किसानों की चौकीदार है ये लालची बतखदेती है साल में 300 अंडे! ऐसे करें पहचान
किसानों की चौकीदार है ये लालची बतखदेती है साल में 300 अंडे! ऐसे करें पहचान
डॉ शिवकुमार यादव ने बताया कि भारतीय नस्ल खाकी कैंपवेल नाम की बतख दूसरी नस्ल की बतखों की तुलना में अधिक बुद्धिमान होती है.इसकी खास बात यह भी है कि यह किसी अजनबी को देखते ही शोर मचाने लगती हैं. इसको "किसानों का चौकीदार" भी कहा जाता है. यह साल भर में करीब 300 अंडे देती है
शाहजहांपुर : केंद्र सरकार खेती के साथ-साथ पशुपालन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. किसान खेती के साथ-साथ पशुओं को पालकर अतिरिक्त आमदनी लेते हैं. डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि अगर आप खेती के साथ-साथ बतख पालन कर लें तो यह आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है. बतख के अंडे और मांस, मुर्गी के मांस और अंडों के मुकाबले कहीं महंगे बिकते हैं. बतख पालन करते समय नस्लों का चुनाव करते समय बेहद ध्यान रखने की जरूरत है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के पशु पालन विभाग के एक्सपर्ट डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि बतख पालन मांस और अंडा उत्पादन के लिए किया जाता है. लेकिन अगर आप बतख के अंडों का उत्पादन करना चाहते हैं तो भारतीय नस्ल की बतख खाकी कैंपवेल का ही पालन करें. खाकी कैंपवेल एक ऐसी भारतीय नस्ल की बतख हैं जो कि ज्यादा संख्या में अंडों का उत्पादन करती है. इसके अंडों का भाव भी बाजार में अच्छा मिलता है, जिससे किसान मालामाल हो जाएंगे.
कैसे करें नस्ल को पहचान?
डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि खाकी कैंपवेल नर बत्तख की पीठ के निचले हिस्से का रंग भूरा, पूंछ परिवर्तित होती है. हरे रंग की चोंच और गहरे संतरी रंग की टांगे और पंजे होते हैं. मादा बत्तख का सिर और गर्दन भूरे रंग की, खाकी रंग के पंख और भूरे रंग की टांगे और पंजे होते हैं. नर बत्तख का भार 2.2-2.4 किलो और मादा बत्तख का भार 2.0-2.2 किलो होता है. अंडे का भार 70 ग्राम होता है.
किसानों की चौकीदार है ये बतख
डॉ शिवकुमार यादव ने बताया कि भारतीय नस्ल खाकी कैंपवेल नाम की बतख दूसरी नस्ल की बतखों की तुलना में अधिक बुद्धिमान होती है. यह रहने और चरने के स्थानों को कुछ ही दिनों में पहचान कर लेती है. जिसकी वजह से इसकी ज्यादा देखरेख नहीं करनी पड़ती. इसकी खास बात यह भी है कि यह किसी अजनबी को देखते ही शोर मचाने लगती हैं. इसको “किसानों का चौकीदार” भी कहा जाता है. यह साल भर में करीब 300 अंडे देती है और इसका अंडा मुर्गी के अंडे से 15 से 20 ग्राम तक बड़ा होता है. इसके अंडे में पोषक तत्व भी अधिक पाए जाते हैं. इसके एक अंडे की कीमत 10 रूपए से लेकर 12 रूपए तक रहती है. इसके मांस में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा पाई जाती है. बत्तख को एक वर्ष में 50-60 किलो भोजन की आवश्यकता होती है. 1 दर्जन अंडों और 2 किलो ब्रॉयलर बत्तख का उत्पादन करने के लिए 3 किलो भोजन की आवश्यकता होती है.
बतख को कितनी मात्रा में दें भोजन?
डॉ शिवकुमार यादव ने बताया कि खाकी कैंपवेल बत्तख खाने की लालची होती हैं और दिखने में आकर्षक होती हैं. भोजन के साथ-साथ, ये ज़मीन के कीड़ों और पानी में मौजूद हरी हरी घास को भी खाती हैं. जब बत्तखों को शेड में लाया जाता है, तब उन्हें गीला भोजन देना चाहिए, क्योंकि उनके लिए सूखा भोजन खाना मुश्किल होता है. भोजन को 3 मि.मी. गोलियों में बदल लेना चाहिए है जो कि बत्तखों को भोजन के रूप में देना आसान होता है.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 20:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed