अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से भारत हो सकता है परेशान समझें सारी वजह
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से भारत हो सकता है परेशान समझें सारी वजह
US Election Results: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ी जीत दर्ज की है. ट्रंप की इस जीत के बाद तमाम भारतीयों के मन एक सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर भारत पर इसका क्या असर होगा? तो चलिये हम इसका जवाब समझने की कोशिश करते हैं...
अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस? जो भी होगा तो भारत पर उसका क्या असर होगा? अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर भारत में यही दो सवाल केंद्र में हैं. पहले सवाल का जवाब लगभग मिल गया है. अब साफ हो गया है कि अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही बनेंगे. दूसरा सवाल ज्यादा प्रमुख है. तो हम इसका जवाब समझने की कोशिश करते हैं.
वैसे, राष्ट्रपति बदलने से अमेरिका के संदर्भ में भारत के मुद्दे तो नहीं बदलने वाले हैं. व्यापार और टैरिफ, चीन की चुनौती, आप्रवासी नीति, मानवाधिकार से जुड़े मसले आदि पुराने मुद्दों के केंद्र में ही नए अमेरिकी प्रशासन के साथ भी भारत के रिश्तों की रूपरेखा तय होगी.
ट्रंप ने भारत से बेहतर रिश्तों के संकेत कई मौकों पर दिए हैं. उन्होंने दोनों देशों के बीच साझीदारी मजबूत करने की बात कही है. 31 अक्तूबर को उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले की भी आलोचना की. लेकिन, उनके बयानों और नीतियों में विरोधाभास दिखता रहा है. यह विरोधाभास उनके पिछले कार्यकाल में भी दिखा और इस बार के चुनाव अभियान के दौरान भी दिखा. माना जाता है कि उनके भारत समर्थक बयान भारतीय मूल के अमेरिकियों को रिझाने के लिए थे. लगता है उनका यह दावं सफल भी रहा.
2024 के चुनाव में उन्हें पिछले चुनाव के मुकाबले भारतीय मूल के अमेरिकियों के नौ फीसदी ज्यादा वोट मिले, जबकि डेमोक्रैटिक पार्टी को इस समुदाय के मिले वोट सात फीसदी (68 से 61) कम हो गए. 2020 में रिपब्लिकन पार्टी को भारतीय-अमेरिकियों का 22 फीसदी वोट मिला था, जो इस बार 31 फीसदी मिला.
अमेरिका से व्यापारिक रिश्ते की क्या है अहमियत?
व्यापार की बात करें तो यह सबसे अहम मुद्दा होगा. आज की तारीख में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है. वित्त वर्ष 2024 में दोनों देशों के बीच व्यापार करीब 120 अरब डॉलर तक पहुंच गया. अमेरिका से भारत का व्यापरिक रिश्ता इस लिहाज से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है. हम जितना सामान अमेरिका से मंगवाते (आयात) हैं, उससे ज्यादा भेजते (निर्यात) हैं. 2023-24 में भारत के कुल व्यापार में अमेरिका को निर्यात की हिस्सेदारी 17.33 प्रतिशत थी, जबकि आयात 6.22 प्रतिशत था. इस तरह अमेरिका हमारे लिए डॉलर का एक प्रमुख स्रोत है.
व्यापार पर क्या हो सकता है असर?
ट्रंप ने कहा है कि वह राष्ट्रपति बने तो अमेरिकी टैरिफ नीति चीन को टारगेट करेगी. ऐसा हुआ तो भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है. निर्माण और निवेश के मामले में चीन की तुलना में भारत को प्रमुखता मिल सकती है. लेकिन, प्रचार के दौरान ट्रंप भारत को ‘टैरिफ किंग’ और व्यापार नियमों का बड़ा उल्लंघनकर्ता भी बताते रहे हैं. ऐसे में इस बात की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वह राष्ट्रपति बने तो अमेरिकी कंपनियों व कारोबार के हित में भारत पर ज्यादा टैक्स का बोझ डालेंगे. पिछले कार्यकाल में उन्होंने ऐसा किया भी था.
