गाजर घास और जलकुंभी से बना ये जैविक खाद फसलों के लिए वरदानऐसे करें तैयार

नीम की पत्ती, खरपतवार, जलकुंभी और बेवजह 12 महीने और उगने वाली कांग्रेसी घास यानी गाजर घास का इस्तेमाल जैविक खाद के लिए किया जा सकता है, ये आपको घरों के आसपास फ्री में मिल जाएगा. जैविक खाद बनाने की इस विधि को अपना कर आप भी अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.

गाजर घास और जलकुंभी से बना ये जैविक खाद फसलों के लिए वरदानऐसे करें तैयार
बलिया: खेत की मेड़ पर उगने वाले गाजर घास आमतौर पर किसानों के सिरदर्द से कम नहीं है लेकिन ये घास भी किसानों के लिए बेहद फायेदमंद हो सकती है है. गाजर घास को अब तक किसान एक बड़ी समस्या मानते थे क्योंकि यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होता है. साथ ही गाजर घास जमीन को बंजर बना देता है पर अब किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. बारिश के मौसम में यह घास निकल जाता है. जिसे किसान काटकर फेंक देते हैं पर यह खरपतवार अब उनके लिए उपयोगी साबित हो सकता है. बिल्कुल सही सुना आपने नीम की पत्ती, खरपतवार, जलकुंभी और बेवजह 12 महीने और उगने वाली कांग्रेसी घास यानी गाजर घास का इस्तेमाल जैविक खाद के लिए किया जा सकता है, ये आपको घरों के आसपास फ्री में मिल जाएगा. जैविक खाद बनाने की इस विधि को अपना कर आप भी अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. आइए जानते हैं कृषि एवं मृदा विज्ञान के एक्सपर्ट प्रो. अशोक कुमार सिंह ने क्या कुछ कहा जैविक खाद निर्माण में अच्छा मुनाफा श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि वर्तमान में कुछ ऐसी तकनीकी है जिसके माध्यम से खास गुणवत्ता वाली खाद बनाकर अपना एक खुद का अच्छा रोजगार प्रारंभ किया जा सकता है, या तो किसान इसको बनाकर अपने खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं या पैकेजिंग कर बाजार में भी बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. गाजर घास और जलकुंभी के नुकसान प्रो. अशोक कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि गाजर घास को पशु भी नहीं खाते हैं. पर जिस जगह यह उगता है वहां की उत्पादकता 20 से 30 फीसदी तक कम हो जाती है. इसकी छोटी पत्तियां होती है और इसमें सफेद फूल खिलता है. पर गाजर घांस को लेकर इसे जैविक खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. उसी प्रकार जलकुंभी भी एक खतरनाक जलीय पौधा है . भारत में इसे बंगाल का आतंक भी कहा जाता है. यह पौधा रुके हुए जल में काफी तेजी से फैलता है और पानी से ऑक्सीजन को खींच लेता है. परिणाम स्वरूप मछलिया, जलीय जीव और दूसरे पौधे मर जाते हैं. लेकिन शायद उनको पता नहीं होता कि इससे बेहद शानदार मुनाफा कमाया जा सकता है. जैसे – नीम की पत्ती, गेंहू का ठूंठ, भूसा, जलकुंभी और पार्थेनियम यानी कांग्रेस घास आदि से एक बेहतर जैविक खाद बनाया जा सकता है. जिसे खेत में डालने के बाद पैदावार अधिक होती है. इस विधि से करें तैयार प्रो. अशोक कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि नीम की पत्ती, गेंहू की ठूंठ, भूसा, जलकुंभी और पार्थेनियम यानी कांग्रेस घास (फूल आने से पहले) को काटकर अच्छी तरह से सुखा लें. सूखने के बाद 20 फीट लंबे, 4 फीट चौड़े, और तीन फीट गहरा ईंट, प्लास्टिक या बांस के खपाचियो से टंकी बना लें. अगर टंकी बनाने में सक्षम नहीं है तो मिट्टी से भी घेरा कर बना सकते हैं. नीम की पत्ती, गेंहू की ठूंठ, भूसा, जलकुंभी और पार्थेनियम यानी कांग्रेस घास की जमीन पर 6 इंच मोटी परत बिछा दें. इसके ऊपर मिट्टी की 1 इंच तह लगाकर गोबर के घोल का छिड़काव करें. इस प्रक्रिया को तब तक करते जाए जब तक टंकी फुल न हो जाए. अंत में गोबर और मिट्टी के घोल से ढक दें. ध्यान रखें की ऊपर से खाद पर पानी का छिड़काव कर दें ताकि नमी बनी रहे. 60 से 70 दिनों में यह जैविक खाद तैयार हो जाएगी. Tags: Agriculture, Ballia news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 14:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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