3900 टन वजन रडार भी खाएगा गच्चा समंदर में उतरने वाला है दुश्मनों का काल
INS Tushil Warship: इंडियन नेवी को एक नया वॉरशिप मिलने वाला है, जिससे समंदर में उसकी ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. आईएनएस तुशील वॉरशिप को रूस और भारत की मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया गया है.
इस सीरीज का सातवां जहाज आईएनएस तुशील है. इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट पर अक्टूबर 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारतीय नौसेना और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षर किए गए थे. जहाज के निर्माण की निगरानी मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के तत्वावधान में कलिनिनग्राद में तैनात वॉरशिप सर्विलांस टीम के एक्सपर्ट्स की एक भारतीय टीम द्वारा की गई.
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह वॉरशिप सैकड़ों शिपयार्ड श्रमिकों और कई रूसी और भारतीय ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (ओईएम) के निरंतर मेहनत का नतीजा है. निर्माण और तैयारी के बाद यह जहाज जनवरी से शुरू होने वाले कई बड़े टेस्ट से गुज़रा है. इसमें फ़ैक्टरी सी ट्रायल, स्टेट कमेटी ट्रायल और अंत में भारतीय एक्सपर्ट्स की एक टीम द्वारा डिलीवरी स्वीकृति टेस्टिंग शामिल है. इन परीक्षणों में जहाज़ पर लगे सभी रूसी उपकरणों और हथियारों का परीक्षण भी शामिल था. इन परीक्षणों के दौरान जहाज़ ने 30 नॉट से अधिक की गति दर्ज की. इन परीक्षणों के सफल होने के बाद यह जहाज युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंचेगा.
जहाज का नाम ‘तुशील’ है. इसका अर्थ है ‘रक्षक कवच’ ‘ और इसका शिखर ‘अभेद्य कवच’ का प्रतिनिधित्व करता है. अपने आदर्श वाक्य ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’ (निडर, अदम्य, दृढ़) के साथ, यह जहाज देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है. इस जहाज के निर्माण में प्रमुख भारतीय ओईएम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, टाटा से नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कोम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और कई अन्य शामिल थे.
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