महंगाई की मार
अमेरिका में सरकारी खजाने पर भारी दबाव है. राजकोषीय घाटा 6 प्रतिशत पर कायम है. जरूरत से ज्यादा खर्च और ट्रंप की टैक्स कटौती की नीतियों के चलते यह घाटा अभी बढ़ने का ही खतरा है. इससे कर्ज महंगा होगा, जिसके असर से भारत भी अछूता नहीं रह सकेगा.
कर्ज सस्ता किया तो महंगाई बढ़ेगी. कई शोध में भी माना गया है कि ट्रंप की नीतियों से अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी. ऐसा हुआ तो भारत से कपड़े, गहने जैसी कई चीजों के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ने का खतरा है, क्योंकि महंगाई के चलते अमेरिका में इन चीजों की खपत घट सकती है. भारत का निर्यात घटा तो यहां बड़ी संख्या में रोजगार भी जा सकता है.
चीन की चुनौती
चीन की लगातार हो रही तरक्की से मिलने वाली चुनौतियों से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर अमेरिका अभी तक उधेड़बुन में ही है और कोई ठोस नीति नहीं बना सका है. लेकिन, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में खुले आम चीन को अमेरिका के लिए ‘खतरा’ बताया था. ऐसे में इस बात के पूरे आसार हैं कि ट्रंप राष्ट्रपति बने तो वह चीन पर लगाम कसने की नीति जारी रखेंगे. ऐसा हुआ तो यह भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है. संभव है कि अमेरिका चीन पर लगाम कसने के लिए भारत को साथ लेकर चलने का मौका भी दे. पाकिस्तान के मोर्चे पर भारत के लिए मिली-जुली स्थिति रह सकती है. ट्रंप जहां पाकिस्तान से करीबी बढ़ा सकते हैं, वहीं भारत को पाकिस्तान के साथ कैसे निपटना है, इस बारे में किसी तरह के दबाव से मुक्त भी रख सकते हैं.
अप्रवासी नीति
अवैध अप्रवासियों पर आक्रामक रुख अख्तियार करने का संकेत ट्रंप शुरू से ही देते रहे हैं. भारत से भी अवैध अप्रवासी अमेरिका पहुंचते रहे हैं. बीते एक साल में 1100 ऐसे भारतीयों को अमेरिका ने वापस भेजा है. अभी हाल में भी अवैध अप्रवासियों से भरे एक विमान को भारत रवाना किया गया. हालांकि, यह नहीं बताया गया कि इसमें कितने भारतीय थे. अवैध अप्रवासियों का मसला जहां भारत-अमेरिका संबंध को प्रभावित कर सकता है, वहीं घरेलू स्तर पर भी सरकार की परेशानी बढ़ा सकता है.
एच-1 बी वीजा को लेकर ट्रंप की नीति भी भारत के पक्ष में नहीं रही है. अगर इस बार भी उन्होंने यही नीति कायम रखी तो अमेरिका जाकर नौकरी करने के सपने देखने वाले भारतीय युवाओं के लिए मुश्किल बढ़ेगी ही. अमेरिकी नौकरी बाजार में भारतीय युवाओं की एंट्री कम होगी तो यहां देश में उनके लिए उचित रोजगार के अवसर पैदा करने का दबाव भी बढ़ेगा. खास कर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में.
मानवाधिकार का मसला
इस मसले पर ट्रंप प्रशासन की वापसी भारत के लिए राहत की बात हो सकती है, क्योंकि ट्रंप ने भारत या दूसरे देशों में मानवाधिकार के मसले पर आलोचनात्मक रुख नहीं रखा है.
इस तरह अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने से भारत के लिए भी स्थिति बदलने वाली है और मोदी सरकार को अब इससे निपटने के लिए ज्यादा सिर खपाना होगा.
Tags: Donald Trump, India US, US Presidential Election 2024FIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 21:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed