भारत का रक्षा निर्यात नवंबर तक पहुंचा 7000 करोड़ के पार इन वजहों से दुनिया में बना दबदबा
भारत का रक्षा निर्यात नवंबर तक पहुंचा 7000 करोड़ के पार इन वजहों से दुनिया में बना दबदबा
Defense News: रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ सालों में सरकार ने कई नीतियां लागू की हैं, इसका मकसद ना केवल राजस्व में बढ़ोतरी करना है बल्कि दूसरे देशों के साथ राजनयिक संबंधों को भी बेहतर करना है.
हाइलाइट्सभारत ने इस साल 1 नवंबर तक 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात कियाडेटा के मुताबिक, 2021-22 में भारत के रक्षा निर्यात की कीमत 12,814 करोड़ थीदेश ने 2025 तक अपने वार्षिक रक्षा निर्यात को 35000 करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य रखा है
नई दिल्ली. भारत ने 1 नवंबर 2022 तक 7000 करोड़ का रक्षा निर्यात का आंकड़ा हासिल कर लिया है और वित्तीय वर्ष पूरा होते होते इस आंकड़े के 15000 करोड़ रुपये तक जाने की उम्मीद है. यह जानकारी न्यूज 18 को आधिकारिक डेटा से प्राप्त हुई है. डेटा के मुताबिक, भारत ने इस साल 1 नवंबर तक 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया है. सूत्रों का कहना है कि कुछ प्रमुख रक्षा सौदों का इस साल के अंत या 2023 की शुरुआत तक पूरा होने का अनुमान है, जिसके बाद यह आंकड़ा ऊपर जा सकता है. 2021-22 में भारत के रक्षा निर्यात की कीमत 12,814 करोड़ थी. 2014-15 के बाद से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, उस दौरान यह आंकड़ा मात्र 1940.64 करोड़ था.
आपको बता दें कि भारत के निजी क्षेत्र का इस पूरे रक्षा निर्यात में एक बड़ा हिस्सा है. देश ने 2025 तक अपने वार्षिक रक्षा निर्यात को 35000 करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. वहीं स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर के 25 प्रमुख हथियारों के निर्यातकों में भारत का स्थान 23वां है. भारत की वैश्विक स्तर पर हथियारों के निर्यात में 2017-21 के बीच 0.2 फीसद की हिस्सेदारी रही है जो इसके पहले के सालों में 0.1 फीसद ही थी.
ब्रह्मोज और एडवांस हेलीकाप्टर ने बढ़ाई साख
इस साल भारत ने बहुत महत्वपूर्ण रक्षा निर्यात सौदों पर करार किया, जिसमें ब्रह्मोज सुपरसोनिक मिसाइल के लिए फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का बड़ा अनुबंध भी शामिल है. इसके अलावा उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH Mark III) के आधुनिक संस्करण के लिए मॉरीशस के साथ, और एक अन्य देश के साथ निजी फर्म ‘कल्याणी स्ट्रेटजिक सिस्टम’ का आर्टिलरी गन के लिए 155 मिलियन डॉलर का करार हुआ है.
वहीं भारत अपने स्वदेशी निर्मित हल्के लड़ाकू एयरक्राफ्ट तेजस को अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई बाजार में पेश करने जा रहा है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत निजी सुरक्षा उपकरण, अपतटीय गश्ती जहाजों, एएलएच हेलीकॉप्टर, एसयू एवियोनिक्स, भारती रेडियो, तटीय निगरीन प्रणाली, कवच MoD II लॉन्चर और एफसीएस, रडार, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और हल्के इंजीनियरिंग मशीनी पुर्जों का निर्यात करता है.
यह करीब 84 देशों को भेजा जाता है जिसमें, इटली, मालदीव्स, श्रीलंका, रूस, फ्रांस, नेपाल, मॉरीशस, इजराइल, इजिप्ट, यूएई, भूटान, इथियोपिया, सऊदी अरब, फिलीपींस, पोलैंड, स्पेन और चिली शामिल हैं.
निर्यात को कारगर बनाने के लिए उठाए गए कदम
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ सालों में सरकार ने कई नीतियां लागू की हैं. इसका मकसद ना केवल राजस्व में बढ़ोतरी करना है बल्कि दूसरे देशों के साथ राजनयिक संबंधों को भी बेहतर करना है. इसमें रक्षा मंत्रालय के तहत नई निर्यात प्रोत्साहन प्रकोष्ठ का निर्माण भी किया गया हो जो निर्यात से जुड़ी गतिविधियों के साथ तालमेल स्थापित करने, भारत के रक्षा सहयोगियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए योजना की अधिसूचना जारी करने का, निर्यात प्राधिकरण की वैधना बढ़ाने और रक्षा निर्यात के प्रचार के लिए योजना जिसमें निर्माताओं को उनके उत्पादों के सत्यापन के लिए रक्षा मंत्रालय के परीक्षण इन्फ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच प्रदान करना शामिल है, उसका काम करता है. इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय, एक रक्षा उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति भी तैयार कर चुका है जिसे फिलहाल कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है.
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Tags: Indian exportFIRST PUBLISHED : November 30, 2022, 14:21 IST