नहले पर दहला! हरियाणा में BJP का ब्राह्मण-OBC कार्ड बहन जी लेकर आईं ये काट!

हरियाणा में विधासभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. नए गठबंधन और नए समीकरण बनाए जा रहे हैं. भाजपा ने ब्राह्मण+ओबीसी का विनिंग फॉर्मूला तैयार किया है वहीं मायावती भी मैदान में हैं. वह एक नए फॉर्मूले से राज्य में उथल-पुथल लाना चाहती हैं.

नहले पर दहला! हरियाणा में BJP का ब्राह्मण-OBC कार्ड बहन जी लेकर आईं ये काट!
हरियाणा विधानसभा चुनाव के मंच सजने लगे हैं. भाजपा गैर जाट ओबीसी और ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी में है. उधर कांग्रेस जाट, दलित और अन्य वर्गों को साथ लाने की रणनीति पर काम कर रही है. इस बीच मैदान में बहन जी यानी बसपा सुप्रीमो मायावती भी कूद गई हैं. उन्होंने इन दोनों प्रमुख दलों को मात देने के लिए एक जबर्दस्त चाल चली है. दरअसल, 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा का चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में होगा. इसके लिए बसपा और इनेलो ने गठबंधन करने का ऐलान किया है. इनके बीच सीटों का भी बंटवारा हो गया है. इनेलो 53 और बसपा 37 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. इससे पहले इन दोनों ने 1996 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. फिर दोनों दलों ने 2018 में गठबंधन किया लेकिन चुनाव से ऐन पहले फरवरी 2019 में मायावती गठबंधन से बाहर हो गई थीं. उस वक्त चौटाला परिवार में आपसी विवाद चल रहा था. इनेलो प्रमुख अभय चौटाला और मायावती के बीच दिल्ली में करीब एक घंटे तक चले मंथन के बाद बुधवार को गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया. दो दिन पहले ही भाजपा ने मोहन लाल बड़ौत को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. वह ब्राह्मण समुदाय से आते हैं. वह राई विधानसभा सीट से विधायक हैं. अभी तक यह जिम्मेदारी नायब सिंह सैनी के पास थी. लेकिन, उनको सीएम बनाए जाने से बाद से नए अध्यक्ष की खोज शुरू हो गई थी. भाजपा का फॉर्मूला लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचा है. 2019 में उसने राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन 2024 में उसके सांसदों की संख्या घटकर पांच रह गई है. भाजपा ने 10 और कांग्रेस ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जहां तक वोट प्रतिशत की बात है तो भाजपा को 46.11 फीसदी और कांग्रेस 43.67 फीसदी वोट मिले. यानी जब देश की बात थी और चेहरा पीएम मोदी थे तब भी यहां दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर देखी गई. इस चीज को भाजपा ने चुनाव से पहले ही भांप लिया था. तभी चुनाव से कुछ ही समय पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया गया. मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया. दरअसल, राज्य में भाजपा बीते करीब 10 सालों से गैर जाट ओबीसी की राजनीति कर रही है. उसने 10 साल पहले पंजाबी खत्री मनोहर लाल के हाथों में राज्य की कमान सौंप जाट सीएम की परंपरा को तोड़ा. फिर वह अगड़ी जातियों में ब्राह्मण समुदाय को साधने की कोशिश में है. दलित वोटर्स किसके साथ 2011 की जनगणना से मुताबिक राज्य में करीब 20 फीसदी दलित आबादी है. लेकिन, राज्य में इनके पास कोई सर्वामान्य नेता नहीं है. दूसरी तरफ दूसरे सबसे बड़े जाति समूह के तौर पर जाट समुदाय की पहचान है. इनकी आबादी करीब 27 फीसदी है. ये 90 में से 40 विधानसभा सीटों पर बेहद मजबूत स्थिति में हैं. इनके प्रभाव को इसी से समझा जा सकता है कि राज्य के इतिहास में करीब-करीब आधे समय तक जाट मुख्यमंत्री बने हैं. ब्राह्मण वोटरों पर नजर राज्य में करीब 12 फीसदी ब्राह्मण वोटर्स हैं. इन पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर है. 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से कई चीजें साफ हो गईं.  भाजपा के पास नॉन जाट ओबीसी का एक बड़ा वोट बैंक है. कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है. ऐसे में उसे इस वोट बैंक को टॉपअप करने के लिए ब्राह्मण और दलित वोटों में सेंधमारी की जरूरत है. मायावती का फॉर्मूला मायावती राज्य के 20 फीसदी दलित वोटों को साधने पर जोर दे रही हैं. कभी जाट समुदाय के समर्थन का दावा करने वाली इनेलो उनके साथ है. लेकिन, अब स्थितियां काफी बदल चुकी है. इनेलो न तो राज्य में जाट समुदाय की इकलौती पार्टी है और न ही मायावती अब दलित समुदाय का एक भरोसेमंद चेहरा हैं. ऐसे में इस गठबंधन का जमीन पर कितना असर होगा यह कहना मुश्किल है. दूसरी तरफ कांग्रेस के पास राज्य में कद्दारव जाट के साथ एक कद्दावर दलित नेता है. उनका नाम है कुमारी सैलजा. वह सिरसा से भारी मतों के अंतर से विजयी हुई हैं. Tags: Haryana election 2024, Haryana News Today, MayawatiFIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 14:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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