ढाका में जनरल नियाजी के नाक रगड़ने के 53 साल बाद बदल गई तस्वीर
ढाका में जनरल नियाजी के नाक रगड़ने के 53 साल बाद बदल गई तस्वीर
ARMY PAINTING : पेंटिंग में पैंगाग लेक और लद्दाख की पहाड़ियों का दिखाई देना ये साफ कर रहा है कि अब टार्गेट पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन है. 2020 में चीन और भारत के बीच हुआ तनाव अब हालात शांत है. पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने चीनी सेना को बैकफुट पर डाल दिया. दिसकी वजह से उसे बातचीत की मेज पर आना पडा
INDIAN ARMY : हर तस्वीर कोई ना कोई संदेश देती है. बस उसे समझना आना चाहिए. हालाँकि जिसे तस्वीर के ज़रिए संदेश देना हो उस समझ आ ही जाता है. भारतीय थलसेना प्रमुख के लॉंज में लगाई पेंटिंग भी कुछ ऐसा ही इशारा दे रही है. ये पेंटिंग वो सोशल मीडिया में भी वायरल है. रिटार्ड सैन्य अधिकारियों नें इस बदलाव पर सवाल भी खडे किए है. दरअसरल चीफ लॉंज से 1971 पाकिस्तानी सरेंडर की एतिहासिक तस्वीर हटी है और नई पेंटिंग में लद्दाख का पैंगांग लेक दिखाई दिया है. जिसमें आधुनिक बोट हैं तो चाण्क्य भी है. आधुनिक टैंक और ऑल टेरेन व्हिकल है तो कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध में अर्जुन का रथ हाँकने वाले कृष्ण भी है. आसमान में अटैक हैलिकॉप्टर अपाचे भी है तो गरुड़ भी भी नजर आ रहा है. मैसेज साफ है कि अब सेना का फोकस पाकिस्तान नहीं बल्कि ड्रैगन चीन है.
क्या है पूरा मामला ?
1971 में भारतीय सेना ने 90 हज़ार सैनिकों से सरेंडर कराया. जनरल नियाज़ी सरेंडर डॉक्यूमेंट पर दस्तख़त करते वक़्त की सबसे चर्चित तस्वीर की पेंटिंग साउथ ब्लाक में सेना प्रमुख के लॉंज में थी. जहाँ सेना प्रमुख विदेशी मेहमानों के साथ मुलाकात करते है, फोटो खींची जाती है. लेकिन अब वो तस्वीर वहाँ से हटा दी गई है. उसकी जगह जो तस्वीर लगाई गई है वो तस्वीर बहुत कुछ कहती है. रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अशोक कुमार का कहना है कि ये पेंटिंग से एक बात तो साफ हो रही है कि अब फोकस पाकिस्तान पर नही बल्कि चीन पर है. पौराणिक युद्ध नीति जिसमें कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान जिसकी वजह से महाभारत का युद्ध पांडवों के पक्ष में गया तो वहीं चाणक्य की युद्ध नीति के चलते मौर्य साम्राज्य इतना बड़ा बना. एक पेंटिंग में टैंक भी है, बोट भी है, हैलिकॉप्टर भी है तो ऑल टेरेन वेहिकल भी है. ये आज के समय में तीनों सेना का इंटीग्रेशन को भी दर्शाता है. आत्मनिर्भर भारत के तहत हथियार आत्मनिर्भर और साथ ही वही सोच भी दिखाती है.
चाणक्य नीति और गीता के सार से हारा ड्रैगन ?
पेंटिंग को आज के परिप्रेक्ष्य में देखें तो ये तो साफ है कि ये चीन पर केंद्रित है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह पेंटिंग भारतीय सेना की धार्मिकता और शाश्वत प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जैसा कि महाभारत की शिक्षाओं में दिखाया गया है. इसमें सेना को धर्म के संरक्षक के रूप में दिखाया गया है, जो न केवल राष्ट्र की रक्षा कर रही है, बल्कि न्याय बनाए रखने और राष्ट्र के मूल्यों की सुरक्षा के लिए भी संघर्ष कर रही है. यह चाणक्य के रणनीतिक और दार्शनिक ज्ञान से प्रेरित है, जो सेना के नेतृत्व, कूटनीति और युद्ध के दृष्टिकोण को मार्गदर्शन प्रदान करता है.
क्या पेंटिंग से चीन को दिया गया संदेश ?
चीन जिस शुन त्जू के आर्ट ऑफ वॉर में लिखी गई युद्ध नीतियों को फॉलो करता है. वो 2020 में पूर्वी लद्दाख में चाणक्य नीति और गीता के सार से हार गया. भारतीय सेना ने ऐसी रणनीति अपनाई कि चीन को बातचीत की मेज पर आना पडा. पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के तीनों अंग ने जिस तरह से इंटीग्रेटेड होकर चीन के कदम पीछे धकेले वो भी इस पेंटिंग के जरिए समझ में आ रही है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक पेंटिंग में तकनीकी तौर से हाइटेक और सेना के इंटीग्रेटेड फोर्स के तौर में उसके विकास को दिखाता है. ये दिखाता है कि कैसे भारतीय सेना आधुनिक प्रणालियों, जमीन, हवा और समुद्र के बीच समन्वय के साथ तैयार है और अपने विरोधियों के खिलाफ तेजी से हमला करने के लिए सक्षम है. इस पेंटिंग में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसकी तैयारियों को भी उजागर किया गया है. बहरहाल एक संदेश ये जरूर समझ में आ रहा है कि चीन के पास शुन त्जू का आर्ट ऑफ वॉर है, तो हमारे पास चाणक्य नीति और गीता का सार है. जो आधुनिक हथियार के साथ पूरी तरह से कारगर है.
Tags: Indian army, Indian Army newsFIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 12:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed