समुद्र में होने वाले हादसों में नहीं जाएगी किसी की जान कोस्ट गार्ड का प्‍लान

Indian Coast Guard: भारत की समुद्री सीमा का विस्‍तार हजारों किलोमीटर का है. इसकी सुरक्षा के लिए तमाम तरह की व्‍यवस्‍थाएं की जाती हैं. इसे और दुरुस्‍त करने के लिए समय-समय पर एक्‍सरसाइज कर ताकत और सिस्‍टम के ऑपरेशन का पता लगाया जाता रहता है.

समुद्र में होने वाले हादसों में नहीं जाएगी किसी की जान कोस्ट गार्ड का प्‍लान
नई दिल्‍ली. भारत की कोस्‍टलाइन 7516 किलोमीटर लंबी है. समुद्र में हर तरह के खतरे होते हैं. आतंकवाद, नार्कोटेरेरिजम, साइक्लोन, शिप एक्‍सीडेंट और ना जाने क्या क्या. चूंकि आतंकवाद और नार्कोटेरेरिजम को तो रोकने के लिए कोस्टल पुलिस, कोस्ट गार्ड और नेवी सक्षम है, लेकिन दुर्घटना और प्राकृतिक आपदा का तोड़ किसी के पास नहीं है. लेकिन, प्राकृतिक आपदाओं या फिर दुर्घटना के बाद अगर सर्च एंड रेस्क्यू के काम में रिस्‍पांस टाइम कम रहा तो जानमाल का नुक़सान कम किया जा सकता है और उसी रिस्‍पांस टाइम को कम करने के लिए कोस्ट गार्ड तमाम स्टेक होल्डर के साथ मिलकर कोच्ची में एक बड़ा अभ्यास SAREX-2024 को अंजाम दे रहा है. 27 से 30 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में सबसे पहले टेबल टॉप अभ्यास को अंजाम दिया गया और रणनीति बनाई गई. उसके बाद सी फेज में उसकी ड्रिल शुरू की गई. इस अभ्यास में दो इमरजेंसी सिचुएशन को तैयार किया गया और उस वक़्त कैसे रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन अंजाम दिया गया. इस अभ्यास में भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के अलावा इंडियन नेवी, एयरफोर्स, कोचीन पोर्ट अथॉरिटी की सिविल शिप, टग बोट और कस्टम्स के बोट ने  हिस्सा लिया. दो सिचुएशन बनाई गई है, उनमें एक एयर क्रैश और शिप एक्सीडेंट एक यात्री जहाज पर 500 यात्रियों के साथ संकट की स्थिति को दिखाया गया, जबकि दूसरा सिचुएशन में एक सिविल एयरक्राफ्ट के क्रैश होने की सिचुएशन बनाई गई. इस प्‍लेन में 200 यात्री थे. अभ्यास में समुद्री बचाव अभियान में अलग-अलग तरीकों के जरिए राहत बचाव के काम को अंजाम दिया गया. इसमें नई तकनीक का इस्‍तेमाल करते हुए रीयल सिचुएशन पर अभ्यास किया गया. जैसे कि सैटेलाइट से जुड़े डिस्ट्रेस बेकन्स, ड्रोन से लाइफ बॉय को गिराना, हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ्ट के जरिए गिराए जाने वाले लाइफ राफ्ट्स और रिमोटली कंट्रोल्ड लाइफ बॉय को ऑपरेट किया गया. रूठ गए एकनाथ शिंदे? इधर महायुति की बैठक टली, उधर अपने गांव के लिए निकले एक्टिंग सीएम सी-विजिल में तैयारियों को धार 26/11 के बाद से भारतीय तटीय सुरक्षा चाक-चौबंद करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इनमें सबसे जरूरी था इंफ़ॉरमेशन का इंटीग्रेशन यानी केंद्र सरकार, तटीय इलाके वाले राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के संबंधित मंत्रालय और एजेंसियों के बीच तालमेल को बढ़ावा देना. इसी की समीक्षा 20 और 21 नवंबर को पूरे तटीय इलाकों में की गई थी. यह अभ्यास पोर्ट, ऑयल रिग, अंडर वॉटर केबल लैंडिंग प्वाइंट और क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रकचर की सुरक्षा को मजबूती पर केंद्र‍ित रहा. इस अभ्यास में भी तटीय सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों को रीयल टाइम सिचुएशन बनाकर उनका अभ्यास किया और उसकी समीक्षा भी सी-विजिल 2024 में नेवी सभी तटीय राज्यों की मेरिटाइम एजेंसी, कोस्‍टगार्ड, कस्टम, शिपिंग, फिशरीज विभागों के शिप और अन्य विभाग सहित कुल 6 मंत्रालय और 21 एजेंसियों ने एक साथ अभ्यास किया. मेरिटाइम सिक्‍योरिटी सिस्‍टम समुद्री सीमा की सुरक्षा की तैनाती लेयर में होती है. जैसा कि पहले लेयर में नौसेना (जो कि तट से 200 नॉटिकल मील पर भारत के एक्सक्लूसिव इकॉनोमिक ज़ोन पर तैनात है), उसके बाद दूसरी लेयर में कोस्टगर्ड (जो कि तट से 16 नॉटिकल मील तक की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है) और उसके बाद कोस्टल पुलिस की. चूंकि अब इंफ़ॉरमेशन शेयरिंग इतनी तेज और सटीक हो गई कि चाहे कोई आतंकी ख़तरा हो या फिर कोई दुर्घटना या फिर कोई प्राकृतिक आपदा भारत पूरी तरह से उनसे निपटने के लिए तैयार है. Tags: Indian Airforce, Indian Coast Guard, Indian navyFIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 20:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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