इंडिया का जन्नत हर परिवार पर डॉलर की बारिश दीया लेकर खोजना पड़ता है गरीब!
इंडिया का जन्नत हर परिवार पर डॉलर की बारिश दीया लेकर खोजना पड़ता है गरीब!
जब जन्नत की बात होती है हम सोचते हैं कि यह किसी और दुनिया में होगा. लेकिन, यह सच नहीं है. अपने ही देश में एक राज्य ऐसा है जो प्राकृतिक सौंदर्य के साथ समृद्धि के मामले में पूरी तरह जन्नत जैसा है.
जन्नत कहीं और नहीं बल्कि इसी धरती पर है. नहीं, इसी धरती पर नहीं बल्कि अपने ही देश में है. बिहार, झारखंज, यूपी, बंगाल, ओडिशा जैसे राज्यों को देखकर हम मान बैठे हैं कि पूरे देश की हालत ऐसी ही है. हर जगह गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार का बोलबाला है. लेकिन, आप लगत समझ रहे हैं. अपने ही देश में कुछ राज्य ऐसे हैं जो बिल्कुल जन्नत की तरह हैं. इस राज्य के हर परिवार को साक्षात लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है. उनके यहां रुपये नहीं डॉलर की बारिश होती है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं केरल राज्य की. वह प्राकृतिक रूप से भी जितना खूबसूरत है वहां उतनी ही आर्थिक समृद्धि है. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में विदेश से आने वाला पैसा यानी रेमिटेंस का सारा रिकॉर्ड टूट गया है. बीते साल 2023 में केरल से बाहर रहने वाले लोगों ने 2.16 लाख करोड़ रुपये की राशि भेजी. अगर इसे हर परिवार के हिसाब से बांटा दिया जाए तो यह राशि प्रति परिवार करीब 2.2 लाख रुपये बैठती है.
यानी इस राज्य के हर परिवार में बीते साल औसतन 2.2 लाख रुपये की राशि विदेश से आई. रेमिटेंस के मामले में बीता साल केरल का प्रदर्शन शानदार रहा. आप इस राशि की व्यापकता का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि केंद्र सरकार देश के करीब 80 करोड़ गरीब लोगों को हर माह जो निशुल्क राशन उपलब्ध करवाती है उसकी लागत केवल 2.05 लाख करोड़ रुपये हैं.
यह राशि केरल के नेट स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट का करीब एक चौथाई (23.2 फीसदी) है. यही कारण है राज्य में प्रति व्यक्ति की आय करीब 2.64 लाख रुपये है. वहीं बिहार में प्रति व्यक्ति आय केवल 54 हजार और उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय करीब 71 हजार रुपये है.
नहीं है कोई गरीब!
नीति आयोग की 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस राज्य में गरीबी की दर देश में सबसे कम है. यहां 2019-21 के दौरान कुल आबादी में केवल 0.55 फीसदी यानी करीब 200 लोगों में केवल एक व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीता था. वहीं बिहार की बात करें तो यहां 26.6 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है. उत्तर प्रदेश का हाल भी बहुत बेहतर नहीं है. वहां करीब 23 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है.
फिर लौटते हैं केरल पर
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक केरल के लोग इन पैसों का इस्तेमाल भी काफी समझदारी से करते हैं. इसमें से वे करीब 22 फीसदी पैसों की बचत करते हैं, 22 फीसदी निवेश करते हैं. 26 फीसदी कर्ज चुकाने में लगाते हैं और 4 फीसदी राशि शिक्षा पर खर्च करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक केरल में बीते साल 22 लाख लोगों ने विदेश का रुख किया. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई परिवारों में पूरे के पूरे सदस्य विदेश रहते हैं. एक अनुमान के मुताबिक करीब 4.2 लाख परिवारों के सभी सदस्य विदेश में रहते हैं. इसमें दावा किया गया है कि केरल के करीब 50 लाख लोग देश से बाहर रहते हैं. इसमें अलावा करीब 30 लाख लोग देश के अन्य राज्यों में बसे हैं.
बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग विदेश में
केरल की आबादी में करीब 29.3 फीसदी लोग मुस्लिम हैं. लेकिन उनके अधिकतर सदस्य विदेश में रहते हैं. केरल की विदेश में रहने वाली कुल आबादी में उनकी हिस्सेदारी करीब 42 फीसदी है. दूसरे नंबर पर ईसाई हैं जिनकी आबादी करीब 17 फीसदी है लेकिन विदेश में रहने वाले लोगों में उनकी हिस्सेदारी 22.3 फीसदी है. राज्य में सबसे बड़ी आबादी हिंदू समुदाय की है. यहां 53.2 फीसदी हिंदू हैं लेकिन विदेश में रहने वाली आबादी में इनकी हिस्सेदारी केवल 35 फीसदी है.
Tags: Kerala NewsFIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 18:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed