अनोखी जेल: यहां कैदी एक दूसरे से चोरी और डकैती के नये-नये पटर्न नहीं बल्कि पढ़ना सीख रहे हैं
अनोखी जेल: यहां कैदी एक दूसरे से चोरी और डकैती के नये-नये पटर्न नहीं बल्कि पढ़ना सीख रहे हैं
राजस्थान की अनोखी जेल: मध्यप्रदेश से सटे राजस्थान के झालावाड़ मुख्यालय पर स्थित जिला जेल (Jhalawar District Jail) में कैदी इन दिनों पढ़ाई में मशगूल हैं. वहां कैदी (Prisoner) एक दूसरे से अपराध के नये-नये पटर्न सीखने की बजाय अपना जीवन सुधारने के लिये पढ़ाई कर रहे हैं. जेल में किय जा रहे इस नवाचार के कारण एक महीने के भीतर ही कई अनपढ़ कैदी अपना नाम लिखना सीख गये हैं.
झालावाड़. जेल में अक्सर कैदी (Prisoner) एक दूसरे के संपर्क में आने के बाद अपराध के नये-नये पैंतरे सिखते हैं. नई-नई गैंग बनाते हैं. लेकिन राजस्थान के झालावाड़ जिले के जिला कारागृह (Jhalawar District Jail) में इन दिनों इससे बिल्कुल उलटा हो रहा है. यहां कैदी एक दूसरे से चोरी, डकैती या अपराध के नये-नये तरीके सीखने की बजाय क, ख, ग, घ, ड़ सीख रहे हैं. सुनने में यह बात भले ही अटपटी लगे लेकिन ये सोलह आना सच है. झालावाड़ के जिला जेल में इन दिनों कैदियों की पाठशाला चल रही है.
जिला जेल में बंद करीब 168 निरक्षर कैदी इन दिनों जेल में चल रही पाठशाला में ककहरा सीखने में लगे हैं. उन्हें पढ़ाने वाले और कोई नहीं हैं बल्कि जेल में ही बंद शिक्षित कैदी हैं. जेल में ही मौजूद कुछ शिक्षित बंदी निरक्षर बंदियों को साक्षर करने के प्रयास में जुटे हुए हैं. यह नवाचार किया है झालावाड़ जेल के डीएसपी वैभव भारद्वाज ने. उन्होंने जेल में बंद अनपढ़ कैदियों को साक्षर करने का बीड़ा उठाया है. धीरे-धीरे उन्हें अपने इस नवाचार में सफलता मिलने लगी है. अनपढ़ कैदियों की पढ़ाई में रुचि बढ़ने लगी है. अब कई बंदी जेल की इस पाठशाला में पढ़ते-पढ़ते जहां अपना नाम लिखना सीख गए हैं तो वहीं कुछ कैदी अपने दैनिक जीवन में काम आने वाली शिक्षा भी ले रहे हैं.
जेल में बंद शिक्षित कैदियों को सौंपा पढ़ाई का जिम्मा
झालावाड़ जेल के डीएसपी वैभव भारद्वाज ने बताया कि झालावाड़ जेल में करीब 168 अनपढ़ कैदी हैं. उन्होंने जेल में बंद निरक्षर बंदियों को साक्षर करने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए उन्होंने जेल में ही बंद कुछ ऐसे शिक्षित कैदियों को तैयार किया जिनका आचरण अच्छा है. उन कैदियों को अनपढ़ कैदियों को पढ़ाने का जिम्मा सौंपा है. कैदियों के लिए जेल में ब्लैक बोर्ड, पेंसिल और स्लेट समेत विभिन्न तरह के चार्ट की व्यवस्था करवाई गई है.
कैदी नियमित रूप से 3 घंटे पढ़ाई करते हैं
जेल में जैसे ही पाठशाला शुरू हुई तो कई अनपढ़ कैदी पढ़ाई में रुचि दिखाने लगे. उन्हें देखकर धीरे-धीरे अन्य अनपढ़ कैदियों की भी रुचि बढ़ी और वे भी पढ़ाई से जुड़ते गए. 1 महीने के अंदर ही कई कैदी अपना नाम लिखना सीख गए हैं. चोरी, लूट, डकैती और हत्या जैसे संगीन अपराधों के आरोप में कई कैदी इस जेल में बंद हैं. वहीं मादक पदार्थ तस्करी समेत जरायमपेशा जाति के कई कैदी भी अब इस पाठशाला में नियमित रूप से 3 घंटे पढ़ाई करते हैं. इन कैदियों का कहना है कि वे जब भी जेल से बाहर निकलेंगे तो समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपने जीवन में इस शिक्षा के बदौलत कई अच्छे काम कर सकेंगे.
कैदियों के होमवर्क की भी होती है जांच
झालावाड़ की जिला जेल में चल रही इस पाठशाला में कैदी लगातार पढ़ाई करें और उनकी कक्षाएं नियमित रूप से चले इसके लिए जेल अधिकारी अपने अन्य कर्मचारियों के साथ लगातार निरीक्षण करते रहते हैं. वहीं कैदियों की उनकी पढ़ाई और होमवर्क की पूरी जांच भी करते हैं. इससे वे अगले दिन पूरी तैयारी करके ही पाठशाला में पहुंचते हैं. झालावाड़ जेल डीएसपी ने बताया कि अब कैदियों की इस पाठशाला के साथ-साथ उनका प्रयास है कि जेल में बंद कैदी अपना तनाव दूर करने के लिए योगा मेडिटेशन करें. इसके साथ ही मानसून सीजन में वृक्षारोपण के कार्य से भी जुड़ें ताकि जेल परिसर को हरा-भरा बनाया जा सके.
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Tags: Good news, Jail story, Jhalawar news, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : July 04, 2022, 10:16 IST