3900 टन वजन रडार भी खाएगा गच्चा समंदर में उतरने वाला है दुश्मनों का काल

INS Tushil Warship: इंडियन नेवी को एक नया वॉरशिप मिलने वाला है, जिससे समंदर में उसकी ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. आईएनएस तुशील वॉरशिप को रूस और भारत की मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया गया है.

3900 टन वजन रडार भी खाएगा गच्चा समंदर में उतरने वाला है दुश्मनों का काल
नई दिल्ली. इंडियन नेवी को एक और मॉडर्न वॉरशिप मिलने जा रहा है. यह वॉरशिप 9 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राद में भारत को डिलीवर किया जाएगा. इस मल्टी रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट को आईएनएस ‘तुशील’ नाम दिया गया है. रूस में इंडियन वॉरशिप की डिलीवरी के लिए एक विशेष समारोह आयोजित किया जा रहा है जिसकी अध्यक्षता भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे. इस अवसर पर कई हाई रैंक वाले रूसी और भारतीय डिफेंस ऑफिसर भी मौजूद रहेंगे. 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजन वाला यह घातक जहाज रूसी और इंडियन मॉडर्न टेक्नोलॉजी और वॉरशिप निर्माण का एक असरदार संगम है. जहाज का नया डिजाइन इसे रडार से बचने और बेहतर स्थिरता प्रदान करता है. भारतीय नौसैनिक विशेषज्ञों और सेवनॉय डिज़ाइन ब्यूरो के सहयोग से, जहाज की स्वदेशी सामग्री को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है. यहां भारत में निर्मित प्रणालियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 33 हो गई है. सेवा में आने के बाद, आईएनएस तुशील सबसे अधिक तकनीकी उन्नत फ्रिगेट के रूप में पश्चिमी नौसेना कमान के अंतर्गत भारतीय नौसेना के ‘स्वॉर्ड आर्म’, पश्चिमी बेड़े में शामिल हो जाएगा. यह न केवल भारतीय नौसेना की बढ़ती क्षमताओं का, बल्कि भारत-रूस साझेदारी का भी प्रतीक होगा. आईएनएस तुशील प्रोजेक्ट 1135.6 का एक उन्नत क्रिवाक-3 श्रेणी का फ्रिगेट है. इनमें से छह वॉरशिप पहले से ही सर्विस में हैं. इन छह वॉरशिप्स में से तीन तलवार कैटेगरी के जहाजों का निर्माण सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में हुआ हैं. वहीं तीन अनुवर्ती टेग श्रेणी के जहाजों का निर्माण कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में हुआ है. #INSTushil – New Sentinel of the Seas Unveiling the crest of Indian Naval Ship Tushil, displaying an emblem of status, power and identity. Set to strengthen the arsenal of the #IndianNavy on #09Dec, this mighty guardian is ready to uphold #India‘s Maritime Legacy.… pic.twitter.com/GrJc1bcW93 — SpokespersonNavy (@indiannavy) December 6, 2024

इस सीरीज का सातवां जहाज आईएनएस तुशील है. इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट पर अक्टूबर 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारतीय नौसेना और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षर किए गए थे. जहाज के निर्माण की निगरानी मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के तत्वावधान में कलिनिनग्राद में तैनात वॉरशिप सर्विलांस टीम के एक्सपर्ट्स की एक भारतीय टीम द्वारा की गई.

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह वॉरशिप सैकड़ों शिपयार्ड श्रमिकों और कई रूसी और भारतीय ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (ओईएम) के निरंतर मेहनत का नतीजा है. निर्माण और तैयारी के बाद यह जहाज जनवरी से शुरू होने वाले कई बड़े टेस्ट से गुज़रा है. इसमें फ़ैक्टरी सी ट्रायल, स्टेट कमेटी ट्रायल और अंत में भारतीय एक्सपर्ट्स की एक टीम द्वारा डिलीवरी स्वीकृति टेस्टिंग शामिल है. इन परीक्षणों में जहाज़ पर लगे सभी रूसी उपकरणों और हथियारों का परीक्षण भी शामिल था. इन परीक्षणों के दौरान जहाज़ ने 30 नॉट से अधिक की गति दर्ज की. इन परीक्षणों के सफल होने के बाद यह जहाज युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंचेगा.

जहाज का नाम ‘तुशील’ है. इसका अर्थ है ‘रक्षक कवच’ ‘ और इसका शिखर ‘अभेद्य कवच’ का प्रतिनिधित्व करता है. अपने आदर्श वाक्य ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’ (निडर, अदम्य, दृढ़) के साथ, यह जहाज देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है. इस जहाज के निर्माण में प्रमुख भारतीय ओईएम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, टाटा से नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कोम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और कई अन्य शामिल थे.

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