पशुओं के लिए वरदान है ये जलीय पौधा 15 प्रतिशत तक बढ़ा देगा दूध उत्पादन!

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने लोकल 18 को बताया कि अजोला एक जलीय पौधा है जो तालाबों, झीलों और गड्ढों में ठहरे हुए पानी में अपने आप उग आता है. एक्सपर्ट के अनुसार अजोला खिलाने से दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में 10 से 15% तक की वृद्धि हो सकती है.

पशुओं के लिए वरदान है ये जलीय पौधा 15 प्रतिशत तक बढ़ा देगा दूध उत्पादन!
शाहजहांपुर: तालाब और झीलों में खुद से उगने वाला जलीय पौधा अजोला किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है. किसान अजोला का इस्तेमाल पशुओं के चारे के तौर पर भी कर सकते हैं. अजोला पशुओं के लिए बेहद लाभकारी होता है. अजोला में प्रोटीन, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं. अजोला में प्रोटीन, विटामिन A और B12, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो पशुओं के लिए आवश्यक होते हैं. अजोला में लिग्निन की मात्रा कम होती है, जिसके कारण पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं. एक्सपर्ट के अनुसार अजोला खिलाने से दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में 10 से 15% तक की वृद्धि हो सकती है. अजोला नियमित रूप से खिलाने से बकरी, सूअर, मुर्गी आदि के वजन में 25 से 30% तक की वृद्धि होती है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने लोकल 18 को बताया कि अजोला एक जलीय पौधा है जो तालाबों, झीलों और गड्ढों में ठहरे हुए पानी में अपने आप उग आता है. यह पौधा जो पशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार माना जाता है. इस पौधे में कई सूक्ष्म तत्व पाए जाते हैं. जो पशुओं की सेहत के लिए बेहद मुफीद हैं. इसमें शुष्क मात्रा के आधार पर 40 से 60 प्रतिशत प्रोटीन, 10 से 15 प्रतिशत खनिज एवं 7 से 10 प्रतिशत एमिनो एसिड, जैव सक्रिय पदार्थ और जैव पोलिमर्स पाए जाते है . इसमें कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा अत्यंत कम होती है . इसकी संरचना इसे अत्यन्त पौष्टिक एवं असरकारक पशु आहार बनाती है. पशुओं को ये पौधा खिलाने से दुधारू पशु के दूध में बढ़ोतरी होती है. खास बात यह है कि इसको उगाने के लिए नाम मात्र का खर्च आता है. कई जगह तो यह खुद भी आसानी से उग आता हैं. यूरिया का अच्छा विकल्प है अजोला डा. एनपी गुप्ता ने बताया कि अजोला पशुओं के साथ-साथ फसलों के लिए भी उर्वरक के तौर पर काम करता है. उन्होंने बताया कि अगर धान की फसल में 10 से 15 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डाल दें तो 20 दिन तक नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता है. अजोला वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर धान के पौधों को देता है. घर पर ऐसे तैयार करें अजोला? डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि अगर आप अजोला को तैयार करना चाहते हैं. तो उसके लिए एक मीटर चौड़ी और 3 मीटर लंबी कंक्रीट की क्यारी बना लें. जिसकी गहराई करीब 1 फिट रखें. उसके बाद उसमें नीचे थोड़ी मिट्टी डालने के बाद उसमें पानी भर दें. 200 से 400 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट रासायनिक खाद पानी में डाल दें. इसके बाद इसमें अजोला स्वयं ही तैयार हो जाएगा. डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि इससे पहले दक्षिणी भारत में अजोला का प्रचलन था लेकिन अब उत्तरी भारत में भी इसकी काफी मांग बढ़ रही है. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 15:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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