ट्रेन के डिब्बे में मिले 2 वकील 43 साल बाद एक बना राष्ट्रपति दूसरा बना CJI
ट्रेन के डिब्बे में मिले 2 वकील 43 साल बाद एक बना राष्ट्रपति दूसरा बना CJI
सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना ने बेंगलुरु में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी में पूर्व चीफ जस्टिस वेंकटरमैया की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक व्याख्यान को संबोधित किया. इसमें उन्होंने 2 वकीलों की एक कहानी सुनाई.
बेंगलुरु. सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना अपने पिता और भारत के पूर्व चीफ जस्टिस ईएस वेंकटरमैया की जन्म शताब्दी के मौके पर एक अनोखी कहानी को दुनिया के सामने पेश करते समय भावुक हो गईं. जस्टिस नागरत्ना देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने की कतार में हैं. उन्होंने बेंगलुरु में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी में मुख्य न्यायाधीश वेंकटरमैया की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक व्याख्यान को संबोधित किया. उनके पिता ने रिटायर होने के बाद वहां पढ़ाया था. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने भी लॉ स्कूल में स्मारक व्याख्यान को संबोधित किया.
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने ट्रेन में दो वकीलों की मुलाकात के बारे में एक दिलचस्प किस्सा भी सुनाया. जिनमें से एक राष्ट्रपति बना, दूसरा भारत का चीफ जस्टिस बना. उन्होंने बताया कि दिसंबर 1946 में अखिल भारतीय वकीलों का सम्मेलन नागपुर में आयोजित किया गया था. चूंकि बेंगलुरु और नागपुर के बीच कोई सीधी ट्रेन नहीं थी, इसलिए ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस लेने के लिए मद्रास यानी चेन्नई जाना पड़ता था. रेलवे के डिब्बे में बेंगलुरु के साथ-साथ चेन्नई से भी कुछ वकील यात्रा कर रहे थे. जल्द ही सभी एक-दूसरे के मित्र बन गए.
जस्टिस नागरत्ना ने बताया कि ‘43 साल बाद जून 1989 में रेलवे के डिब्बे में मिले दो वकील राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में मिले. जिनमें से एक भारत के राष्ट्रपति के रूप में, आर वेंकटरमन थे, जिन्हें शपथ दिलाई जानी थी. दूसरे वकील, जस्टिस ईएस वेंकटरमैया थे, जो तब भारत के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस थे और वेंकटरमन को शपथ दिलाने जा रहे थे. जब मेरे पिता ने शपथ समारोह के बाद राष्ट्रपति आर वेंकटरमन को इस बारे में बताया, तो उन्हें भी नागपुर की ट्रेन यात्रा याद आ गई.
मायावती का आंबेडकर पर बयान अबूझ पहेली, समझ नहीं आ रहा अमित शाह का बचाव कर रहीं या राहुल गांधी की आलोचना
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि वह इसे अपना सौभाग्य मानती हैं कि उन्हें अपने पिता के बहुमुखी व्यक्तित्व में जीवन के महत्वपूर्ण सबक मिले. उन्होंने कहा कि ‘मैं हमेशा उनके मार्गदर्शन में कानून की छात्रा रही हूं. मैंने उनमें व्यक्तित्व की ताकत देखी है, जिसने मेरे व्यक्तिगत विश्वास को और मजबूत किया है कि अच्छे काम के लिए लड़ना सबसे फायदेमंद होता है.’ जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि उनके पिता का साहित्य और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम और ज्ञान की प्यास ने उन्हें विभिन्न विषयों से परिचित कराया.
Tags: Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 17:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed