्वती और गणपति को समर्पित है. ये छोटे और साधारण मंदिर हैं.
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इसके अलावा कलाडी में रामकृष्ण आश्रम भी है. यह बेलूर के रामकृष्ण मठ की एक शाखा है, जो श्रृंगेरी मठ के पास स्थित है. कहा जाता है कि कलाडी के मणिकमंगलम कार्त्यायनी मंदिर में शंकर के पिता पुजारी थे. यहां का संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत में शोध पर केंद्रित अपनी तरह का एक अनूठा विश्वविद्यालय है.
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FIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 09:49 IST