इंडिया में अकेली बची कांग्रेस किसने तोड़ा राहुल का विपक्षी एकता वाला सपना

INDIA alliance: भाजपा के खिलाफ पिछले साल बना विपक्षी दलों का गठबंधन I.N.D.I.A. अब नहीं रहा. विवाद के बीच जन्म और विवाद के बीच ही इसका अंत हो गया है. ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी जैसे विपरीत ध्रुव वालों को एक मंच पर बिठाने की नीतीश कुमार की कोशिश रंग लाई. पर, नीतीश ने गठबंधन का नामकरण होते ही रंग में भंग डाल दिया. वे एनडीए में चले गए. अब लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल और शरद पवार-उद्धव ठाकरे के बाद तेजस्वी यादव ने बची-खुची कसर यह कर पूरी कर दी है कि I.N.D.I.A. तो सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए बना था

इंडिया में अकेली बची कांग्रेस किसने तोड़ा राहुल का विपक्षी एकता वाला सपना
इंडिया ब्लॉक एक ही झटके में बिखर गया. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बहुमत से दूर रहने और हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एनडीए से मात खाने के बाद I.N.D.I.A. का शीराजा बिखरने लगा है. सबसे पहले बंगाल की सीएम और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती दी. फिर एक-एक कर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, एनसीपी नेता शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने ममता बनर्जी के नेतृत्व करने के प्रस्ताव पर सहमति जता दी. आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ममता बनर्जी की तरह अपना दुश्मन ही मान लिया है. अब तो लालू यादव के पुत्र और बिहार में महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने इंडिया ब्लॉक को सिर्फ लोकसभा चुनाव तक के लिए की गई व्यवस्था बता कर इसके खात्मे की ही मुनादी कर दी है. 2019 से बनता-बिखरता रहा है विपक्षी गठबंधन देश में 2019 से ही भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने का प्रयास होता रहा है. पहली बार 2019 में आंध्र प्रदेश के सीएम और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) नेता चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की पहल की थी. तब वे एनडीए से बाहर थे. दूसरी बार 2021 में बंगाल फतह करने के बाद ममता बनर्जी ने प्रयास किया. निराशा हाथ लगने पर दोनों ने मौन धारण कर लिया था. तीसरा प्रयास महागठबंधन में रहते बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने किया. उन्हें सफलता जरूर मिली, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले ही उन्होंने अपनी राह अलग कर ली. उन्होंने फिर से भाजपा के साथ जाना पसंद किया. बची कसर जनता ने पूरी कर दी, जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ बहुमत से दूर रह गया. ‘इंडिया’ में बिखराव के बीज ममता बनर्जी ने डाले इंडिया ब्लॉक में बिखराव का बीजारोपण सबसे पहले ममता बनर्जी ने किया था. देश भर में विपक्षी पार्टियों ने इंडिया ब्लॉक के बैनर तले उम्मीदवार उतारे, लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कांग्रेस और वाम दलों को भाजपा की तरह ही दुश्मन बता कर दूरी बना ली. टीएमसी, कांग्रेस और वाम दलों ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे. ममता ने यह साबित भी कर दिया कि बंगाल में भाजपा से टक्कर लेने के लिए वे अकेले ही काफी हैं. टीएमसी संसदीय चुनाव में 22 सीटें जीत कर लोकसभा में चौथी बड़ी पार्टी बन गई. इंडिया ब्लाक में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बाद टीएमसी तीसरी बड़ी पार्टी है. तेजस्वी और लालू के बदले रुख की वजह क्या है? पहले लालू यादव का इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व पर ममता बनर्जी को समर्थन और अब उनके बेटे तेजस्वी यादव द्वारा इंडिया ब्लाक का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक के लिए बताना आश्चर्य पैदा करता है. इसलिए कि लालू परिवार और सोनिया गांधी के परिवार के बीच के रिश्ते जैसे रहे हैं, उसमें ऐसी बातें आश्चर्य तो पैदा करेंगी ही. पहले की नजदीकियों को छोड़ भी दें तो बीते साल-डेढ़ साल में कई ऐसे मौके आए, जब दोनों परिवारों की नजदीकियां लोगों ने देखीं. मानहानि मामले में राहुल गांधी को सर्वोच्च अदालत से जब राहत मिली तो सबसे पहले वे लालू यादव से ही मिलने दिल्ली में मीसा भारती के आवास पर गए. लालू ने उन्हें बिहारी मटन का भोज भी कराया. राहुल जब भारत जोड़ो न्याय यात्रा के क्रम में बिहार आए तो तेजस्वी यादव उनके गाइड और सारथी बने. इतना ही नहीं, पटना में हुई विपक्षी दलों की पहली बैठक में लालू ने ही राहुल गांधी को विपक्षी दूल्हा बनने का प्रस्ताव दिया. फिर राहुल और इंडिया ब्लाक के बारे में लालू परिवार की इतनी बेरुखी आश्चर्य तो पैदा करेगी ही. मामला असेंबली चुनाव में सीटों के लिए प्रेशर का दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) ने कांग्रेस को भाव नहीं दिया. हरियाणा में तालमेल को लेकर कांग्रेस के रुख से आहत AAP ने बिना किसी से तालमेल किए सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. बिहार में भी आरजेडी पिछली बार की तरह कांग्रेस को तवज्जो देने के मूड में नहीं है. 2020 में आरजेडी से 70 सीटें कांग्रेस ने ले ली थीं, लेकिन जीतीं सिर्फ 19 सीटें. तेजस्वी यादव और लालू यादव को अब तक इस बात का मलाल है कि कांग्रेस को उतनी सीटें नहीं मिली होतीं तो तेजस्वी ही शायद सीएम होते. दर्जन भर सीटों की कमी से तेजस्वी चूक गए थे. कांग्रेस चाहती है पिछली बार जितनी ही 70 सीटें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य अखिलेश सिंह पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी कम से कम पिछली बार जितनी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है. अपने को राष्ट्रीय सचिव और बिहार प्रभारी बताने वाले एक नेता ने तो दो डेप्युटी सीएम बनाने की बात कह दी है, जिनमें एक अल्पसंख्यक समुदाय से होगा. आरजेडी को इस दबाव की तभी से आशंका थी, जब से लोकसभा में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का मौका मिला है. राहुल को छोड़ ममता बनर्जी के समर्थन में यदि लालू खड़े हुए तो इसकी यही असल वजह है. अब तेजस्वी ने तो इंडिया ब्लाक के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया है. कांग्रेस के इरादे का पता चल गया है तेजस्वी को आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने 18 जनवरी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. उसी दिन राहुल गांधी भी पटना आ रहे हैं. वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे. शायद तेजस्वी को कांग्रेस के इरादे की जानकारी मिल गई है कि सीटों पर वह अड़ सकती है. कांग्रेस को अपनी छवि भी दुरुस्त करनी है कि वह आरजेडी की पिछलग्गू नहीं है. यह सच भी है कि आरजेडी के सहारे कांग्रेस बिहार में 1990 के बाद से ही रही है. राहुल गांधी सीटों को लेकर मुंह न फाड़ें, इसलिए तेजस्वी ने अपने बयान से उनकी बोलती बंद करने की कोशिश की है. Tags: Bihar News, Congress, Rahul gandhi, Tejashwi YadavFIRST PUBLISHED : January 9, 2025, 08:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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